कुत्ते ऐसे तो हिंसक नहीं होते. दरअसल कुत्ते भेड़िये के वंशज होते हैं. ये झुंड में काम करते हैं. झुंड में शिकार करते हैं. जब आवारा कुत्ते किसी छोटे बच्चे को देखते हैं तो उनको लगता है कि ये खाने का सामान है. आकार छोटा होने की वजह से कुत्तों को लगता है कि बच्चे पर अटैक कर सकते हैं.


आवारा कुत्तों से मासूमों की जान जा रही है. ये बेहद गंभीर मामला है. सरकार भी आवारा कुत्तों से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. जैसे एबीसी यानी एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम होता है. इसके जरिए आवारा कुत्तों का नसबंदी या बंध्याकरण किया जाता है. ऐसा करने से कुत्तों की आबादी कम होती है और कुत्तों में अग्रेशन या हिंसक प्रवृत्ति भी कम हो जाती है. अग्रेशन कम होने की वजह से वो कुत्ता काटेगा नहीं. उसके बाद वो इंसान या किसी और जानवर को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. बच्चों को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए ये सबसे बेहतर तरीका है.


मैं कहना चाह रहा हूं कि अगर कोई सोसायटी है और उसमें कुत्ते हैं. अगर ये पता हो कि उनमें से दो-चार कुत्ते ऐसे हैं जो ज्यादा काटते हैं, तो हम किसी एनजीओ की मदद से उनका स्थानांतरण कर दे. उन कुत्तों का पुनर्वास करके वहां से हटा सकते हैं. जानवरों की मूल प्रवृत्ति ये होती है कि अगर हम उसको प्यार करेंगे तो वो प्यार करेगा. समस्या तब आती है जब वो हिंसक हो जाता है. पालतू कुत्ता भी हिंसक हो जाता है तो ये इंसानों के लिए नुकसानदायक है. ऐसे केस में उन कुत्तों का स्थानांतरण या पुनर्वास किया जाना चाहिए. उन कुत्तों को ऐसी जगह शिफ्ट किया जा सकता है, जहां ट्रेन्ड लोग हों और कुत्तों को जीवन भर खाना मिल सके. इससे इंसानों के लिए खतरा भी कम हो जाएगा और कुत्ते भी आराम से रह सकेंगे.


हमारे देश में आवारा कुत्तों को पूरी तरह से हटाना संभव नहीं है. कुत्तों को लेकर जो नियम हैं, उसके मुताबिक सभी कुत्तों को एकदम से नहीं हटा सकते. नियम है कि आप हर कुत्ते को शिफ्ट नहीं कर सकते, जहां जिसका जगह है वो वहीं रहेगा. अगर कोई कुत्ता अग्रेसिव है या बहुत काटता है, तो उस केस में एनजीओ या पशु कल्याण वालों से मिलकर उसको रिलोकेट कर सकते हैं.


आवारा कुत्तों के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि इन कुत्तों को खाने की बड़ी समस्या रहती है. इन्हें खाना मिलता नहीं है. जब उनको कुछ खाने को नहीं मिलता है, तब ऐसे कुत्ते बच्चों पर अटैक कर देते हैं. कुछ कुत्ते ऐसे भी होते हैं, जिनकी प्रवृत्ति काटने की होती है. वे हिंसक होते हैं. जैसे मान लीजिए कि किसी सोसायटी में 4 कुत्ते ज्यादा हिंसक हैं और मैंने उन्हें कहीं शिफ्ट कर दिया, जहां उसे खाने को पूरा मिले, तो फिर वो किसी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. ये समझना होगा कि चाहे पालतू जानवर हो या जंगली जानवर, वे खाने के लिए ही अटैक करते हैं. अगर ये जरूरत पूरी हो जाए, तो वो अटैक नहीं करेगा.


ऐसा कोई रिसर्च सामने नहीं आया है कि कोरोना महामारी के बाद कुतों में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ी है. ये जरूर है कि कोरोना के वक्त लोगों को अकेलापन ज्यादा लगता था, तो ऐसे में लोगों ने ज्यादा संख्या में कुत्तों को पालना शुरू कर दिया. इससे पालतू कुत्तों की संख्या बढ़ गई है. ऐसा नहीं हुआ है कि आवारा कुत्तों की संख्या या उनमें हिंसक प्रवृति उतनी तेजी से बढ़ी है. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)