चीन में जीरो कोविड पॉलिसी को बेरहमी से लागू करके एक क्रूर तानाशाह की छवि बना चुके ली कियांग देश के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं. उन्हें राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सबसे करीबी माना जाता है और कहा जा रहा है कि उन्हें इसी वफादारी का ईनाम मिला है. चीन में राष्ट्रपति के बाद प्रधानमंत्री ही दूसरा सबसे ताकतवर पद है, जो राज्य परिषद और केंद्रीय मंत्रिमंडल की अध्यक्षता करते हैं. वैसे तो कियांग को व्यापार समर्थक नेता माना जाता है, लेकिन कोविड के बाद देश की लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, फिलहाल उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी.


चीन की स्थापना के बाद से वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने हैं, जिनके पास केंद्र सरकार में काम करने का कोई अनुभव नहीं है. 63 बरस के ली कियांग ताउम्र पब्लिक सर्विस में ही रहे हैं. चीन की राजनीति में एक career bureacrat की इमेज रखने वाले कियांग ने साल 1983 में महज 24 साल की उम्र में कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ली थी और 43 साल के होते-होते वे Wenzhou प्रान्त में पार्टी के सचिव बन गए थे. पीएम बनने से पहले वे झेजियांग के गवर्नर और आर्थिक राजधानी कहलाने वाले शंघाई के पार्टी प्रमुख रह चुके हैं. प्रधानमंत्री के तौर पर ली कियांग का नाम खुद जिनपिंग ने प्रस्तावित किया था. उन्हें शी के इंटरनल सर्कल में एक व्यापार-समर्थक राजनेता कहा जाता है और शी के बाद  अब वे सीपीसी और सरकार के नंबर दो रैंक के अधिकारी होंगे. मौजूदा प्रधानमंत्री ली केछ्यांग का कार्यकाल इस वर्ष के एनपीसी सत्र के साथ समाप्त होगा. चीन की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के प्रस्तावों को नियमित रूप से देखनवाली चीनी संसद नेशनल पीपुल्स पार्टी की वार्षिक बैठक में ली कियांग की उम्मीदवारी को मंजूरी दी थी.पिछले साल अक्टूबर में एनपीसी की उसी बैठक में पीएम को तौर पर उन्हें नामित किया गया था.वे ली कछ्यांग के उत्तराधिकारी बने, जिन्होंने 10 सालों से दूसरी सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था की देखरेख की थी.


ली कियांग को चीन में पिछले दो सालों से चल रही जीरो कोविड पॉलिसी का जनक माना जाता है और उन्होंने इस पॉलिसी के तहत ही लॉकडाउन को बड़ी बेरहमी से लागू करवाया था. यही वजह है कि जनता के बीच उनकी छवि एक क्रूर तानाशाह की बन गई है. ली कियांग ने अपने गृह प्रांत झेजियांग में चार दशकों तक सेवा की और शी जिनपिंग के पार्टी सचिव बनने के दौरान वे पूर्वी चीन के औद्योगिक क्षेत्र के शीर्ष अधिकारी थे और इसी दौरान वो शी जिनपिंग के विश्वासपात्र बन गये. शी जिनपिंग ने ही ली कियांग को शंघाई का पार्टी प्रमुख प्रमोट किया था, हालांकि कोविड संकट के दौरान ली कियांग की उनकी क्रूर शैली के लिए काफी आलोचना की गई. फिर भी वो शी जिनपिंग के करीबी बने रहे और अब उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाया गया है. निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक ली कियांग ने 1982 में झेजियांग कृषि विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली और दशकों बाद 2005 में हांगकांग पॉलिटेक्निक विश्वविद्यालय से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिर्गी ली.


ली क़ियांग साल 2004 से 2007 तक शी जिनपिंग के chief of staff भी रहे हैं और विशेषज्ञ मानते हैं कि उनके राजनीति के शिखर तक पहुंचने की एक बड़ी वजह ये भी है.साल 2013 से 2016 तक Zhejiang के गवर्नर रहते हुए उन्होंने कारोबारियों को काफी बढ़ावा दिया और इसी से उनकी इमेज व्यापार समर्थक नेता की बन गई.शंघाई में पार्टी का इंचार्ज होने के नाते व्यापार को बढ़ावा देने के साथ ही उन्होंने विदेशी निवेश लाने में भी अहम भूमिका निभाई.अमेरिकी कंपनी टेस्ला ने पहली निकलकर अपने देश से बाहर निकलकर शंघाई में gigafactory लगाई,जिसे क़ियांग की उपलब्धि के तौर पर देखा जाता है.साल 2019 में उन्होंने शंघाई स्टॉक एक्सचेंज STAR Market की शुरुआत की,जिसे अमेरिका के NASDAQ की टक्कर का माना जाता है.


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