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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Opinion: मिशन Moon, महाविजय Soon, भारत के मिशन चंद्रयान 3 से जुड़ी हर जानकारी जो आपको जरूर पता होनी चाहिए

चांद, जो हमारी आस्था में है, हमारी कहानियों और संगीत में है. हमारे आसमान में सबसे करीब है और किसी दूसरे तारे की तुलना में सबसे ज्यादा चमक बिखेरता है. वो चांद कितने ही रहस्यों को समेटे हुए है जिनसे पर्दा हटाने के लिए भारत के सबसे बड़े मिशन का काउंटडाउन शुरू हो गया है तारीख और वक्त तय हो चुका है कुछ घंटों का फासला बाकी हैं जब भारत का चंद्रयान-3 चांद की ओर उड़ान भरेगा. देश के लिए इस मिशन की कितनी अहमियत है. मिशन से क्या हासिल होगा? समझिये इस रिपोर्ट में  

टिक करती घड़ी की सुई के कांटे....जैसे- जैसे वक्त को बदलने का संकेत कर रहे हैं...अंतरिक्ष की अनंत गहराइयों में हिंदुस्तान की बड़ी छलांग की घड़ी करीब आ रही है...

वो चांद...जो हमारी कविताओं में है....वो चांद जो हमारी आस्था में है....और वो चांद जो हमारे आसमां में हमारे सबसे करीब है...अब वक्त उस चांद को दूर से निहारने का नहीं....बल्कि वक्त, चांद की जमीं तक पहुंचने का है...और देश ने इस ओर कदम बढ़ा दिए हैं....

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के मिशन चंद्रयान-3 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है..

तारीख- 14 जुलाई
समय - दोपहर - 2.35 बजे.

वो समय और तारीख...जब इसरो...चांद के करीब पहुंचने की यात्रा में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च करेगा

ये सिर्फ इसरो की उम्मीद नहीं है...बल्कि करोड़ों हिंदुस्तानियों की सपनीली आंखों की उम्मीद है....एक सपना है...जिसके पूरा होने का इंतजार हर हिंदुस्तानी को बरसों से है...पूरी दुनिया की नजर इसरो के मिशन चंद्रयान पर है...ऐसा इसलिए भी...क्योंकि जुलाई 2019 को भेजा गया...मिशन चंद्रयान-2 की आंशिक थी...चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग ने करोड़ों हिदुस्तानियों बड़ा झटका दिया था...

जिससे सीखते हुए....इसरो ने इस बार कामयाबी का झंडा गाड़ने के लिए कमर कस ली है...सारी तैयारियां चाक चौबंद है....बस कुछ घंटों का फासला रह गया है...जब 140 करोड़ भारतीयों के सपनों की उड़ान के साथ इसरो का अंतरिक्ष यान चांद की राह पर कदम बढ़ाएगा....


ऐसे में अब इसरो की नजर...चांद की सतह में छिपे ...उन रहस्यों से पर्दा उठाने की है...जिनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है...चंद्रयान-3 के साथ जा रहा रोवर...

-चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा
-चांद की मिट्टी की जांच करेगा
-चांद के वातावरण की रिपोर्ट देगा
-चांद का केमिकल विश्लेषण करेगा
-चांद पर मौजूद खनिज खोजेगा

चंद्रयान-3....चांद से जुड़े उन तमाम रहस्यों से पर्दा उठाएगा...जिनसे अब तक दुनिया अंजान है...क्योंकि चांद की आधी सतह चमकती हुई है..मतलब जहां तक रोशनी पहुंचती है...तो आधी सतह घुप अंधेरे में डूबी है...

- चंद्रयान-3 का लैंडर मिशन चंद्रयान-2 की क्रैश साइट से 100 किमी. दूर उतरेगा
- चांद के इस हिस्से में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं
- तापमान बेहद कम होता है
- तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है
- लिहाजा पानी मिलने की संभावना कहीं ज्यादा है

यानी इसरो की कोशिश चांद को लेकर अब तक हुई खोज....से कहीं आगे बड़ी लकीर खींचने की है....तो चांद पर हिंदुस्तान के कदम पड़ने का काउंटडाउन शुरू हो चुका है...मिशन की सफलता की करोड़ों उम्मीदों के साथ चांद की सपनीली दुनिया में कदम रखने को देश बेताब है... तैयारी चांद से जुड़े रहस्यों से पर्दा उठाने की है... लेकिन इससे कहीं ज्यादा बड़ा सवाल...चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का है...क्योंकि 2019 में चंद्रयान-2 के लैंडर के साथ जुड़ी नाकामयाबी हमारे सामने है...ऐसे में इस बार इसरो ने लैंडर की सॉफ्ट लैडिंग कराने के लिए क्या तैयारी की है? और मिशन में क्या कुछ बदलाव किए हैं...ये रिपोर्ट देखिए....

धरती पर करीब 15 दिन...रात के अंधेरे में रोशनी बिखरने वाला चंद्रमा...हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है...ये आकर्षण हमारी धार्मिक मान्यताओं से लेकर साहित्य तक दिखता है...लेकिन आकर्षण जितना ज्यादा है...चंद्रमा तक पहुंचने की राह उससे भी कहीं ज्यादा चुनौती पूर्ण....

लिहाजा इसरो की तैयारी...मिशन चंद्रयान-2 की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत है...कई मायनों में चंद्रयान-3...जुलाई 2019 में लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 से अलग है...

चंद्रयान-3 के साथ....मिशन चंद्रयान-2 की तरह ऑर्बिटर को नहीं भेजा जाएगा...क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है...इस बार ऑर्बिटर की जगह पर प्रोपल्शन मॉड्यूल लगाया गया है...जो चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान नेविगेशन में मदद करेगा...चंद्रयान-3 मिशन में मॉड्यूल के तीन हिस्से हैं...

प्रोपल्शन मॉड्यूल- जोकि स्पेसशिप को उड़ाने वाला हिस्सा होता है
लैंडर मॉड्यूल- जो स्पेसशिप को चंद्रमा में उतारने वाला हिस्सा है
रोवर - ये चंद्रमा का डेटा जुटाने वाला हिस्सा होता है...

यहीं नहीं चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 के मुकाबले कई स्तर पर अपग्रेड किया गया है....ताकि सफलता की सुनिश्चित किया जा सके

- पिछली बार की तुलना में लैंडर को मजबूत बनाया गया है
- चंद्रयान-3 में बड़े और शक्तिशाली सौर पैनल का इस्तेमाल किया गया है
- गति निर्धारित करने के लिए अतिरिक्त सेंसर लगाए गए हैं
- चंद्रयान-2 की सॉफ्टवेयर समस्या को ठीक गया है

चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए इसरो की तैयारी फुलप्रूफ है...गलती की किसी भी गुंजाइश को खत्म किया गया है...अब आपका सवाल होगा...चंद्रयान-3 अपने साथ कौन से उपकरण साथ लेकर जाएगा

- प्रोपल्शन मॉड्यूल, जिसका वजन 2 हजार 148 किलो ग्राम है
- विक्रम लैंडर, इसका वजन 1 हजार 726 किलोग्राम है...और चंद्रयान-2 के लैंडर से कहीं ज्यादा मजबूत है
- वहीं रोवर प्रज्ञान का वजन 26 किलोग्राम है
- लैंडर के साथ 4 पेलोड भेजे जाएंगे
- लैंडर की ऑन बोर्ड पावर 738 वाट की है
- चंद्रयान-2 के लैंडर की ऑन बोर्ड पावर 650 वाट की थी
- वहीं रोवर की ऑन बोर्ड पावर 50 वाट की है

14 जुलाई को चंद्रयान- 3 को LVM-3 रॉकेट से लॉन्च किया गया...खास बात ये है...LVM-3 रॉकेट चंद्रयान-2 को लॉन्च करने वाले GSLV MK 3 - M1 का ही अपग्रेड वर्जन है

इसरो ने चंद्रयान-3 को लॉन्च करने के लिए...LVM-3 को ही क्यों चुना...इसे..ऐसे समझिए...LVM-3 के जरिए चंद्रयान-2 समेत 6 लॉन्च किए गए हैं....और हर एक लॉन्च सफल रहा है....मतलब सफलता...शत प्रतिशत...

 यहां आपके लिए जानना जरूरी है....कि जीएसएलवी-एमके-3 यानी LVM-3 चंद्रयान के इंट्रीग्रेटेड मॉड्यूल को पृथ्वी की कक्षा 170 किमी X 36,500 किमी आकार की पार्किंग आर्बिट में स्थापित करेगा...इसके बाद चंद्रयान-3 धीरे पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल कर चांद की ओर आगे बढ़ेगा...जिसका सीधा मतलब है...कि चंद्रयान सीधे चंद्रमा की ओर नहीं जाएगा....बल्कि कई चरणों में चंद्रमा का सफर पूरा करेगा....

 पृथ्वी की कक्षा से चंद्रयान को बाहर निकालने और फिर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने पर दूरी को कम करने के लिए ऑनबोर्ड रॉकेट का इस्तेमाल होगा...चंद्रयान के चंद्रमा की आर्बिट में दाखिल होने के बाद....शुरू होगी असली परीक्षा...जिस पर हर किसी की नजर है....

पृथ्वी की कक्षा यानी ऑर्बिट में पहुंचने...और फिर पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने से कहीं ज्यादा...चुनौतीपूर्ण...चंद्रमा की कक्षा में चक्कर काटते हुए...ऊपरी आर्बिट से निचली आर्बिट तक पहुंचना है....इसे ऐसे समझिए...

lvm-3 रॉकेट चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा...पृथ्वी की आर्बिट में पहुंचने के बाद...चंद्रयान..धीरे-धीरे पृथ्वी की कक्षा में दूरी को बढ़ाएगा...ताकि पृथ्वी के गुरुत्वाकृषण को कम किया जा सके... दूरी बढ़ाने के लिए ऑनबोर्ड रॉकेट का इस्तेमाल होगा...ये रॉकेट चंद्रयान के साथ भेजे जाएंगे...और फिर इस तरह चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से निकल कर चंद्रमा की कक्षा में दाखिल होगा... यहां प्रक्रिया उल्टी दिशा में चलेगी... मतलब पृथ्वी की कक्षा में चंद्रयान की दूरी को बढ़ाया जा रहा था...तो चंद्रमा की कक्षा में पूरी कोशिश दूरी को कम करने पर होगा...

चक्कर काटते चंद्रयान जब चांद की निचली कक्षा में दाखिल हो जाएगा...तो लैंडर को उतारने की तैयारी शुरू होगी... और यहीं से शुरू होगी सबसे बड़ी चुनौती...

चंद्रमा की कक्षा में 100 x 100 किमी....यानी चंद्रमा की सबसे निचली कक्षा...चांद की सतह से वो दूरी...जहां से शुरू चंद्रयान का असली मिशन..

जब लैंडर विक्रम...पहली बार चंद्रयान के साथ भेजे जा रहे प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होकर...चांद की सतह की डगर पर बढ़ेगा....

- प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर विक्रम स्पीड को कम करेगा
- लैंडर धीरे-धीरे 100 x 30 किमी की कक्षा में पहुंचेगा
- और अनुकूल परिस्थिति मिलने पर चांद पर लैंड करेगा

इसरो की योजना के मुताबिक...चंद्रयान के साथ जा रहा लैंडर विक्रम 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा का सतह पर लैंड करने की कोशिश करेगा...लेकिन अगर परिस्थिति अनुकूल नहीं रहती...तो वक्त बदला भी जा सकता है...

ऐसा इसलिए...क्योंकि मिशन चंद्रयान-2 ने न सिर्फ चंद्रमा की कक्षा में आसानी से प्रवेश किया था...बल्कि चंद्रमा की सतह से 2 किलोमीटर की दूरी तक पहुंच गया था....लेकिन इसके बाद सब कुछ ठीक नहीं रहा

चंद्रयान-2 के नतीजे....इसरो के सामने हैं...पिछले चार साल में इसरो ने मिशन चंद्रयान-2 के नतीजों से काफी कुछ सीखा है...ऐसे में लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग से लेकर रोवर के चांद की सतह पर चलने तक हर एक चीज का ध्यान रखा जा रहा है....

- परिस्थितियां अनुकूल होने पर लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरेगा
- सॉफ्ट लैंडिंग के कुछ वक्त बाद रोवर को बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरु होगी
- सब कुछ ठीक होने पर रोवर लैंडर से नीचे आएगा
अब आपकों मन में सवाल उठ रहा होगा...रोवर किस तरह से जानकारी जुटाएगा...चंद्रयान के साथ भेजे जा रहे रोवर में क्या कुछ खास है

चंद्रयान के साथ भेजे जा रहे रोवर को चांद के वातावरण के मुताबिक बनाया गया है.... इसमें

- 6 पहिए लगाए गए हैं
- रोवर में पावरफुल सोलर पैनल लगा है
- अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
-'लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी रोवर को लैस किया गया है
- रोवर में कई कैमरे लगाए गए हैं

लैंडर विक्रम के साथ भेजा जा रहा रोवर...चंद्रमा का सतह पर चलकर....डेटा जुटाएगा...चंद्रमा की सतह की तस्वीरे लेगा...जिसे वो लैंडर विक्रम को भेजेगा...और लैंडर विक्रम चांद का डेटा इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए इसरो से साझा करेगा

इमरजेंसी के हालात में लैंडर विक्रम चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर से संपर्क साध सकता है...वहीं चद्रयान के साथ भेजा गया....प्रोपल्शन मॉड्यूल अंतरिक्ष में छोटे ग्रहों और एक्सो-प्लैनेट्स की खोज करेगा. साथ ही यह भी पता करेगा कि क्या वहां पर रहा जा सकता है या नहीं...साफ लफ्जों में कहें तो इसरो की कोशिश एक साथ कई लक्ष्यों को साधने की है


अंतरिक्ष अनंत है...और संभावनाएं भी...अंतरिक्ष का विस्तार कितना और कहां तक है...इंसान की किसी भी किताब दर्ज नहीं...लेकिन अगर....अंतरिक्ष के विस्तार की खोज करनी है...नई संभावनाओं को तलाशना है...तो अंतरिक्ष की गहराइयों में छिपी संभावनाओं की तलाश में सबसे पहला पड़ाव है.चंद्रमा

क्योंकि पृथ्वी का चक्कर काट रहे चंद्रमा तक पहुंचना...हमारे आकाश में टिमटिमाते किसी भी दूसरे तारे तक पहुंचने से कहीं ज्यादा आसान है....

भारत से पहले अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देश चंद्रमा तक पहुंच चुके हैं...सभी की तैयारी चंद्रमा पर अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की है...ऐसे में भारत के लिए चंद्रमा की अहमियत कहीं ज्यादा बढ़ जाती है...

- चंद्रमा पर पहुंचने से सौर मंडल को समझने में मदद मिलेगी
- बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा सबसे उपयुक्त जगह है
- चंद्रमा पर कई तरह के खनिज मिलने की संभावना है
- अंतरिक्ष में खोज के लिए स्टेशन विकसित किया जा सकता है

खास बात ये है...कि अगर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग होती है...तो फिर अंतरिक्ष में पहुंच के लिहाज से वैश्विक मंच पर भारत की साख बढ़ेगी

यहीं नहीं अरबो डॉलर के अंतरिक्ष बाजार में भारत की उपस्थिति पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा मजबूत होगी


चंद्रयान-3 की सफलता...न सिर्फ वैश्विक मंच पर देश की ताकत का एहसास कराएगी...बल्कि इसरो के मिशन आदित्य और मिशन गगनयान के लिए भी रास्ते खोलेगी...इसरो की तैयारी गगनयान के जरिए अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की है....

चंद्रयान- 3 प्रधानमंत्री मोदी के लिए बेहद खास होने वाला है....क्योंकि पिछली बार साल 2019 में जब चंद्रयान-2 भेजा गया था...तो लैंडिंग के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो के सेंटर में मौजूद थे....यही नहीं....चंद्रयान-2 के साथ गए लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग नाकामयाब हुई...तो मिशन से जुड़े इसरो की टीम के चेहरे पर निराशा साफ दिखी थी...ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी टीम की हौसला आफजाई की थी....

अब चंद्रयान की आशिंक असलफता के 4 साल बाद...इसरो फिर से चांद की राह पर बढ़ने को तैयार है...तो हर एक नजर न सिर्फ इसरो की ओर देख रही है....बल्कि नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भी है...

ऐसा इसलिए भी है...क्योंकि इसरो ने चांद पर पहला मिशन साल 2008 में भेजा था....जिसके बाद दूसरा मिशन भेजने में इसरो को 10 साल से भी ज्यादा का वक्त लगा है. माना जा रहा है....चंद्रयान-3 की सफलता...वैश्विक मंच पर भारत की साख तो बढ़ाएगी....प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की साख भी बढ़ेगी

फिलहाल सबकी नजर...14 जुलाई को होने वाली चंद्रयान- 3 की लॉन्चिंग पर है...

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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