एक्सप्लोरर

75 बरस पहले वाली उस मोहब्बत को आख़िर किसने लगा दी "नापाक नजर?

देश में इस वक़्त जो कुछ हो रहा है या जैसा माहौल बनाया जा रहा है, उसके लिए कट्टरपंथी ताकतें तो जिम्मेदार हैं ही लेकिन हमारी सियासत को भी ये देखना होगा कि हर पत्थर का जवाब हर बार ईंट से देने की बजाय ऐसे रास्ते तलाशने होंगे, जो समाज व देश के माहौल में कोई कड़वाहट न लाएं. कल शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने के बाद दिल्ली समेत देश के 10 राज्यों में जो हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले हैं, वे अफसोसजनक होने के साथ ही बरसों पुरानी हमारी गंगा-जमुनी तहज़ीब के उस महीन धागे के टूटने का भी इशारा कर रहे हैं.

लेकिन मेरा आज भी इस पर भरोसा है, जो आगे भी रहेगा कि किसी भी एक व्यक्ति के गैर जिम्मेदाराना बयान देने भर से इस मुल्क में लोगों का आपसी भाईचारा इतनी आसानी से कभी खत्म नहीं हो सकता. दुनिया में सियासत की अपनी जगह है लेकिन वो इंसानियत पर कभी हावी हो ही नहीं सकती. जुमे की नमाज के बाद दिल्ली में हुए उग्र प्रदर्शन के बारे में आम कारोबारी मुसलमान क्या सोचता है, इसकी टोह लेने के लिए देर शाम मैंने अपने इलाके के उन दो ढ़ाबेनुमा रेस्तरां का रूख किया, जो वेस्ट दिल्ली में भी ओल्ड दिल्ली का स्वाद  देकर लोगों की जबान संतुष्ट कर रहे हैं. दोनों के ही मालिक मुस्लिम हैं और दोनों ही जगह हलाल का मीट परोसा जाता है. 

कट्टरवादी हिंदूवादी संगठन ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि दिन भर में तकरीबन एक लाख रुपये का खाना बेचने वाले इन छोटे-से रेस्तरां के 99 फीसदी ग्राहक हिन्दू हैं और इनमें भी ज्यादातर लोग फोन पर ही आर्डर देकर घर में खाना मंगा लेते हैं. उन्हें इससे कोई वास्ता नहीं कि पैगम्बर मोहम्मद के बारे में ऐसा किस मकसद से बोला गया लेकिन कहते हैं कि दुख तो होता है लेकिन कुछ कहें भी तो  किससे क्योंकि हमारे तो सारे कस्टमर ही हिन्दू हैं,जिनसे सालों पुराना वास्ता है.

प्रीतम सिंह और मोहम्मद असगर की कहानी
चलिये, अब थोड़ा इतिहास के फ्लैशबैक में चलते हैं. 15 अगस्त 1947 को भारत का बंटवारा हो जाता है. उस समय के दो राजनेता एक देश को दो हिस्सों में बांटकर अपने अहंकार के पूरे होने का जश्न मनाते हैं, ये जानते हुए भी इसमें कितने बेगुनाहों का लहू बहता हुआ, उन्हें दिख रहा है. एक तरफ़ हिंदुस्तान कहलाने वाला महात्मा गांधी का भारत बन जाता है, तो महज चंद किलोमीटर के फ़ासले पर क़ायदे-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना का पाकिस्तान बन जाता है. अगले दिन यानी 16 अगस्त को भी अमृतसर से लाहौर पहुंचने वाली हर ट्रेन का भी वही मंज़र था, जो लाशों से भरी हुई थीं. 

लेकिन इस वक़्त हमारे देश में जो माहौल बन रहा है या बनाया जा रहा है,वो गलत तो है. लेकिन 75 बरस पुराने इतिहास पर अगर कोई गौर करेगा, तो वो कभी हिंसा को अपना औजार नहीं बनाएगा. उसी 16 अगस्त को लाहौर के राशनिंग इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह को अपनी पत्नी और बहन के साथ अपनी कमाई हर चीज को वहां छोड़कर अपने वतन लौटने की मजबूरी थी.  वे अपनी डायरी में लिखते हैं कि "अगर वो तांगेवाला मोहम्मद असगर नहीं होता, तो हम तीनों ही दंगाईयों के हाथों वहीं मारे जाते. उसने मेरी पत्नी व बहन के लिए बुर्के का इतंजाम किया और मुझसे कहा कि, सरदार साहब, माफी चाहता हूं लेकिन अगर आप अपनी पगड़ी हटाकर इस टोपी को पहन लेंगे,तो मैं सही-सलामत आप लोगों को लाहौर रेलवे स्टेशन तक पहुंचा दूंगा." 

वे आगे लिखते हैं कि पूरे रास्ते भर आधा दर्जन से भी ज्यादा जगह पर वहां के दंगाइयों/पुलिस ने तांगा रोका लेकिन उसने किसी भी तरह की तलाशी लेने से पहले ही कह दिया कि इसमें अब्बूजान-अम्मी और मेरी आपा हैं. लाहौर स्टेशन पर सही सलामत पहुंचने के बाद प्रीतम सिंह ने उस तांगेवाले असगर से पूछा कि बरखुरदार ,तुमने मुझ पर इतनी मेहरबानी क्यों की? उसका जवाब था कि "शायद आप भूल गये लेकिन जब आप मेरे परिवार का राशन कार्ड बनाने की तफ़्तीश के सिलसिले में मेरे घर आये थे, तो आपने मुझे मेरी पत्नी या बच्चों की नुमाइश पेश करने की फरमाइश करने की बजाय सिर्फ ये कहा था कि "मुझे इहलाम है कि एक सच्चा मोमिन कभी झूठ नहीं बोल सकता." उसी वक़्त मैंने और मेरी  बेगम ने तय कर लिया था कि अग़र कोई मुसीबत आई, तो सबसे  पहले मैं आपके साथ खड़ा दिखूंगा.

वे आगे लिखते हैं कि उसने हम तीनों को अमृतसर जाने वाली गाड़ी में बैठा दिया. जब ट्रेन चलने लगी, तो  उस असगर को प्लेटफॉर्म पर घुटनों के बल फफकते हुए रोते देखकर सिर्फ यही अहसास हुआ कि इस दुनिया में सियासत से ज्यादा बुरी कोई और शेय नहीं, जो इंसान को इंसान से जुदा करती है और फिर उससे नफ़रत पैदा करने का माहौल बनाती है. इसलिये उन्हीं प्रीतम सिंह की दास्तान के बहाने सवाल पूछता हूं कि 75 बरस पहले जब नफ़रत की उस उफनती हुई आग में भी मुहब्बत जिंदा थी, तो वो अब क्यों नहीं हो सकती? 

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

DeepSeek: भारत-चीन युद्ध, अरुणाचल, जिनपिंग... जब पूछे ये सवाल तो ड्रैगन का AI हो गया खामोश 
भारत-चीन युद्ध, अरुणाचल, जिनपिंग... जब पूछे ये सवाल तो ड्रैगन का AI हो गया खामोश 
बीजेपी का कौन-सा नेता सबसे ज्यादा पसंद है? केजरीवाल ने abp न्यूज पर किया खुलासा
बीजेपी का कौन-सा नेता सबसे ज्यादा पसंद है? केजरीवाल ने abp न्यूज पर किया खुलासा
अरविंद केजरीवाल का निशाना, 'अमित शाह, राहुल गांधी और नायब सैनी को यमुना के पानी का बोतल भेज रहे हैं, वे...'
अरविंद केजरीवाल का निशाना, 'अमित शाह, राहुल गांधी और नायब सैनी को यमुना के पानी का बोतल भेज रहे हैं, वे...'
Budget 2025: पूर्ण और अंतरिम बजट में क्या होता है अंतर, जान लीजिए अपने काम की बात
पूर्ण और अंतरिम बजट में क्या होता है अंतर, जान लीजिए अपने काम की बात
ABP Premium

वीडियोज

ABP Shikhar Sammelan : महाकुंभ में VIP कल्चर को लेकर Manish Sisodia का बड़ा बयानDELHI Shikhar Sammelan : Congress के साथ रहेगी AAP? Kejriwal का जवाब सुनकर सब हैरान!  ABP NewsABP Shikhar Sammelan: Congress के साथ रहेगी AAP? Kejriwal का जवाब सुनकर सब हैरान! | ABP NewsElvish Yadav से Kitchen में क्या चुराएंगी Rubina? Laughter Chefs 2 में क्या ला रही हैं Fresh?

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
DeepSeek: भारत-चीन युद्ध, अरुणाचल, जिनपिंग... जब पूछे ये सवाल तो ड्रैगन का AI हो गया खामोश 
भारत-चीन युद्ध, अरुणाचल, जिनपिंग... जब पूछे ये सवाल तो ड्रैगन का AI हो गया खामोश 
बीजेपी का कौन-सा नेता सबसे ज्यादा पसंद है? केजरीवाल ने abp न्यूज पर किया खुलासा
बीजेपी का कौन-सा नेता सबसे ज्यादा पसंद है? केजरीवाल ने abp न्यूज पर किया खुलासा
अरविंद केजरीवाल का निशाना, 'अमित शाह, राहुल गांधी और नायब सैनी को यमुना के पानी का बोतल भेज रहे हैं, वे...'
अरविंद केजरीवाल का निशाना, 'अमित शाह, राहुल गांधी और नायब सैनी को यमुना के पानी का बोतल भेज रहे हैं, वे...'
Budget 2025: पूर्ण और अंतरिम बजट में क्या होता है अंतर, जान लीजिए अपने काम की बात
पूर्ण और अंतरिम बजट में क्या होता है अंतर, जान लीजिए अपने काम की बात
Devoleena Bhattacharjee Mandir Visit: बेटे जॉय को लेकर सिद्धिविनायक मंदिर पहुंचीं देवोलीना भट्टाचार्जी, बोलीं- जय गजानन
बेटे जॉय को लेकर सिद्धिविनायक मंदिर पहुंचीं देवोलीना भट्टाचार्जी , बोलीं- जय गजानन
अर्ली चाइल्डहुड केयर एजुकेशन में बड़े बदलाव की दी गई सलाह, सरकार को भेजी गई ये रिपोर्ट
अर्ली चाइल्डहुड केयर एजुकेशन में बड़े बदलाव की दी गई सलाह, सरकार को भेजी गई ये रिपोर्ट
रील बनाने के लिए हठयोग वाले बाबा की नकल कर रहा था युवक, सामने से पड़ गया जोरदार तमाचा- वीडियो वायरल
रील बनाने के लिए हठयोग वाले बाबा की नकल कर रहा था युवक, सामने से पड़ गया जोरदार तमाचा- वीडियो वायरल
एक घंटे का कितना लोगी? जब कोठे पर पहुंचा 'टपु', इस वेब सीरीज में तारक मेहता के एक्टर ने कर दी सारी हदें पार
एक घंटे का कितना लोगी? जब कोठे पर पहुंचा 'टपु', इस वेब सीरीज में तारक मेहता के एक्टर ने कर दी सारी हदें पार
Embed widget