कांग्रेस की कमान किसी और नेता को देने की हिम्मत जुटा पायेगा क्या गांधी परिवार?
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लगातार बिखराव की तरफ़ बढ़ रही कांग्रेस ने आखिरकार अपना नया अध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है, जो 17 अक्टूबर को होगा. लेकिन सवाल है कि नया अध्यक्ष गांधी परिवार से ही होगा या फिर किसी नये चेहरे को लाकर कांग्रेस कोई नया संदेश देकर अपना सियासी वजूद बचाने की ईमानदार कोशिश भी करेगी? हालांकि रविवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद भी कई नेताओं ने राहुल गांधी का ही राग अलापते हुए दावा किया है कि अगले अध्यक्ष वही बनेंगे. लेकिन गांधी परिवार के प्रति हद से ज्यादा चाटुकारिता दिखाने वालों को पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने खरी-खोटी सुनाते हुए आईना दिखाने का काम किया है.
चव्हाण ने तीखे तेवर अपनाते हुए कहा कि वक़्त आ गया है कि अब पार्टी को बचाने के लिए कदम उठाए जाएं लेकिन अगर किसी को ‘कठपुतली अध्यक्ष' बनाकर ‘बैकसीट ड्राइविंग' (पीछे से चलाने) की कोशिश हुई तो कांग्रेस नहीं बच पाएगी. राहुल गांधी के अलावा वैकल्पिक व्यवस्था बनाने पर जोर देते हुए चव्हाण ने ये भी कहा कि ‘एक अहम मुद्दा यह है कि अगर राहुल गांधी ने कहा है कि वह और उनके परिवार का कोई अध्यक्ष नहीं होगा तो उन पर विश्वास क्यों नहीं किया जाता? अगर वह नहीं बनते हैं तो दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी.चुनाव कराया जाए और फिर कोई नया अध्यक्ष बनेगा.’
चुनावों में कांग्रेस की लगातार होती करारी हार की वजह गिनाते हुए चव्हाण ने जो बातें कही हैं,वे अहम हैं और जी-23 समूह के नेताओं द्वारा लिखी गई चिट्ठी में भी पार्टी नेतृत्व का ध्यान इस तरफ दिलाया गया था.चव्हाण के अनुसार, ‘कांग्रेस के संविधान के मुताबिक सभी पदों पर चुनाव होना चाहिए. पहले कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों और अन्य पदों के लिए चुनाव होते थे. सीताराम केसरी के समय यानी 24 साल पहले आखिरी बार संगठन के चुनाव हुए.लेकिन उसके बाद से अब तक सभी पदों पर अध्यक्ष द्वारा नामित लोग होते हैं.जो अध्यक्ष नामित करता है, उसके खिलाफ कोई बोलता नहीं है.लेकिन सच तो ये है कि निर्वाचित लोग ही अध्यक्ष को सही सलाह देते हैं,जबकि नामित लोग ऐसा नहीं करते.इसी वजह से पार्टी हारती है.’
यही कारण था कि पार्टी नेतृत्व से हमने इस पर चिंतन के लिए कहा था कि हम दो लोकसभा चुनाव हारे, करीब 40 विधानसभा चुनाव हारे. इस पर कोई चिंतन शिविर हुआ क्या? अगर हम चिंतन नहीं करेंगे तो ऐसे ही चलता रहेगा.’ चव्हाण ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार और पिछले आठ वर्षों में हुए विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए इसकी एक वजह पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र न होना भी बताया है.हालांकि इसका उल्लेख गुलाम नबी आजाद ने भी अपने त्याग पत्र में किया था.आजाद ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेतृत्व आंतरिक चुनाव के नाम पर धोखा दे रहा है. उन्होंने राहुल गांधी पर ‘अपरिपक्व और बचकाने’ व्यवहार का आरोप भी लगाया था.
गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को पार्टी के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताने वाले चव्हाण के मुताबिक जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले ये पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है. जम्मू-कश्मीर में बहुत ही जूनियर और बाहर से आए व्यक्ति (तारिक हमीद कर्रा) को राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) का प्रमुख प्रमुख बनाया गया और आजाद साहब को सदस्य बनाया गया. इसका क्या कारण था? कार्यसमिति की बैठक में क्या इस पर चर्चा हुई?’
गौरतलब है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई नेता सार्वजनिक रूप से राहुल गांधी से दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष बनने का आग्रह कर चुके हैं.खड़गे ने आज भी इस मांग को दोहराया है.हालांकि, ये ऐसा मसला है जिस पर नामांकन होने के आखिरी दिन तक अनिश्चितता बरकरार रहेगी. पार्टी के सूत्रों का दावा है कि राहुल गांधी अपने रुख पर कायम हैं कि वह अब कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बनेंगे. तो क्या सचमुच कांग्रेस अब गांधी परिवार से मुक्त हो जायेगी?
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