आरएसएस का वर्षों पुराना स्वप्न था कि जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिये देश में एक सख्त कानून होना चाहिये. संघ के उसी सपने को बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें क्रम से साकार करती जा रही हैं. उसकी कड़ी में हरियाणा अब देश का 11 वां ऐसा राज्य बन गया है, जहां धर्मांतरण के ख़िलाफ बेहद सख्त कानून लागू हो गया है. हालांकि हरियाणा में विधानसभा के चुनाव तो अक्टूबर 2024 में होने हैं लेकिन इस कानून को लागू करके खट्टर सरकार ने अपनी कमियों पर पर्दा डालते हुए मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश की है. 


हरियाणा से पहले, 10 अन्य राज्यों ने इसी तरह का का कानून बनाया है, जिनमें से अधिकांश बीजेपी शासित राज्य हैं. ये राज्य हैं -कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश,  अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और झारखंड. हालांकि इनमें से कुछ राज्यों में इस कानून को अदालतों में चुनौती भी दी गई है. लेकिन संघ की इस विचारधारा को कानून की शक्ल देने वाला पहला राज्य गुजरात ही है. गुजरात में धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2003 में लागू किया गया था,  जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. 


हालांकि राज्य सरकार पिछले साल इस कानून में एक संशोधन लाई थी, जिसका नाम द गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन (संशोधन) अधिनियम, 2021 था. इसमें मौजूदा कानून को उत्तर प्रदेश सहित अन्य बीजेपी शासित राज्यों द्वारा बनाए गए कई समान कानूनों के अनुरूप लाने की मांग की गई थी. लेकिन पिछले साल अगस्त में, गुजरात उच्च न्यायालय ने इस संशोधन अधिनियम की कई धाराओं के संचालन पर रोक लगा दी थी,  जिसमें अंतर्धार्मिक विवाह को जबरन धर्म परिवर्तन का साधन करार देने वाला प्रावधान भी शामिल था. फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. 


हरियाणा में अब शादी करने के लिए या जबरन या फिर कोई लालच देकर किसी का धर्म परिवर्तन करना-करवाना एक अपराध होगा. धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले कानून को राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद इसे अधिसूचित कर दिया गया है. ऐसे में अब हरियाणा में कोई भी महिला या पुरुष शादी के लिए धर्म नहीं बदल पाएगा. लिहाजा,  इस कानून का एक  मकसद लव जिहाद जैसे मामलों को भी रोकना है. 


गौरतलब है कि धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले विधेयक को राज्य विधानसभा ने बीते मार्च में मुख्य विपक्षी कांग्रेस के विरोध के बावजूद पारित कर दिया था. तब विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस के सांसदों ने एक विशेष धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि, जब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई करने के प्रावधान हैं, तो नया कानून लाने का क्या औचित्य है.


विधेयक के पारित होने को सही ठहराते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि इसका उद्देश्य अपराध करने वालों में डर पैदा करना है.  उन्होंने कहा था कि कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्म बदल सकता है,  लेकिन किसी के साथ जबरन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा.  यदि धोखे से या किसी प्रकार का लालच देकर धर्म परिवर्तन करते हैं,  तो ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.  इस विधेयक का उद्देश्य जबरन धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करना है. 


खट्टर ने विधानसभा को सूचित किया था कि पिछले चार वर्षों में धर्मांतरण के लिए 127 एफआईआर दर्ज की गईं.  जबरन धर्मांतरण के अधिकांश मामले यमुनानगर,  पानीपत,  गुरुग्राम,  पलवल और फरीदाबाद में थे,  जो सभी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में स्थित हैं.  कांग्रेस नेता और दो बार के मुख्यमंत्री हुड्डा ने एक नए कानून की आवश्यकता पर बल दिया था,  खट्टर ने धर्मांतरण विरोधी कानून को और अधिक कठोर कहकर इसे उचित ठहराया. 


हरियाणा विधानसभा में विधेयक के पारित होने से पहले,  सत्तारूढ़ गठबंधन के महत्वपूर्ण सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने 'लव जिहाद' शब्द को शामिल करने का विरोध करते हुए कहा था कि अगर ये शब्द नहीं हटाया गया, तो उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन नहीं करेगी. था.  उन्होंने कहा था,  'अगर कोई खुद धर्म बदलने को तैयार है तो कोई रोक नहीं होनी चाहिए. ' चौटाला की चेतावनी से बीजेपी में खलबली मच गई थी और गृह मंत्री अनिल विज को ये ऐलान करना पड़ा था कि विधेयक में यह शब्द शामिल नहीं होगा. 


हरियाणा में अब अगर किसी व्यक्ति का लालच,  बल के प्रयोग या चालाकी से धर्म परिवर्तन करवाया जाता है तो दोषी के लिये एक से लेकर 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. शादी के लिए अगर धर्म छुपाया गया, तो 3 से लेकर 10 साल तक की सजा और कम से कम 3 लाख का जुर्माना लगेगा. नियमों के खिलाफ सामूहिक तौर पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाने पर 5 से 10 साल की सजा और कम से कम 4 लाख का जुर्माना होगा.


एक से ज्यादा बार जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के आरोप में पकड़े जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. वहीं, स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन की जानकारी धार्मिक पुरोहित या अन्य व्यक्ति को डीसी को पहले से आयोजन स्थल के साथ देनी होगी. इस पूरी जानकारी को डीसी ऑफिस में नोटिस बोर्ड पर लगाया जाएगा.


नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.