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चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

CAA को लेकर फैलायी गयी अफवाहें, आज इसके लागू होने पर पूरे देश में खुशी का माहौल

सरकार को ओर से नागरिकता संशोधन बिल का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. इसके साथ ही देश में सीएए लागू हो गया है. सरकार की ओर से भी कहा जा रहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन बिल को लागू कर दिया जाएगा. यह काफी स्वागत योग्य कदम है. जो पाकिस्तानी हिंदू वहां से प्रताड़ित होकर अपने मुल्क हिंदुस्तान में वापस आए हैं. उनको अब नागरिकता दी जाएगी. पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने भी कहा था कि जब भी कोई हिंदू भारत आना चाहताहै, तो वो वापस आ सकता है. ये उनका मुल्क है. लेकिन बाद में जो लोग आए उनको किसी वजह से भारत की नागरिकता भारत नहीं मिल पाई. वे बिना पहचान के इस देश में रह रहे हैं. उनको वर्तमान की सरकार ने नागरिक बनाने का काम किया है. उन्हें देशवासी बनाने का काम किया गया है.

तमाम बाधाएं पार कर लागू CAA

पूरे देश के लोग इस कदम को सराहनीय बता रहे हैं. आज भले ही सीएए को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है, लेकिन इसको लागू करने में सरकार की बहुत सी समस्या झेलनी पड़ी. 2019 में आई सीएए को लागू करने में इतने साल का वक्त लग गया. जानकारों का कहना है कि कानून की कुछ अड़चनें होती है. सारी प्रक्रियाओं को पालन करते हुए इस कानून को लागू करना था, क्योंकि लोग इसको लेकर लगातार नजर बनाए हए थे. सभी का ध्यान सीएए पर था. कुछ लोगों ने वोटों के लिए, तुष्टीकरण के लिए इसका राजनीतिक उपयोग भी किया.

कुछ लोगों ने मुसलमानों को भी भाजपा और सरकार के विरुद्ध भड़काया . बाद में भाजपा और सरकार ने उन लोगों को समझाया कि यह कानून जो है उससे किसी को नागरिकता देने के लिए है ना कि उनकी नागरिकता लेने की. बाद में जब उनको ये समझ आ गया तो बाद में उनको लगा कि वो लोग आखिरकार आंदोलन क्यों किए . मुसलमान भी चाहते हैं कि जो यहां के लोगों ने उनको पहचान दी है वो बरकरार रहे. जब देश का बंटवारा हुआ तो से उनका अधिकार था कि उनको कहां रहना है, और उन्होंने हिंदुस्तान को चुना. उस समय हिंदुओं ने मुसलमानों को भारत में भी रखा. उनको समाज में बराबर का हक दिया. रोजगार से लेकर अन्य जगहों पर सहयोग किया.

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पाकिस्तान में अल्पसंख्यक नहीं बनते राष्ट्रपति

पाकिस्तान में जो अल्पसंख्यक यानी कि हिंदू हैं. वहां के लोग कभी राष्ट्रपति नहीं बन सकते, लेकिन भारत के कई अल्पसंख्यक देश के उच्च पद तक पहुंचे हैं, यानी कि राष्ट्रपति तक बने हैं. ये अवसर है कि जो पाकिस्तान के अल्पसंख्यक है. जो हिंदू है उनको भारत में आने के बाद नागरिकता मिल सके. ये खुशी का अवसर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के गृहमंत्री अमित शाह के प्रयास से जो यह लागू हुआ है इसका पूरा देश स्वागत कर रहा है. नोटिफिकेशन जारी होने के बाद देश के विभिन्न जगहों पर खुशियां भी मनाई गई. नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही विपक्ष ने यह आरोप लगाया कि यह कानून इसलिए अभी लागू किया गया क्योंकि पूरे देश में लोकसभा का चुनाव आनेवाला है.

हालांकि, सत्तापक्ष का कहना था कि देश में कांग्रेस की सरकार करीब 70 साल तक थी. उस समय के आए लोगों को अभी तक कोई नागरिकता नहीं मिली पाई. लेकिन उस समय ना तो कानून आया और ना ही किसी को नागरिकता दी गई. कांग्रेस चाहती तो ये मौका छीन सकती थी, लेकिन उस समय इनको ये सब नहीं दिखा. सत्ता के नशे में इतने मस्त थे कि कांग्रेस को ना तो जवान दिखे, ना गरीब दिखे और ना ही किसान दिखे. और जब आज की सरकार पुराने मुद्दे को सही कर रही है तो कांग्रेस और विपक्ष के लोग बात को उलझा रहे हैं. लेकिन अब देश उलझने वाला नहीं है अब देश बहुत आगे निकल चुका है.

सीएए को अब समझ गयी जनता

सीएए कानून जब 2019 में आया तो उस समय जमकर इसका विरोध हुआ. कानून को ध्यान में रखकर कई जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था को भी पुख्ता किया गया. शाहीनबाग भी उनमें से एक था. तो क्या अब इसको जनता पूरी तरह से समझ चुकी है. कांग्रेस और विपक्षी दलों ने मुसलमानों को काफी गुमराह किया. मुसलमान भारत में हिंदू के कभी विरोध में नहीं रहा है, क्योंकि मुसलमानों को भी पता है कि वो अगर सुरक्षित है या विश्व में कभी मुसलमान सुरक्षित है तो वो पूरी तरह से भारत में है. पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर मुल्क बना था. वहां आज लोग सुरक्षित नहीं है. बेरोजगारी अधिक है. महंगाई की मार झेल रहे हैं और पाकिस्तान में रहना मुश्किल है. मुसलमानों ने कभी भी हिंदू को नागरिकता देने का विरोध नहीं किए है.

विपक्षियों ने ऐसी अफवाह फैलायी थी  कि एक जहाज से हिंदू पाकिस्तान से आएंगे और उसी जहाज से मुसलमान को पाकिस्तान भेजा जाएगा. यहां का कोई भी मुसलमान पाकिस्तान नहीं जाना चाहता. इसलिए मुसलमान पूरी तरह से डरे थे. बाद में सरकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सबको बताया कि बिलकुल भी ऐसा नहीं है. किसी का नागरिकता नहीं ली जाएगी. बल्कि नागरिकता दी जाएगी. अगर फिर भी कोई इसका विरोध करता है तो देश की जनता उसको अच्छे से जवाब चुनाव में और सड़कों दोनों जगहों पर देगी. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

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