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लड़ाकू विमानों से भी ज्यादा ऊंचाई पर उड़ सकता है चीन का जासूसी गुब्बारा, संवेदनशील ठिकानों का पता लगाने में सक्षम

संदिग्ध जासूसी गुब्बारे को लेकर चीन और अमेरिका आमने-सामने है. इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी वायुसेना ने दक्षिणी कैरोलिना तट पर एक जासूसी गुब्बारे को मार गिराया था. हालांकि, चीन ने पहले इसे वेदर गुब्बारा कर दिया था, लेकिन अब अमेरिका ने दावा किया है कि उस शूट किए गए गुब्बारे का मलबा अटलांटिक महासागर से बरामद किया गया है, और उसमें इलेक्ट्रोनिक संसर्स लगे हुए थे. ये नॉर्मल बैलून के मुकाबले अलग और हाई टेक्नोलॉजी का होता है.

इसमें कोई आदमी नहीं होता. साधारणतया रिक्रिएशन या तफरीह के लिए जो बैलून होते हैं, कंपीटीशन भी जिनके होते हैं, उसमें एक टोकरा टाइप का नीचे होता है, जिसमें कोई आदमी भी बैठकर डायरेक्ट कर सकता है. लेकिन उसमें कोई व्यक्ति नहीं होता है. ये वाले जो गुब्बारे होते हैं वो काफी ऊंचाई पर उड़ सकते हैं, करीब 60 हजार फीट तक जा सकते हैं जबकि एयरलाइंस भी 4 हजार फीट से ऊपर नहीं जाती है. बहुत सारे लड़ाकू जहाजों की क्षमता भी 60 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ने की नहीं होती है.

ऊंचाई ज्यादा, जासूसी में सक्षम

जासूसी गुब्बारा रेडार को चकमा देने में कामयाब रहता है. इसके अलावा, हाई टेक्नॉलोजी होने के चलते इसको रिमोट के जरिए भी कंट्रोल किया जा सकता है. तीसरी बात ये कि क्योंकि ये बहुत धीमी गति से चलता है और इसमें ये क्षमता रहती है कि किसी एक एरिया के ऊपर काफी देर तक खड़ा रह सकता है. इसलिए अगर किसी खास एरिया की अच्छी मैपिंग या स्टडी करना चाहते हैं तो उसके लिए यह काफी प्रभावी रहता है.

अगली बात ये है कि इसमें सैकड़ों किलो के इंस्ट्रूमेंट्स लगा सकते हैं, जिससे आप जासूसी कर सकते हैं. आप फोटो ले सकते हैं. आप जो वहां सिग्नल्स घूम रहे हैं, उनका स्टडी या इंटसेप्ट कर सकते हैं.

रेडार को चकमा देने में कामयाब
अक्सर हमने ये देखा है कि जो इस तरह के गुब्बारे होते हैं वे जहाज की तुलना में आवाज नहीं करते, बल्कि बहुत ही धीमी गति से चलते हैं, इसलिए रेडार से इनका मॉनिटरिंग करना बहुत मुश्किल हो जाता है. उस हिसाब से ये जासूसी के लिए एक अच्छा इंस्ट्रूमेंट्स है. वेदर के पैटर्न की स्टडी करने के लिए भी किया जाता है. इसलिए वैदर बैलून भी कहा जाता है.

आपको याद होगा काबुल में अमेरिकी सेना ने छह या आठ बैलून छोड़े हुए थे. इसके लिए वे सारा पता लगा सकते थे कि कौन सी गाड़ी कहां जा रही है, कहां पर क्या गतिविधियां है. एक लिहाज से ये काफी प्रभावशाली इंस्ट्रूमेंट्स है. लेकिन काफी आसान नहीं है इसका इस्तेमाल करना. अमेरिका और चीन के पास ये जासूसी बैलून है. भारत के पास ये है या नहीं इसके बारे में अभी पुख्ता कोई जानकारी नहीं है.

चीन ने किया बचाव

चीन ने अमेरिका पर अब आरोप लगाया है कि उसने भी 10 बैलून चीनी क्षेत्र में भेजे थे. लेकिन ये अपना एक तरह से बचाव करना है. उसका किसी तरह का कोई प्रमाण नहीं है. हो सकता है कि अमेरिका ने किया हो और चीन चुप रहा है. लेकिन ये चीन का बयान काफी बचकाना है. जबकि, अमेरिका का ये दावा कि भारत या फिर खाड़ी देशों के ऊपर चीन का जासूसी बैलून उड़ा, इस पर सवाल उठ रहा है. क्योंकि जब उनके यहां ही उड़ रहे चीन के जासूसी बैलून के पता लगाने में इतना वक्त लग गया तो फिर भारत को लेकर उनके दावे पर कुछ नहीं कहा जा सकता है. हो सकता है कि ऐसा हुआ भी हो. लेकिन, अमेरिका को भारत के ऊपर क्या हो रहा था, ये पता था तो उनके खुद के ऊपर हुआ तो फिर क्यों नहीं समय रहते पता चला.

इस जासूसी बैलून से कई चीजों को पता लगाया जा सकता है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें क्या-क्या इंस्ट्रूमेंट्स डाले गए हैं. उसके हिसाब से आप सारा कुछ मुआयना कर सकते हैं.

सैटेलाइट चूंकि अंतरिक्ष में जाती है इसलिए उससे जियो मैपिंग करना काफी आसान काम है. लेकिन, गुब्बारे या जो जहाज हैं, वो किसी दूसरे देश की एयर स्पेस में मंडरा रहा हो तो वो एक घटना बन जाता है, क्योंकि उस देश की इजाजत के बिना इस तरह की हरकतें नहीं कर सकते हैं.

अगर किसी देश को ये पता चल जाए कि ये काम हो रहा है तो उस देश के पास ये अधिकार रहता है कि वो उसको मार गिराए. अमेरिका कर सकता था लेकिन इसे काफी देर बाद किया. सवाल ये उठ रहा है कि वो इस तरह का गुब्बारा था, जो इन्फॉर्मेशन इकट्ठी कर रहा था और जब उतारा जाता तो उससे इन्फॉर्मेशन निकाली जाती या फिर सिग्नल के जरिए चीजें भेजी जा रही थी.

सूचनाएं इकट्ठी करना एकमात्र मकसद

सवाल ये भी उठ रहा है कि अमेरिका जो तकनीकी तौर पर सुपर पावर है वो क्या जासूसी गुब्बारे के सिग्नल को इंटरसेप्ट नहीं कर पाए. अब ये जरूर होगा कि जहां पर खामियां रही उसे भरा जाएगा. लेकिन इस घटना से चीन-अमेरिका के बीच जो तनाव था वो पहली की तुलना में अब और बढ़ गया है.

इन गुब्बरों को उड़ा कर चीन वही करना चाह रहा है जो वो कर सकता है. सूचनाएं इकट्ठी कर रहा है. इंटेलिजेंस क्षमता बढ़ा रहा है. यूरोप, मालदोवा या रोमानिया में जो गुब्बारा दिखा वो चीन उड़ा रहा है या फिर वो रूस उसे उड़ा रहा है या फिर वो रूस गुब्बारा है, इस पर अभी स्थिति साफ नहीं है. सिर्फ अमेरिका ने बोल दिया कि ये चीन का गुब्बारा है तो ये स्पष्ट नहीं है कि वहां पर कौन उड़ा रहा है.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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