सूरत के डायमंड कारोबारियों को आशंका है कि कोरोना वायरस की आपदा की वजह से इंडस्ट्री को कम से कम 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. दरअसल सूरत से हर साल 54,000 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट हांगकांग को होता है. फिलहाल कोरोना वायरस की वजह से मार्च तक हांगकांग में कारोबार सुस्त हो गया है. और इसका सीधा नुकसान देसी कारोबारियों को होने वाला है.


लेकिन इससे भी भयावह है उन कारोबारियों का नुकसान जो चीन से आए कच्चे माल का इस्तेमाल करते हैं. देश में तीन इंडस्ट्री- फार्मा, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो- ऐसे हैं जिनके कच्चे माल का बड़ा हिस्सा चीन से ही आता है. इकोनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक या तो कच्चे माल मिल नहीं रहे हैं या फिर बहुत महंगे हो गए है. और इसके लिए दूसरे देशों का तत्काल रुख करना आसान नहीं है.


फार्मा इंडस्ट्री के लिए जरूरी एपीआई की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी


इकोनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि फार्मा इंडस्ट्री के लिए जरूरी एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट) काफी महंगे हो गए है. पाराशिटामॉल की कीमत करीब 300 रुपये प्रति किलो बढ़ गई है और निमेसुलाइड की कीमत तो दोगुने से ज्यादा बढ़ गई है. सर्दी-खांसी और बैक्टेरिया इन्फेक्शन के लिए जरूरी एपीआई भी काफी महंगे हो गए हैं. इंडस्ट्री के दिग्गजों का मानना है कि फरवरी के आखिरी तक अगर हालात नहीं सुधरते हैं तो इंडस्ट्री के लिए मुसीबतें काफी बढ़ सकती है. फिलहाल पुराने स्टॉक्स से काम चलाना पड़ रहा है.


चीन टेलीवीजन पैनल्स, एसईडी चीप्स और फ्रीज और एसी में लगने वाले कंप्रेशर का भी बड़ा सप्लायर है. मोबाइल हैंडसेट के जरूरी पार्ट्स भी चीन से आते हैं. और उनसे जुड़े इंडस्ट्री का मानना है कि अगले हफ्ते तक चीन से सप्लाई शुरू नहीं हुई तो करोबार पर बहुत बुरा असर पड़ने वाला है.


चीन हमारा बड़ा करोबारी पार्टनर है


दरअसल चीन हमारा बहुत बड़ा ट्रेड पार्टनर है. हर साल हम चीन से करीब 70 अरब डॉलर का आयात करते हैं और करीब 17 अरब डॉलर का निर्यात. चीन के बहुत सारे इलाके में कोरोना वायरस की वजह से कारोबार फिछले एक महीने से ठप पड़ा हुआ है. इससे हमारे एक्सपोर्टर्स का नुकसान तो हो ही रहा है, उन करोबारियों की मुसीबत बढ़ी है जिनका कच्चा माल चीन से ही आता है. भारत से चीन को निर्यात होने वाले बड़े आईटम्स हैं रबर, मसाले, और डायमंड.


कोरोना वायरस की वजह से चीन में करीब 500 जानें गई हैं और करीब 25,000 लोग इससे प्रभावित हुए हैं. इसकी वजह से दुनिया की जानी-मानी रिसर्च और क्रेडिट रेंटिंग एजेंसिज ने चीन के विकास दर के अनुमान को घटाना शुरू कर दिया है. सबका मानना है कि चीन की विकास दर में 1 परसेंटेज प्वाइंट तक की कमी आ सकती है. और वो भी तब जब इस वायरस के प्रभाव को जल्दी से रोक लिया जाता है तो.


जानकारों का मानना है कि कोरोना वायरस का असर सार्स से भी ज्यादा होने वाला है. 2003 में सार्स वायरस की वजह से पूरी दुनिया मे 800 मौंते हुई थी और चीन की विकास दर में 1 परसेंटेज प्वाइंट की कमी आई थी. लेकिन चीन उस समय दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी इसीलिए दुनिया के ग्रोथ पर इसका खास असर नहीं हुआ था.


चीन के 24 प्रांतों में करोबार ठप, इन इलाकों की एक्सपोर्ट में 90 परसेंट हिस्सेदारी


लेकिन अब चीन अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अनुमान है कि 2019 में पूरी दुनिया के ग्रोथ में अकेले चीन का योगदान 39 परसेंट रहा. ऐसे में चीन की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था का असर पूरी दुनिया में 2003 के मुकाबले कहीं ज्यादा होने वाला है.


चीन के 24 प्रांतो में कोरोना वायरस की वजह से 10 फरवरी तक सारा करोबार बंद कर दिया गया है. कुछ इलाकों में उससे भी ज्यादा समय के लिए. सीएनबीसी का अनुमान है कि इन इलाकों का चीन के जीडीपी में करीब 80 परसेंट का योगदान है और देश के कुल एक्सपोर्ट का 90 परसेंट हिस्सा इन्हीं इलाके से ही आता है.


चीन पिछले 11 सालों से दुनिया का सबसे बड़ा आयातक और निर्यातक दोनों है. भारत के अलावा जापान और वियतमान की कई इंडस्ट्रीज चीन से होने वाली सप्लाई पर निर्भर है. ऐसे में चीन से सप्लाई आने में देरी हुई या महंगी होंगी तो इन अर्थव्यवस्थाओं पर बहुत ही बुरा असर पड़ने वाला है.


फिलहाल भारत में इंडस्ट्री को भरोसा है कि इस वायरस को जल्दी ही कंट्रोल कर लिया जाएगा और अगले हफ्ते से चीन से करोबार फिर से आंशिक रुप से शुरू हो सकता है. साथ ही कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि इसकी सही दवा को खोज लिया गया है. इसी वजह से पूरी दुनिया के शेयर बाजार में पिछले चार दिनों से जोरदार रैली दिख रही है. लेकिन ये सारी उम्मीदें है और हकीमत का सामना अगले हफ्ते ही होगा.


उम्मीद है कि अगले हफ्ते हालात सामान्य हो सकते हैं


लेकिन चीन में अगले हफ्ते से 24 प्रांतो में कारोबार आंशिक रुप से भी शुरू नहीं होते हैं तो भारत में दवा की कीमतें बढ़ना तय है. हो सकता है कि कुछ जरूरी दवाईयों के सप्लाई पर भी इसका असर पड़े. नए बीएस नॉर्म गाड़ियों के सप्लाई पर इसका असर पड़ सकता है.


हमारी अर्थव्यवस्था को चीन में वायरस अटैक से कितना धक्का लगेगा, इसके आधिकारिक अनुमान के लिए तो थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. फिलहाल तो यही उम्मीद करनी चाहिए कि भारत की फार्मा इंडस्ट्री को जरूरी सामान समय पर मिलता रहे.