जिनपिंग की तीसरी ताजपोशी से दुनिया के लिए कितना खतरनाक हो जाएगा चीन !
दो दिन बाद यानी 16 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तीसरी बार ताजपोशी होने वाली है लेकिन उससे पहले ही उन्होंने अपनी तानाशाही वाले तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. अपने ख़िलाफ़ शुरु हुई बग़ावत को कुचलने के लिए जिनपिंग ने कोरोना महामारी को लोगों के ख़िलाफ़ एक हथियार के रुप में इस्तेमाल करते हुए कई शहरों में पूर्ण लॉक डाउन लगा दिया है. पूरे देश में 14 लाख लोगों को अपराधी बताते हुए जेलों में ठूंस दिया है. चीन की ये तस्वीर बताती है कि तीसरी बार सत्ता की कमान संभालने वाले जिनपिंग भारत समेत पूरी दुनिया के लिए कितने खतरनाक तानाशाह साबित होने वाले हैं.
जेल में डाले गए लाखों लोगों को अपराधी करार दिया गया है लेकिन जानकारों का कहना है कि जिनपिंग का विरोध करने के चलते उन्हें कैद किया गया. जिनपिंग पर आरोप है कि वह अपने खिलाफ लोगों की आवाज दबाने के लिए कोरोना लॉकडाउन के प्रतिबंधों को जबरन लागू करने का सहारा ले रहे हैं. ट्विटर पर वायरल तस्वीरों से साफ पता चलता है कि चीन की आबादी का बड़ा हिस्सा जिनपिंग का विरोध कर रहे हैं. लोगों ने उनके विरोध में बैनर लगाना शुरू कर दिया है. इसमें जीरो कोविड नीति को खत्म करने, सीपीसी के नेता को उखाड़ फेंकने और राष्ट्रपति शी जिनपिंग को हटाने का आह्वान किया गया है.
दरअसल, चीन में हर पांच साल में एक बार होने वाली कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की बैठक 16 अक्टूबर होनी है, जिसमें जिनपिंग को राष्ट्रपति के तौर पर तीसरा कार्यकाल मिलना तय माना जा रहा है, लेकिन उससे पहले ही लोगों का ये विरोध बताता है की वे जिनपिंग की मनमानी नीतियों से आज़िज़ आ चुके हैं. अगर इस बार राष्ट्रपति के तौर पर उनकी ताजपोशी होती है, जिसकी पूरी संभावना है, तो शी जिनपिंग मरते दम तक चीन के राष्ट्रपति रहेंगे. लोगों को यही डर है कि तब उनकी तानाशाही और भी ज्यादा बढ़ जाएगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिनपिंग के खिलाफ विद्रोह को दबाने के लिए कई शहरों में फिर से कोरोना लॉकडाउन लगा दिया है. कई शहरों में यात्रा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. उत्तर चीन के शांक्सी प्रांत के फेनयांग शहर सहित अन्य कई शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है. शंघाई में करीब ढाई करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया है और चीन के कई शहरों में स्कूल और पर्यटन स्थल भी बंद किए गए हैं.
देश के प्रमुख शहरों में लोगों द्वारा लगाए गए बैनरों में साफ लिखा है "हम कोविड टेस्ट नहीं चाहते हैं, हम खाना चाहते हैं, हम लॉकडाउन नहीं चाहते हैं, हम मुक्त होना चाहते हैं, " दरअसल, चीन की जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर पहले से ही लोगों में रोष था. क्योंकि इसके कारण लोगों को बार-बार लॉकडाउन का सामना करना पड़ रहा था. अब खुलकर लोगों की नाराजगी सोशल मीडिया पर नजर आने लगी है.
लेकिन पुलिस-प्रशासन अब चीनी सोशल मीडिया पर जिनपिंग के खिलाफ गुस्सा जाहिर करने वाली तस्वीरों को सेंसर कर रहा है. राष्ट्रपति जिनपिंग के खिलाफ तानाशाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए पोस्टर बनाए जा रहे हैं और लोगों से हड़ताल करने की अपील की जा रही है. पोस्टरों में कोरोना टेस्ट का विरोध करने का भी आह्वान किया गया. दरअसल, चीनी जनता का आरोप है कि कोरोना टेस्ट के नाम पर उन्हें टॉर्चर किया जा रहा है.
वैसे भी चीन की जनता ओस बात को लेकर हैरान-परेशान है कि एक तरफ पूरी दुनिया में जब कोरोना के मामले घट रहे हैं तब चीन में केस आखिर क्यों बढ़ रहे हैं? इसीलिए शी जिनपिंग के इरादे पर शक किया जा रहा है. माना जा रहा है कि जिनपिंग को इस बात का शक है कि जब उनके तीसरे कार्यकाल की दावेदारी पर मुहर लगने जा रही है, तब उनके खिलाफ बगावत हो सकती है. इसलिए विद्रोह को दबाने के लिए जिनपिंग लोगों पर जबरन लॉकडाउन थोप रहे हैं.
लेकिन जिनपिंग का तीसरी बार राष्ट्रपति बनना सिर्फ वहां की जनता के लिए ही नहीं बल्कि भारत के लिए भी शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है. जानकार मानते हैं कि इसके बाद भारत चीन बॉर्डर पर तनाव औऱ ज्यादा बढ़ जाएगा. ये भी माना जा रहा है कि जिनपिंग औऱ ताकतवर हो जाने के बाद LAC पर कोई नया विवाद छेड़ने से बाज नहीं आने वाले हैं. वैसे भी चीन, भारत की सेना को हिमालय में उलझाए रखना चाहता है, ताकि वो समंदर में अपना खेल खुलकर कर सके.
चीन ने साल 2035 तक एक हाईवे बनाने का लक्ष्य रखा है जिसका नाम है G695...ये 4. 61 लाख किलोमीटर का मोटर हाईवे होगा, जो तिब्बत, नेपाल और कुछ भारतीय इलाकों से होकर गुजरेगा. जाहिर है इस पर भी हर हाल में दोनों देशों के बीच विवाद होना तय है.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (National Security Strategy) को लेकर जारी अपनी रिपोर्ट में चीन को लेकर चिंता जाहिर की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के लिए चीन तो रूस से भी बड़ा खतरा नजर आ रहा, जो पूरी दुनिया के समीकरण पलट सकता है. दरअसल, राष्ट्रपति बाइडेन की टीम ने चीन को अमेरिका का इकलौता प्रतिद्वंदी बताया है. हालांकि, उसने यह भी कहा है कि अमेरिका चीन के साथ आगे संघर्ष नहीं तलाश रहा है. वहीं, बाइडेन की टीम ने रूस को ऐसा खतरा बताया है, जिसके कारण एक नई रक्षा रणनीति बनाने पर मजबूर होना पड़ सकता है.
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के 48 पन्नों के इस नए सार्वजनिक दस्तावेज में हालांकि चीन और रूस को एक-दूसरे के साथ तेजी से गठबंधन करने वाले देशों के रूप में बताया गया है, लेकिन यह भी कहा गया है कि दोनों देश अलग-अलग चुनौतियां पेश करते हैं. कुल मिलाकर चीन में जिनपिंग को तीसरा कार्यकाल मिलना भारत समेत दुनिया के लिए एक बड़े खतरे की घंटी के रुप में ही देखा जा रहा है.
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