एक्सप्लोरर

एक तरफ सेना की तैनाती, दूसरी तरफ शांति वार्ता... भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 19वीं बैठक से जानें क्या हुआ हासिल

चीन और भारत के कोर-कमांडर के बीच लगातार दो दिनों तक बातचीत हुई. हालांकि, यह 19वें दौर की वार्ता थी, लेकिन इसके पहले के 18 दौरों की तरह यह भी बेनतीजा रही. चीन अपनी चालाकी और हरकतों से बाज नहीं आ रहा और भारत अब पहले की तरह पीछे नहीं हट रहा है. इस बीच चीन से लगी सीमाओं पर सेना और आर्टिलरी काफी बड़ी तादाद में हैं और इसको और बढ़ाया जा रहा है. इस महीने के आखिर और अगले महीने की शुरुआत में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात के आसार हैं, लेकिन तब तक तनाव बना हुआ है. 

वार्ता होती रहे, यह है जरूरी

अगर हम कोर-कमांडर स्तर की मीटिंग की बात करें, तो चीन और भारत के बीच गलवान में जो स्टैंड-ऑफ हुआ था, उसके बाद ही से दोनों देशों की ये चाहत है कि डिबेट और डायलॉग से अपने विवादों को सुलझाया जाए और जो भी भ्रम है एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) को लेकर, उसे भी शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा लिया जाए. उसके बाद से ही भारत और चीन के बीच कई स्तरों की कई चक्र वार्ता चल चुकी है. अभी 13-14 अगस्त को जो वार्ता हुई, वह कोर-कमांडर स्तर की 19 वीं चक्र की वार्ता थी. बहुत वर्षों बाद ऐसा हुआ है कि लगातार दो दिनों तक वार्ता हुई है और जो संयुक्त बयान आया है, वह भी काफी सकारात्मक है. यह भी गौर करने की बात है कि दोनों ही देशों ने इस बात पर सहमति जताई है कि बहुतेरे बिंदुओं पर दोनों देशों के बीच जो असहमतियां हैं, उसे दूर किया जाए और कोई बड़ा समझौते का बिंदु न मिलने के बाद भी वार्ता को चलाते रहने और जल्द सहमति बनाने की कोशिश होती रहे. हम इस मसले को सुलझाएंगे और मनमुटाव को भुलाकर संबंधों को सकारात्मकता की ओर बढ़ाएंगे. 

चीन के धोखे से भारत का पुराना वास्ता

चीन के साथ भारत का वर्षों पुराना अनुभव कड़वा रहा है. चीन की सेना लगातार हरकत करती रही है और सीमा-रेखा का उल्लंघन भी. चीन की कथनी और करनी में काफी अंतर पहले भी देखने को मिला है. तो, भारत सरकार जानती है कि चीन को अगर कोई बात मनवानी है, उस पर दबाव डालना है, अपनी संप्रभुता को बचाने के लिए टर्म्स डिक्टेट करने हैं, तो सेना की आवश्यकता है. बीते कुछ वर्षों में हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर इतना बढ़िया हुआ है कि हेवी आर्टिलरी भी हम लोग कुछ ही समय में वहां पहुंचा सकते हैं. जो सैन्य जमावड़ा किया गया है, हथियार पहुंचे हैं, वह भारत की सुरक्षा के लिए है, किसी पर आक्रमण के लिए नहीं, तो किसी को डरने की जरूरत नहीं है. अभी जो वार्ता हो रही है, वह देपचांग और देमचौंग के पेट्रोलिंग पॉइंट जो हैं, भारतीय सेना चाहती है कि उसके दस्ते जाकर पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और 17 ए तक जाकर निगरानी करे कि कहीं सीमारेखा का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है.

चीन पिछली कुछ वार्ताओं से इस पर ना कर दे रहा है. वह चाहता है कि 2020 ईस्वी तक भारतीय सेना जैसे पेट्रोलिंग करती थी, वैसे ही करती रहे. हालांकि, हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर चूंकि बदला है, दुरुस्त हुआ है तो हम अब अपनी सीमाओं की आगे तक जाकर देखभाल कर सकते हैं. चीन इसी को नकारता है और पेंच यहीं फंसा है. पिछले महीने ही जकार्ता में अजीत डोवाल की चीन के एनएसए से भी मीटिंग हुई थी, अभी जोहानिसबर्ग में 23-24 को ब्रिक्स की मीटिंग भी होनी है, तो वहां संभावना है कि मोदी-जिनपिंग की मुलाकात हो. सितंबर में तो खुद भारत के दिल्ली में जी20 का समिट हो रहा है, 8 से 9 सितंबर के बीच, तो जब बड़े नेताओं की मुलाकात होगी तो भी ये मसला उनकी वार्ता का विषय हो सकता है और जल्द ही जो भी स्थिति एलएसी पर है, उसे सुलझा लिया जाएगा. हालांकि, चीन के इतिहास को ध्यान में रखते हुए भारत बस अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, ताकि चीन एक इंच भी आगे न बढ़ सके. 

चीन का सबसे बड़ा प्यादा पाकिस्तान पिट चुका

1962 का भारत कुछ और था, 2023 का कुछ और है. पंडित नेहरू की लीडरशिप के कुछ और मायने हैं, नरेंद्र मोदी की लीडरशिप कुछ और है. चीन के ऊपर विश्वास करना घातक हो सकता है. 1962 में जो गलतियां हमने कीं, उम्मीद करनी चाहिए कि वर्तमान सरकार उनको नहीं दोहराएगी. पंडित नेहरू को हार से अधिक चीन के धोखे का सदमा तो लगा था, जिससे आखिरकार उनकी मौत भी हो गयी. अब हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर काफी मजबूत है. भारत में एक मजबूत सरकार है, जो अपनी संप्रभुता को लेकर सजग है. कुछ साल पहले जब अनुच्छेद 370 का खात्मा हुआ था, तभी गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके को भी वापस लाने की बात हुई थी. चीन ने तिब्बत में भी कब्जा किया हुआ है और वहां मानवाधिकारों का हमेशा हनन होता है. चीन को अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए, जो हमेशा ही दूसरे देशों को मानवाधिकार पर उलाहना देता है. चाहे वह शिनजियांग हो, तिब्बत हो, ताइवान, मकाऊ की बात हो, चीन पहले तो अपने यहां प्रजातंत्र लाए और अपने यहां मानवाधिकार हनन बंद करे. इसके बाद दोनों देशों में आसानी से समझौते हो सकते हैं.

भारत का बलूचिस्तान या ग्वादर पोर्ट से पूरा लेना-देना है. यह सीपेक यानी चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर से लेना-देना है. यह कॉरिडोर पीओके औऱ गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर जाता है, जिस पर पाकिस्तान ने जबरन कब्जा किया हुआ है. इसीलिए, भारत हर बार इसका विरोध करता है, लेकिन चीन सारे अंतरराष्ट्रीय कानूनों को दरकिनार कर वहां ढांचा विकसित कर रहा है. केवल इसलिए कि उसके पास तेजी से तेल पहुंचने लगे. हालांकि, चीन ने लंगड़े घोड़े पर दांव लगाया है और वह जीतेगा नहीं. जिस तरह बलूचिस्तान के लोग मुखालफत कर रहे हैं, जिस तरह पाकिस्तान ने चीन के लिए पलक-पांवड़े बिछाए हैं, जितना निवेश चीन ने कर दिया है, उसमें पाकिस्तान तो चीन का गुलाम बन गया है और वह पाकिस्तानी नागरिकों पर भारी पड़ रही है. अधिकांश देश मान चुके हैं कि चीन पर भरोसा नहीं कर सकते. पाकिस्तान से जुड़े मामले जो हैं, वे हमारे राष्ट्रीय हित से जुड़े हैं, और उस पर भारत का लेना-देना तो है ही. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]  

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ABP Premium

वीडियोज

Maharahstra assembly elections 2024: महाराष्ट्र की 47 सीटों के नए Exit Poll में महायुति को मिल रही 38+ सीटें | Elections 2024Arvind Kejriwal News: Delhi चुनाव से पहले शराब घोटाले में केजरीवाल को बड़ा झटका! | ABP NewsBJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?बाबा बागेश्वर की 'सनातन हिन्दू एकता' पदयात्रा शूरू | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
Embed widget