प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कांग्रेस के कुछ नेताओं ने एक नये जुमले का इस्तेमाल शुरु कर दिया है. वह शब्द है- 'विषगुरु.' विष को हिंदी-उर्दू में ज़हर कहा जाता है. यानी इस नए जुमले के जरिये कांग्रेसी नेता ये आरोप लगा रहे हैं कि पीएम मोदी ज़हर फैलाने वाली राजनीति के गुरु हैं. बेशक लोकतंत्र में सबको अभिव्यक्ति की आज़ादी है, लेकिन प्रधानमंत्री के संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए ऐसे शब्द का इस्तेमाल करना क्या उचित है?


इससे जाहिर होता है कि देश की राजनीति में पक्ष-विपक्ष के बीच संवाद के स्तर का कितना पतन होता चला जा रहा है. दरअसल, पिछले आठ सालों में कांग्रेस को लगातार मिली चुनावी हार के बाद पार्टी के नेताओं में बेतहाशा कुंठा आ गई है और ये नयी जुमलेबाजी उसका ही नतीजा है. असल में ये उनके राजनीतिक दीवालियेपन को ही उजागर करता है.


दरअसल, मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जयराम रमेश इससे पहले तक पीएम मोदी के लिए "झूठ के विश्वगुरू" शब्द का इस्तेमाल अक्सर करते रहे हैं. राहुल गांधी ने भी कई बार पीएम मोदी को "झूठा" कहा है. हालांकि कांग्रेस के इन दोनों नेताओं की ऐसी अभद्र भाषा पर बीजेपी नेता कभी उलझने के मूड में नहीं रहे और उन्होंने इसे इग्नोर करना ही उचित समझा.


इस बार जयराम रमेश ने पार्टी के ही एक प्रवक्ता की सलाह पर राजनीति में शालीन भाषा की हदें पार करने में जरा भी देर नहीं लगाई. प्रवर्तन निदेशालय ईडी द्वारा सोनिया और राहुल गांधी को नोटिस मिलने के बाद 1 जून को जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा कि "ईडी के जरिये सोनिया-राहुल को नोटिस भेजकर "बदले की राजनीति करने वाले विश्वगुरु" ने अपना एक और नीचापन दिखा दिया. मनी लॉन्ड्रिंग का केस पूरी तरह से बोगस है, क्योंकि न तो कहीं से पैसा आया और न ही लॉन्ड्रिंग हुई. सच खुद ही सामने आएगा. हम चुप नहीं बैठेंगे."


उनके इस ट्वीट पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए लिखा- "मुझे आपके ट्वीट के एक शब्द में छोटी-सी गलती दिखाई दे रही है. क्या ये 'विषगुरु' नहीं होना चाहिये?" जयराम रमेश ने फ़ौरन खेड़ा की सलाह मानते हुए जवाबी ट्वीट किया- अरे हां, आप बिलकुल सही कह रहे हैं. गलती मेरी तरफ से ही ही हुई है. यह तो "'विषगुरु" होना चाहिये, न कि "विश्वगुरु".


उसके बाद से ही जयराम रमेश अपने सभी ट्वीट में पीएम मोदी के लिए लगातार "विषगुरु" शब्द का ही इस्तेमाल कर रहे हैं. खबर है कि रणदीप सुरजेवाला को हटाकर जयराम रमेश को पार्टी जल्द ही अपने संचार व मीडिया विभाग का इंचार्ज बनाने वाली है, इसलिये सरकार के खिलाफ पहले से ही उन्होंने आक्रामक भाषा अपनाने की तैयारी शुरु कर दी है. 


दरअसल, कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी के दो पूर्व प्रवक्ताओं ने जो जहरीले बोल बोले हैं, उसकी शह उन्हें पार्टी की टॉप लीडरशिप से मिली थी. इसलिये अब वह बीजेपी की कथित साम्प्रदायिक राजनीति से सीधे भिड़ने के मूड में है, इसीलिए ये नया जुमला दिया गया है. लेकिन कांग्रेस का इतिहास बताता है कि ये जुमला भी उसे "मर्चेंट ऑफ डेथ" की तरह कहीं उल्टा न पड़ जाये?


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)