Congress की कमान संभालने और मोदी का विजय रथ रोकने का कितना दमखम रखते हैं अशोक गहलोत?
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Congress New President: कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. राहुल गांधी के इनकार और कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अस्वस्थता की वजह से यह लगभग तय है कि करीब 24 सालों बाद कांग्रेस (Congress) की कमान किसी गैर गांधी परिवार को मिलने वाली है. गांधी परिवार के बाहर के नेता को अध्यक्ष बना कर कांग्रेस बीजेपी (BJP) द्वारा लगाए जा रहे परिवारवाद के आरोप से पीछा भी छुड़ाना चाहती है.
ऐसे में अगले कांग्रेस अध्यक्ष के लिए जिन नेताओं के नाम को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं उनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का नाम सबसे आगे है.
एबीपी न्यूज को उच्च सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अशोक गहलोत से पार्टी की कमान संभालने का संदेश दे दिया है, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष के सवाल पर गहलोत राहुल गांधी के नाम की रट लगा रहे हैं. गहलोत को अगर अध्यक्ष बनाया गया तो कांग्रेस को हिंदी पट्टी में एक दमदार चेहरा तो मिल ही जाएगा, साथ ही उनके और पायलट के बीच चल रहा राजस्थान कांग्रेस का विवाद भी सुलझाया जा सकेगा.
क्या गहलोत भर पाएंगे कांग्रेस में जोश?
बहरहाल सवाल है कि क्या अशोक गहलोत सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस में जोश भरने और 2024 में मोदी के रथ को रोकने का दमखम रखते हैं? मोदी को टक्कर देने के लिए अशोक गहलोत को पहले कांग्रेस पर अपनी पकड़ बनानी होगी. करीब 71 साल के अशोक गहलोत ने अपने 50 सालों के राजनीतिक सफर में पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर तीन बार मुख्यमंत्री पद संभाला है. गहलोत इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे तो राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष रहते संगठन महासचिव भी रहे हैं.
राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव
राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव के मामले में अशोक गहलोत का पार्टी में कोई मुकाबला नहीं है. गहलोत को गांधी परिवार का बेहद विश्वासपात्र माना जाता है. कहते हैं कि युवा अशोक गहलोत की प्रतिभा को इंदिरा गांधी ने पहचाना और फिर राजीव गांधी ने उन्हें आगे बढ़ाया. गांधी परिवार से उनकी करीबी बढ़ती गई और बताया जाता है कि राहुल गांधी और प्रियंका जब छोटे थे तब गहलोत उन्हें जादू का खेल भी दिखाते थे, जो उनके पिता का पेशा था.
अशोक गहलोत पर भरोसा!
राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी ने गहलोत पर भरोसा कायम रखा. पुरानी पीढ़ी के नेताओं में गहलोत ऐसे अपवाद हैं, जिनके साथ राहुल और प्रियंका काम करने में सहज महसूस करते हैं. ऐसे में गहलोत को कांग्रेस संभालने में बहुत मुश्किल नहीं आएगी. राहुल गांधी के पॉवर सेंटर बने रहने पर भी गहलोत स्थिति उलझने नहीं देंगे. जमीनी समझ रखने वाले अशोक गहलोत ओबीसी समुदाय से आते हैं. उनकी छवि गांधीवादी और ईमानदार नेता की रही है. विरोधी उनपर भ्रष्टाचार का कोई सीधा आरोप नहीं लगाते.
क्या पीएम मोदी को टक्कर देंगे गहलोत?
सैद्धांतिक तौर पर कहें तो उम्र के साथ–साथ छवि के मामले में भी अशोक गहलोत पीएम मोदी को टक्कर देते नजर आते हैं, लेकिन व्यवहारिक तौर पर स्थिति उलट है. एक तरफ मोदी गुजरात के दिनों से ही चुनाव दर चुनाव मजबूत होते रहे हैं तो वहीं गहलोत मुख्यमंत्री रहते दो बार बुरी तरह चुनाव हार चुके हैं. राजस्थान के बाहर गहलोत की कोई अपील नहीं है. हालांकि यह भूलना नहीं चाहिए कि बीते गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रभारी के तौर पर गहलोत ने मोदी और शाह को उनके गढ़ में नाकों चने चबवा दिए थे.
2023 की परीक्षा
2024 में मोदी को टक्कर देने की स्थिति में आने के लिए गहलोत को 2023 की परीक्षा पास करनी होगी और राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार बचानी होगी. अगर ऐसा हुआ तो गहलोत 2024 लोकसभा चुनाव में कम से कम राजस्थान में तो बीजेपी को रोकने में कामयाब रह सकते हैं, जहां बीते दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया है.
2024 में मोदी को रोकने में कौन सक्षम?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 में मोदी को राज्यों के क्षत्रप रोक सकते हैं, जैसे- नीतीश कुमार, शरद पवार, ममता बनर्जी, केसीआर, स्टालिन, केजरीवाल, अखिलेश यादव. गहलोत में कांग्रेस की तरफ से हिंदी पट्टी का क्षत्रप बनने की संभावना तो है, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती तो यही रहेगी कि क्या राहुल गांधी के सक्रिय रहते वो कांग्रेस का चेहरा बन पाएंगे? बहरहाल "जादूगर" अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पर नजरें जमी तो हुई ही हैं. सब ठीक रहा तो दीपावली के करीब कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उनकी ताजपोशी हो जाएगी और इसके बाद उनकी असली परीक्षा शुरू होगी.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
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