देश में जो लोग और जो राज्य सरकारें ये मानकर बेपरवाह हो चुकी हैं कि कोरोना ख़त्म हो चुका है और तीसरी लहर अब नहीं आने वाली है,तो वे जरा सावधान हो जाएं. इसकी वजह ये है कि दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ने दुनिया के कई देशों में फिर से ख़तरे की घंटी बजा दी है. हालांकि भारत में फिलहाल इसका कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अलर्ट कर दिया है क्योंकि वायरस को भारत में आने के लिए किसी से इजाजत लेने की जरुरत नहीं होती.
इसे अब तक का सबसे ज़्यादा म्यूटेशन वाला वेरिएंट बताया जा रहा है. इसमें इतने ज़्यादा म्यूटेशन हैं कि वैज्ञानिक इसे डरावना और अब तक सबसे ख़राब वेरिएंट बता रहे हैं. इसके सामने आने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि ये नया वेरिएंट कितना संक्रामक है, वैक्सीन के बावजूद भी ये कितनी तेज़ी से फैल सकता है और इसे लेकर क्या करना चाहिए.क्योंकि वायरस का यह नया स्वरूप पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों में मिला है.
इस नए स्वरूप के सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वायरस के नए स्वरूपों की संख्या बढ़ सकती है जो टीके के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो सकते हैं और उनके प्रसार की दर और अधिक हो सकती है.इसलिये ये माना जा रहा है कि कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले मामलों में और बढ़ोतरी हो सकती है.
वायरस के इस नए स्वरुप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चिंता भी बढ़ा दी है और आज होने वाली विशेष बैठक में वो इस पर विचार करेगा कि बहुत अधिक बदलाव से पैदा हुए स्वरूप को ‘चिंतित करने वाले स्वरूप’ की सूची में डाला जाए या नहीं.
सबसे पहले इसकी पहचान इस हफ्ते दक्षिण अफ्रीका में की गई थी और यह पहले ही बोत्सवाना सहित कई पड़ोसी देशों में फैल चुका है.इस वेरिएंट को बी.1.1.529 कहा जा रहा है और शुक्रवार की बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे कोई नाम दे सकता है, जैसे एल्फ़ा और डेल्टा वेरिएंट नाम दिए गए थे. दक्षिण अफ़्रीका में सेंटर फॉर एपिडेमिक रेस्पॉन्स एंड इनोवेशन के निदेशक प्रोफ़ेसर टुलियो डी ओलिवेरा कहते हैं कि इसमें बहुत ज़्यादा म्यूटेशन हैं. "म्यूटेशन का असामान्य समूह" है और यह अन्य वेरिएंट से "बहुत अलग" है.उन्होंने कहा, "इस वेरिएंट ने हमें हैरान कर दिया है, ये हमारी उम्मीदों के उलट बहुत बड़ा बदलाव हुआ है."
इस वेरिएंट की गंभीरता को देखते हुए ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे दक्षिण अफ्रीका,हॉन्ग कॉन्ग और बोत्स्वाना से आने या जाने वाले यात्रियों की सख़्ती से जांच करें और उनका परीक्षण करें.स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखी एक चिट्ठी में कहा है कि भारत के नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (एनसीडीसी) ने सरकार को सूचित किया है कि 'बोत्स्वाना, दक्षिण अफ्रीका और हॉन्ग कॉन्ग में नए कोविड-19 वेरिएंट बी.1.1529 के कई मामले दर्ज किए गए हैं". '
"'इस वेरिएंट का म्यूटेशन काफ़ी ज्यादा बताया जा रहा रहा है. इसलिए इन देशों से यात्रा करने वाले और ट्रांज़िशन फ्लाइट लेने वाले वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री "एट रिस्क'' श्रेणी का हिस्सा हैं और उनकी कड़ी जांच और परीक्षण करना अनिवार्य है.'' स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी कहा है कि जारी दिशानिर्देशों के अनुसार इन अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के संपर्कों में आए सभी लोगों को बारीकी से ट्रैक और टेस्ट किया जाना चाहिए.
वहीं, ब्रिटेन ने नए वेरिएंट को लेकर सामने आ रही चेतावनियों के बीच छह अफ़्रीकी देशों से आने वाली फ्लाइट पर प्रतिबंध लगा दिया है.ब्रिटेन ने छह अफ्रीकी देशों को यात्रा प्रतिबंध सूची में शामिल किया है. इन देशों में दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, ज़िम्बाब्वे, बोत्सवाना, लेसोथो और इस्वातिनी शामिल है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक वायरस के हमारे शरीर की कोशिकाओं से संपर्क बनाने वाले हिस्से की बात करें तो इसमें 10 म्यूटेशन हुए हैं. जबकि दुनिया भर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरिएंट में दो म्यूटेशन हुए थे.इस तरह का म्यूटेशन किसी एक मरीज़ में होने की संभावना है जो वायरस से लड़ने में सक्षम ना हो पाया हो. लेकिन, चिंता इस बात की है ये वायरस चीन के वुहान में मिले मूल वायरस से मौलिक रूप से अलग है.
इसका मतलब ये है कि उस मूल वायरस को ध्यान में रखकर बनाई गईं वैक्सीन इस वेरिएंट पर निष्प्रभावी हो सकती हैं.दक्षिण अफ़्रीका में यूनिवर्सिटी ऑफ़ क्वाज़ुलु-नटाल में प्रोफ़ेसर रिचर्ड लेसल्स कहते हैं, "हमारी चिंता ये है कि इससे वायरस की एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने की क्षमता बढ़ सकती है. ये प्रतिरक्षा प्रणाली के हिस्सों से भी बच सकता है."
यही वजह है कि दुनिया के कई देश इसलिये भी और ज्यादा चिंतित हो उठे हैं कि नये वेरिएंट का एक भी मामला सारे देश में तबाही मचाने का कारण बन सकता है क्योंकि इससे लड़ने की कोई वैक्सीन अभी ईजाद ही नहीं हुई है.
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