एक्सप्लोरर

चीन को रास नहीं आ रही भारत-अमेरिका जुगलबंदी, लेकिन वैश्विक राजनीति को साधने बनी रहेगी भारत-रूस की दोस्ती

पिछले हफ्ते भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के स्टेट-विजिट पर थे. यह दौरा काफी सफल रहा और भारत-अमेरिका के बीच कई तरह के समझौते भी इस दौरान हुए. भारत और अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों से भारत के पड़ोंसी लेकिन दुश्मन देशों की आंखों में किरकिरी पड़ गयी है. इस दौरे के ऊपर चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख छापा है, जिसमें भारत को अमेरिका से दूर रहने की सलाह दी गयी है. उधर पाकिस्तान ने तो छाती कूटते हुए अमेरिका को ही धमकी दे दी है कि वह भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है. हालांकि, पाक ने यह नहीं बताया है कि वह जवाबी कार्रवाई में क्या करेगा? 

चीन चाहता है भारत को अलग करना

चीन की मूल पॉलिसी है भारत को अलग-थलग करना. तो, जब रूस की भारत से नजदीकी होती है, तब भी वह रूस को समझाने लगता है. जब अमेरिका से भारत के रिश्ते अच्छे बनते हैं, तो भी उसको परेशानी होती है. ये बहुत लंबे समय से चला आ रहा है. चीन नहीं चाहता है कि भारत बड़ी इकोनॉमी बने, जो भारत फास्टेस्ट बढ़नेवाली अर्थव्यवस्था है, इसमें काफी संभावनाएं हैं, वह चीन को ठीक नहीं लगता.

चीन को यह भी लगता है कि यहां मानव संसाधन है, तकनीक विशारद लोग हैं, प्रजातंत्र है, कानून का शासन है औऱ यही चीजें भारत को आगे ले भी जा रही हैं, इन सभी चीजों से उनको खतरा लगता है. उनको हमेशा ये लगता है कि भारत आगे न बढ़े, वह हमेशा इसे रोकने की कोशिश करता है. चीन की परेशानी यह है कि जो सॉफिस्टिकेटेड टेक्नोलॉजी देने पर भारत-अमेरिका में सहमति हुई है, जो चिप्स भारत में बनेंगे, तेजस में लगनेवाले, काफी विकसित तकनीक वाली जो बात है, उनसे भारत को फायदा होने वाला है. सामरिक भी, तकनीकी भी. चीन ने काफी कोशिश खुद की है कि उसके रिश्ते अमेरिका से ठीक बने रहें. वह भारत से सशंकित तो रहता ही है. 

भारत बड़ी अनूठी स्थिति में

भारत इस वक्त बड़ी यूनिक स्थिति में हैं. दुनिया इस वक्त दो भागों में स्पष्ट तौर पर बंटी हुई है. एक तरफ अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के देश हैं, दूसरी तरफ ब्रिक्स नेशन हैं. भारत जिधर चला जाएगा, उधर का पलड़ा भारी हो जाएगा. अमेरिका और उसके साथी चाहते हैं कि भारत उनके साथ जुड़े. कभी कहते हैं कि नाटो प्लस का सदस्य बन जाओ, कभी कहते हैं कि AUKAUS में आ जाओ, जो ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और अमेरिका का गठजोड़ है, इंडो-पैसिफिक में, जबकि चीन इस सबसे ठीक उल्टा चाहता है. वह कभी नहीं चाहता कि भारत इन सबमें पड़े. अमेरिका में 40 लाख भारतवंशी हैं, 1 लाख लोग हैं जो भारतीय पासपोर्ट पर हैं, लेकिन लंबे समय से वहां काम कर रहे हैं, 2 लाख भारतीय विद्यार्थी हैं, तो हमारे प्रधानमंत्री मानते हैं कि दोनों देश नेचुरल साझीदार हैं, क्योंकि दोनों के यहां डेमोक्रेसी है, हित मिलते हैं, यहां शक्ति का संकेंद्रण नहीं है, फ्री मीडिया है, न्यायालय है, वगैरह.

हालांकि, भारत के अमेरिका के साथ कई मतभेद भी हैं. हमारी अपनी चाहते हैं. हम किसी भी देश से मिलिट्री अलायंस नहीं चाहते हैं. हम अपने हिसाब से चलना चाहते हैं. विदेश नीति का जहां तक सवाल है, तो हम आतंकवाद से पीड़ित हैं, इसका रिकॉग्निशन चाहते हैं, हम तकनीक चाहते हैं, हम दक्षिण चीन सागर, हिंद-प्रशांत क्षेत्र या ईस्ट चाइना सी, जहां से 6 ट्रिलियन का व्यापार होता है, भारत मानता है कि यह इंटरनेशनल जलमार्ग है, इसे मुक्त होना चाहिए. चीन इस पर अड़ंगे डालता है, तो अमेरिका का हित यहां हमसे जुड़ा है. वह चीन को काबू में रखना चाहता है, हालांकि, भारत सत्ता-परिवर्तन में, काबू करने में विश्वास नहीं रखता है. 

भारत जिस तरफ भी रहेगा, उधर का पलड़ा भारी होगा. यही ब्रिक्स नेशन वाला गुट भी चाहता है. दूसरी तरफ जो क्वाड वाला है. तो, भारत की पॉलिसी है कि वह अपने हित में काम करे. भारत की पॉलिसी है कि विश्वगुरु बने, तो सबके साथ अच्छे संबंध रखता है और जो विकासशील देश हैं, जिनको ग्लोबल साउथ कहते हैं, उनके मुद्दे भी उठाता है. उन मुद्दों को भारत न केवल उठाए, बल्कि उनका एक संगठन बनने की भी जरूरत है. जैसा, कभी गुट-निरपेक्ष आंदोलन होता था. उन देशों के संगठन में अधिकांशतः बात हो आर्थिक सहयोग की. ये देश बहुत पीछे हो गए हैं. पहले ब्रिटिश या फ्रेंच उपनिवेशवाद ने इनको लूटा, अब ये आजाद तो हो गए हैं, लेकिन बढ़ नहीं पा रहे हैं. भारत ने इनके हितों का हमेशा समर्थन किया है और समय आ गया है कि भारत अपनी पहलकदमी से एक संगठन बनाए. 

भारत रह सकता है निरपेक्ष 

भारत हमेशा से बीच में रहा है और आगे भी रह सकता है. हम रूस को नहीं छोड़ सकते हैं. बहुत लंबे समय से हमारी दोस्ती है. हमारी नीति है विविधता लाने की. हम अलग-अलग देशों से सामान खरीदते हैं, लेकिन हम अपनी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करते हैं, किसी आतंक के लिए नहीं. इसको कहते हैं 'बैलेंसिग एक्ट'. भारत ने ये लंबे समय से किया है और मोदीजी भी इसी को बढ़ा रहे हैं. हमारे ईरान से भी संबंध हैं, इजरायल से भी, अरबों से भी ठीक संबंध हैं. उनके जो आपसी मामले हैं, उनसे हमारा लेनादेना नहीं है. इसी के चलते भारत एक ताकतवर देश की तरह उभर रहा है. हमारे नए और पुराने सहयोगी पहले से हैं ही. अमेरिका भी है, रूस भी है, पश्चिमी देश भी हैं. हमारी जो नीति है, उसमें हम हथियार के लिए उन पर निर्भर नहीं होते. हम अब को-प्रोडक्शन, मेकिंग इन इंडिया वगैरह के सहारे काम कर रहे हैं. हम पांच-सात वर्षों में शायद आत्मनिर्भर हो जाएंगे.

वैसे भी, स्पेयर पार्ट्स वगैरह हम कई साल के लिए रखते हैं, तो ऐसा नहीं है कि अगर किसी ने हमें छोड़ दिया तो हम फंस जाएंगे. रूस के हथियार सस्ते होते हैं, हम रुपए में भुगतान कर सकते हैं. उनके हथियार यूक्रेन जंग में काफी सफल रहे हैं, इसलिए अमेरिकियों ने पहले यूक्रेन को आर्टिलरी दी, फिर टैंक दिए, अब प्लेन दे रहे हैं. रूस ने तो उतनी जमीन पर कब्जा कर लिया है, जो उनको चाहिए. जहां सबसे विकसित इलाका है, फैक्ट्री है, मिलिट्री बेस हैं. ये सोवियत यूनियन के समय ही विकसित हुआ औऱ यहां रूसी मूल के लोग भी रहते हैं. मैं जंग का समर्थन नहीं कर रहा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रूस से हमारे संबंध नहीं होने चाहिए. हम रूस से अगर डील कर रहे हैं, तो अमेरिका से उसको काउंटर कर रहे हैं. अमेरिका कोई बहुत बड़ी दरियादिली नहीं दिखा रहा है, रणनीतिक समझौता है, उनको भी हमारी जरूरत है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से पहले नाना पटोले का बड़ा दावा, 'हरियाणा में जो नुकसान हुआ वो...'
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से पहले नाना पटोले का बड़ा दावा, 'हरियाणा में जो नुकसान हुआ वो...'
Shah Rukh Khan Death Threat: शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
Virender Sehwag Son: जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
ABP Premium

वीडियोज

Maharahstra assembly elections 2024: महाराष्ट्र की 47 सीटों के नए Exit Poll में महायुति को मिल रही 38+ सीटें | Elections 2024Arvind Kejriwal News: Delhi चुनाव से पहले शराब घोटाले में केजरीवाल को बड़ा झटका! | ABP NewsBJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?बाबा बागेश्वर की 'सनातन हिन्दू एकता' पदयात्रा शूरू | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से पहले नाना पटोले का बड़ा दावा, 'हरियाणा में जो नुकसान हुआ वो...'
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से पहले नाना पटोले का बड़ा दावा, 'हरियाणा में जो नुकसान हुआ वो...'
Shah Rukh Khan Death Threat: शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
Virender Sehwag Son: जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
हेयर कलर करने से तेजी में सफेद होने लगते हैं बाल, जानें क्या कहतें है एक्सरर्ट?
हेयर कलर करने से तेजी में सफेद होने लगते हैं बाल, जानें क्या कहतें है एक्सरर्ट?
कड़ाके की ठंड की होने वाली है एंट्री! यूपी-हरियाणा में घने कोहरे का अलर्ट तो इन 11 राज्यों में होगी भीषण बारिश
कड़ाके की ठंड की होने वाली है एंट्री! यूपी-हरियाणा में घने कोहरे का अलर्ट तो इन 11 राज्यों में होगी भीषण बारिश
ट्रंप का अमेरिका में मास डिपोर्टेशन का प्लान, लेकिन 1 करोड़ 10 लाख लोगों को निकालना नहीं आसान
ट्रंप का अमेरिका में मास डिपोर्टेशन का प्लान, लेकिन 1 करोड़ 10 लाख लोगों को निकालना नहीं आसान
Embed widget