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कांग्रेस वर्किंग कमेटी की नई टीम का एलान, पायलट-थरूर को जगह... जानें इसके पीछे क्या है पार्टी की रणनीति

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की नई टीम का पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की तरफ से एलान किया गया. ये ऐसे वक्त पर किया गया जब 20 अगस्त को देशभर में राजीव गांधी की जन्म जयंति पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही थी. इसमें 39 लोग तो मुख्य हैं, इसके अलावा 18 लोग स्थायी सदस्य हैं, 12 प्रभारी हैं, 13 स्पेशल आमंत्रित सदस्य हैं.

राजस्थान से सचिन पायलट, जितेन्द्र सिंह और महेन्द्रजीत सिंह मालवीय मुख्य तौर पर इसमें शामिल हैं. जितेन्द्र सिंह तो मध्य प्रदेश की स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन हैं. इसके अलावा वे राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं. लेकिन, कांग्रेस पार्टी ने महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को लेकर नया संदेश देने का काम किया है. इसके अलावा सचिन पायलट के बारे में लंबे समय से काफी अटकलें लगाई जा रही थी. ऐसा कहा जा रहा था कि वो तो रहेंगे नहीं. लेकिन सीडब्ल्यूसी की मेन बॉडी में पायलट को रखकर कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत और दूसरे समर्थकों को ये तो संदेश दे दिया है कि हम सचिन पायलट को आने वाले समय में राजनीति में अहम भूमिका में लाना चाहते हैं और दिखाना चाहते हैं.

लेकिन, राजस्थान में युवा पिछले पांच वर्षों के दौरान युवाओं को बहुत ज्यादा सरकार लाभ नहीं मिला है. उन युवाओं को तो चाहिए कि किस तरह से नौकरी में तरजीह मिले. युवाओं को अधिक से अधिक सरकार में हिस्सेदारी मिले. इसी तरह आने वाले समय में जब लोकसभा का चुनाव होगा तो राजस्थान के अंदर बुजुर्ग मतदाता जाट-गुर्जर बहुल चार ऐसी सीटें हैं, जहां पर वे जीत हार का फैसला करते हैं, जैसे- अजमेर, ढिंढोरा, सवाई माधोपुर और टोंक. ये गुर्जर बाहुल्य सीट हैं, जहां पर कांग्रेस को सचिन की जरूरत पड़ेगी.

बाकी 24-25 विधानसभा की ऐसी सीटें हैं, जहां पर गुर्जर प्रभावित करते हैं. ये बात सही है कि लोकसभा चुनाव का ध्यान रखा गया है. लेकिन, इसके साथ ही, विधानसभा में आने वाले समय में सामूहिक रुप से चुनाव लड़ने की बात कही गई है. 

सीडब्ल्यूसी में बैलेंस की कोशिश

राजस्थान में चेहरे पर चुनाव नहीं रखा जा रहा है, लेकिन गहलोत सरकार के कामकाज को तो निश्चित रुप से रखा ही जाएगा. अभिषेक मनु सिंघवी जोधपुर के रहने वाले हैं. उनको भी मुख्य रुप से शामिल किया गया है. वो तो क्योंकि पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं और पार्टी को विभिन्न तरीके से सहयोग करते रहते हैं.

हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी होने के नाते शामिल किया गया है. मोहन प्रकाश जो पहले महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के प्रभारी रहे हैं, राहुल गांधी के करीबी हैं, वे केन्द्र की राजनीति ज्यादा करते हैं. सीडब्ल्यूसी में उनको स्थाई सदस्य के रुप में शामिल किया गया है. 

जबकि पवन खेड़ा उदयपुर से आते हैं, आदिवासी हैं और पार्टी के प्रवक्ता हैं. वे राजस्थान की राजनीति नहीं बल्कि दिल्ली की राजनीति करते हैं. लेकिन उनको भी शामिल किया गया है. अगर ये कहा जाए तो राजस्थान से इसमें करीब 7 लोगों को तरजीह मिली है. जबकि मेन कहा जाए तो सचिन पालयट, जितेन्द्र सिंह या फिर महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, तीन लोगों को सीडब्ल्यूसी में लाकर कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को साफ संदेश दिया है. 

गहलोत को साफ संदेश

कांग्रेस ने गहलोत को ये संदेश दिया है कि आपने हमारे अनुरुप पार्टी के अंदर बदलाव नहीं किया है. पार्टी चाहती थी कि आप राष्ट्रीय चेहरा बनकर आओ, लेकिन नहीं आए और उल्टा बगावत की. अशोक गहलोत के सामने एक बड़ी चुनौती इसलिए भी आने वाली है क्योंकि उन्हें वीएचपी से कांग्रेस में शामिल होने वालों को भी टिकट देना है. 

इसके अलावा, राजेन्द्र गुढ़ा जिस तरह से डायरी लेकर आए थे, लाल डायरी को जिस तरह से पेश किया गया, अब आगे डायरी खोलने की बात हो रही है. ऐसे में जिस तरह से अशोक गहलोत अपने दामन को साफ दिखाना चाहते थे कि वे हर दृष्टि से साफ हैं, ऐसे में बगावत करने तीन लोग शांति धारीवाल, महेन्द्र जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को टिकट मिलेगा भी या नहीं, ये अभी पता नहीं है. इसलिए, निश्चित तौर पर पार्टी ने कहा है कि चाहे वो बड़ा नेता हो या फिर छोटा नेता हो, अगर कहना नहीं मानेगा तो उसे साइडलाइन किया जाएगा, और वो इसे करके दिखाया है.

राजस्थान में आगे चुनाव है, इसलिए मुख्यमंत्री योजनाओं को लाकर अपनी कोशिश पार्टी के पक्ष में करने की कर रहे हैं. 2022 में मोबाइल देने का वादा किया था. 40 लाख दे रहे हैं और 90 लाख देने की बात कर रहे हैं. इस तरह चिरंजीवी योजना से लेकर युवाओं के सम्मेलन में बहुत सारी योजनाओं को देने का वादा कर रहे हैं. गहलोत का लोगों के बीच जाकर राहुल गांधी ये कहते हैं कि सिर्फ सरकारी योजनाओं से चुनाव नहीं जीता जा सकता है, गहलोत खुद कहते हैं कि मैंने जो पेंशन की राशि डेढ़ हजार की है वो पर्याप्त नहीं है, इसलिए गहलोत खुद की योजनाओं को खुद ही इस तरह से पेश करते हैं.

इसलिए ये बात सही है कि जिस तरह से राजनीति में बदलाव आया है, बदलाव में विकास गोगोई को स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन बनाना, मधुसूदन मिस्त्री को चयन समिति का फेस बनाना, ये जाहिर करता है कि अशोक गहलोत की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए ऐसे लोगों को लाया गया है, जो युवा भी है, खासकर राजस्थान में.

अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो वहां पर दिग्विजय सिंह को लिया है. कमलेश्वर पटेल को लिया है. इस तरह जिस प्रकार युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक को शामिल किया है, मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन को लिया है, पंजाब की बात करें तो चरणजीत सिंह चन्नी को लिया गया है, हरियाणा से दीपेन्द्र हुड्डा को लिया गया है, सुरजेवाला और शैलजा को लिया गया है. 

इस प्रकार से इसमें कुछ नयापन भी है. कुछ बुजुर्गों को जगह दी भी गई है और कुछ को नहीं भी दी गई है. पूरी तरह से सफाया नहीं है. तो एक अच्छी टीम बनी है. राहुल गांधी  युवा है, ऐसे में जिस तरह से युवाओं और महिलाओं को तरजीह दी गई है, तो ये एक अच्छी टीम बनाई गई है. चार राज्यों में तो चुनाव अभी महत्वपूर्ण है. ऐसे में सचिन पायलट को जो मौका दिया गया है, इससे अशोक गहलोत की चुनौती काफी बढ़ गई है. असली फैसला अब टिकट बंटवारे में देखा जाएगा. सचिन पायलट को जिस तरह से तरजीह मिली है, उससे लगता है कि आने वाले समय में उनका भविष्य उज्जवल है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.] 

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