अगर आप कोरोना जैसी बेमुराद बीमारी से बचने के लिए उसके एक या दोनों डोज लगवा चुके हैं, तब भी चौड़े होकर मत घूमिये, बल्कि पूरी सावधानी बरतने की तरफ खास ध्यान दीजिये. सिर्फ इसलिए नहीं कि दिवाली का त्योहार है, बल्कि डराने वाला सच ये है कि इस वायरस ने फिर उसी चीन में कहर बरपाना शुरु कर दिया है जहां इसने पैदा होकर पूरी दुनिया में तबाही मचाई. इसने रुस, ब्रिटेन, सिंगापुर समेत कुछ और यूरोपीय देशों में भी फिर से अपना तांडव दिखाना शुरु कर दिया है जिसके कारण वहां दोबारा लॉक डाउन लगाने की नौबत आ चुकी है.
कोई भी वैज्ञानिक या महामारी का विशेषज्ञ डॉक्टर दावे के साथ तारीख तो नहीं बता सकता कि ये भारत में कब दस्तक देने वाला है लेकिन वे सभी ये मानते हैं कि एक बार ये वायरस अपना रंग जरुर दिखायेगा, जिसे हम कोरोना की तीसरी लहर कहकर पुकारेंगे. लेकिन, सबसे खतरनाक बात ये है कि दुनिया का कोई भी वैज्ञानिक ये कहने की हैसियत में नहीं है कि कोविड से बचाव के दोनों टीके लगवा चुका कोई शख्स इसका शिकार ही नहीं होगा.
शायद आप भूले नहीं होंगे कि दिसम्बर 2019 में चीन के एक प्रांत वुहान की लैब से कथित रुप से निकले इस कोविड वायरस ने तब चीन को छोड़ बाकी दुनिया के करोड़ों लोगों को अपने शिकंजे में ऐसा कसा था कि उससे बचने वाले हर इंसान को भी ये यकीन हो गया कि उसे नई जिंदगी मिली है. लेकिन इस बार उसी वायरस ने चीन की राजधानी बीजिंग में लोगों को अपने लपेटे में लेना शुरु कर दिया है. चीन की सरकार इससे कितनी डर चुकी है कि इसका अंदाजा सिर्फ इससे ही लगा सकते हैं बीजिंग में पिछले महीने इस संक्रमण के सिर्फ 20 मामले ही सामने आए थे, लेकिन जैसे ही इनमें थोड़ा इज़ाफ़ा होने लगा, तो राजधानी बीजिंग के प्रशासन ने वहां के निवासियों के लिए एलान कर दिया है कि वे जब तक जरूरी नहीं हो, शहर से बाहर नहीं जाएं. चीन ने लोगों की विदेश यात्रा पर सख्ती से रोक लगा दी है और राजनयिकों सहित विदेश से आने वालों के लिए 21 दिन तक आइसोलेशन में रहने के नियम को भी सख्ती से लागू कर दिया है. रविवार तक वहां कोविड के 92 मामले सामने आए थे जिनमें से 59 मामले स्थानीय निवासियों के संक्रमण के हैं. आलम ये है कि अब स्वास्थ्य अधिकारी स्वयं उन लोगों के घर जाकर उनकी यात्रा संबंधी जानकारी सत्यापित कर रहे हैं, जो पिछले कुछ महीने में शहर या देश से बाहर गए थे.
वैज्ञानिकों के आधार पर सरकार की तरफ से दी जाने वाली चेतावनियों को नजरअंदाज करने की हम भारतीयों की शायद एक आदत बन चुकी है, इसीलिये अब भीड़ भरे बाजारों में भी लोगों के मुंह पर मास्क कम ही देखने को मिलते हैं, दो ग़ज़ की दूरी बनाए रखने की बात तो बहुत दूर की है. लेकिन ऐसे बेपरवाह लोगों को अब चीन से सबक लेते हुए इसे तीसरी लहर के खतरे की घंटी समझना होगा. बीजिंग के स्वास्थ्य आयोग ने तो ये ऐलान के दिया है कि जो लोग शहर से बाहर गए हैं और अगर उन्हें वहां संक्रमण होने का पता लग चुका है, तो फिर उन्हें राजधानी में लौटने की जरुरत नहीं है. यहां तक कि पिछले महीने भर में जो लोग देश के किसी अन्य हिस्से की यात्रा करने के बाद बीजिंग लौट चुके हैं, उन्हें अपनी यात्रा की जानकारी स्थानीय समुदाय, होटल और कंपनी को तुरंत देनी होगी और उन्हें सेल्फ आइसोलेशन में चले जाने के लिए कहा गया है.
हालांकि, महामारी के विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन सरकार की इस सख्ती को डर नहीं बल्कि वक़्त से पहले ही संक्रमण रोकने के उसके गंभीर उपायों के रुप में देखा जाना चाहिए क्योंकि उसकी आबादी तो भारत से भी ज्यादा है.वहां सौ से भी कम मामले सामने आने पर ही वो इतना फ़िक्रमंद हो उठा है, जबकि इसके उलट हमारे यहां अधिकांश लोग ये मान बैठे हैं कि वे तो दोनों खुराक ले चुके हैं, सो कोरोना उनका क्या बिगाड़ लेगा.
जो लोग ऐसा सोच रहे हैं, तो उनकी जानकारी के लिए ये बताना जरुरी है कि इस समय चीन के अलावा ब्रिटेन, रूस, सिंगापुर, यूक्रेन और पूर्वी यूरोप के कई देशों में कोरोना जिस तरह से अपना कहर बरपा रहा है, वहां की आबादी का बड़ा हिसा वैक्सीन के डोज ले चुका है. WHO से मान्यता मिलने के बाद हर देश में अलग-अलग कंपनी की वैक्सीन उपलब्ध है. इसलिये बड़ा सवाल ये उठता है कि दुनिया में अभी तक कोई वैक्सीन ऐसी नहीं बनी, जो इंसान को इस बीमारी से पूरी तरह सुरक्षित रख पाये. अब तक बनी सभी वेक्सीन पर गौर करें, तो उनके 65 से 85 फीसदी तक कारगर होने के दावे किये गए हैं. लेकिन वैक्सीन लेने के बाद भी अगर कोई इस संक्रमण की चपेट में आ रहा है, तो निश्चित ही ये एक डरावने भविष्य का संकेत देती है.
खासकर भारत के लिए ये चिंता का बड़ा विषय इसलिये भी है कि यहां विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर के आने की भविष्यवाणी अगस्त-सितंबर के लिए की थी, लेकिन नवंबर शुरु होने के बाद भी हालात फिलहाल तो सामान्य बने हुए हैं. लेकिन चीन, रूस और ब्रिटेन जैसे देश हमें आगाह कर रहे हैं कि तीसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं है. देर से ही सही लेकिन वो दस्तक अवश्य देगी, लिहाज़ा समझदारी इसी में है कि हम पहले ही सावधान हो जाएं.
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