(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अरुणाचल के कई हिस्सों का नाम बदलकर भारत को उकसा रहा चीन, LAC विवाद के बीच और बढ़ेगी टेंशन
चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश में 11 जगहों के नाम बदलने की ये घटना नई नहीं है. अब इस विषय में क्या ही बोला जाए, क्योंकि ये पहली बार तो कर नहीं रहे हैं. चूंकि वो इसे विवादित क्षेत्र मानते हैं और वो उसे अपना मानते हैं, जो भारत के हिस्से में है. वो अपने हिसाब से अपनी जमीन पर जो कार्रवाई कर रहे हैं, वो कर रहे हैं. इस पर हमारी तरफ से प्रतिक्रिया होनी चाहिए. ऐसा उनको कोई हक नहीं है क्योकि ये भारत की जमीन है और यही सिलसिला चलेगा. चूंकि पिछली बार भारत की तरफ से काफी ठोस जवाब आया था, तो अब इस पर क्या विशेष कहा जाए? दोनों देशों के बीच विवाद चल रहा है तो उसी की प्रक्रिया में ये एक कदम है, जो चीन उठा रहा है.
चीन का ये पुराना पैंतरा
इसमें उकसाने वाली बात क्या है? यह कोई पहली बार तो हो नहीं रहा है. विदेश मंत्रालय में जो लोग हैं, वे तो इस बात से भली-भांति परिचित हैं कि चीन की ये पुरानी आदत है तो इसके ऊपर हमारी प्रतिक्रिया जाएगी. जो हमारे कब्जे में है, वो हमारे कब्जे में है. एक तरह से ये विवादित क्षेत्र को लेकर स्वाभाविक ही प्रतिक्रिया है कि दोनों ही देश जो जमीन का स्वामी खुद को समझते हैं, उसके आधिपत्य को लेकर उस हिसाब से कर रहे हैं. इसमें यही है कि दोनों देशों के ऊपर फिर एक तरह से विवाद है. हमें ध्यान देने की जरूरत है.
इसमें मुद्दा क्या भटकाना है, ये तो सीमा-विवाद है न. अब तो ये क्षेत्रीय विवाद भी है. पूरा अरुणाचल प्रदेश पर वो अपना कब्जा बताते हैं. देखिए, ये तो पुरानी बात है. समय-समय पर उठती है, हमारी तरफ से प्रतिक्रिया जाती है. जब तक मसला सुलझेगा नहीं, तब तक तो यह चलता रहेगा. इसमें तो यही है कि आप अपनी स्वाभाविक प्रतिक्रिया दीजिए और क्या किया जा सकता है.
और बढ़ सकती है टेंशन
अब तनाव तो बढ़ता ही है न. आपने एक और नया शोशा कर दिया. एक तरफ की आग बुझी नहीं कि आप दूसरी जगह पर भी शोशा छोड़ने लगे. तनाव की बात तो होती ही है, लेकिन ये नयी बात नहीं है, मैं ये कहने की कोशिश कर रही हूं. दोनो देशों के रिश्ते तो खटाई में हैं ही. सीमा पर तो खींचातानी चल ही रही है.
कुछ साल से तो हम देख रहे हैं. एक तरह से चीन का जो हावी होने का रुख हम देख रहे हैं वो है हीं. वो हम सामने देख रहे हैं. अब इसमें तो नाम का भी वो एक आयाम डाल दे रहा है. खींचातानी तो चल ही रही है.
स्थिति काफी नकारात्मक है
इसमें हमको करना क्या है? हमें तो इसे पूरी तरह नकार देना है, हमको इसका विरोध करना है, खंडन करना है. इसके अलावा और हो क्या सकता है..इसमें नाम के अलावा ऐसा तो है नहीं कि वे घुस आए हैं. तो हमें बस इसको पूरी तरह नकार देना है. मैं तो बस यहां नामों की बात कर रही हूं. बाकी तो झड़प वगैरह चल ही रही है. ओवरऑल जो एक सिचुएशन है, वो बहुत निगेटिव है. अभी दोनों देश उसको बातचीत से हल करने की कोशिश कर रहे हैं.
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]