योगी आदित्यनाथ लखनऊ में अपने सरकारी बंगले पर थे. मीटिंग ख़त्म हो चुकी थी. उन्होंने एक फ़ाईल उठा कर पढ़ना शुरू ही किया था. तभी एक सीनियर अफ़सर योगी के पास आए. अपना मोबाइल फ़ोन निकाला. फिर एक छात्रा का वीडियो दिखाया. कोटा में रह रही एक लड़की लॉकडाउन के बाद से परेशान थी. वो अपने घर यूपी आना चाह रही थी. इस वीडियो को देखने के बाद योगी कुछ देर के लिए ख़ामोश हो गए. वे धर्म संकट में थे. उनके दिमाग़ में एक साथ दो बातें चल रही थीं. पीएम नरेन्द्र मोदी का सूत्र वाक्य जो जहां हैं, वहीं रहें बार बार घूम रहा था. दूसरी तरफ़ यूपी के बच्चों की तकलीफ़ें. आख़िर क्या किया जाए ?


कई राज्यों ने योगी सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठाए


योगी ने अगले दिन इसी बात पर मीटिंग बुला ली. ये बात 17 अप्रैल की है. यूपी के मुख्यमंत्री ने फ़ैसला सुना दिया कि कोटा में रह रहे बच्चों को लाया जाए. वे जानते थे इस बात पर देश भर में हंगामा होगा. लेकिन उन्हें सिर्फ़ फ़िक्र बच्चों की थी. तय हुआ कि बसें भेज कर बच्चों को उनके घर तक पहुंचाया जाएगा. लेकिन प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करते हुए. बस को सेनिटाइज किया जाए. सभी छात्र छात्राओं का स्क्रीनिंग हो. कोरोना बीमारी का लक्षण मिलने पर बच्चे के क्वॉरन्टीन कराया जाए. कोटा में फंसे यूपी के 11,500 बच्चों को उनके घर पहुंचाया गया. कई राज्यों ने योगी सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठाए. लेकिन फिर दो तीन दिनों बाद एक एक कर कोटा से अपने बच्चों को बुलाने लगे. सबसे अधिक विरोध बिहार की नीतीश सरकार ने किया था. लेकिन केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन आने के बाद अब बिहार भी कोटा से बच्चों को वापस लाने की तैयारी में है.


25 मार्च से ही देश में लॉकडाउन लागू हो गया था
अब जो बात मैं बताने जा रहा हूं वो बड़ी चौंकाने वाली है. 25 मार्च से ही देश में लॉकडाउन लागू हो गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 तारीख़ को इसका एलान किया था. लॉकडाउन होते ही योगी आदित्यनाथ ने सीनियर अफ़सरों की मीटिंग बुलाई. सबसे लंबी चर्चा की. फिर उन्होंने 16 नोडल अफ़सर तय कर दिए. सबको अलग अलग राज्यों कि ज़िम्मेदारी दे दी गई. योगी का मानना था कि देश भर में यूपी के लोग फंसे हैं. कई घर लौटना चाहते हैं. कुछ खाने पीने को लेकर परेशान हैं. किसी को मेडिकल सहायता चाहिए. ऐसे लोगों तक पहुंचने के लिए योगी ने नोडल अधिकारियों की लिस्ट जारी कर दी. अफ़सरों का सेलेक्शन भी बड़ा सोच समझ कर किया गया था. महाराष्ट्र में उस आईपीएस अधिकारी को लगाया गया जो मराठी है. बिहार झारखंड के लिए एक बिहारी आईएएस अफ़सर को ज़िम्मेदारी दी गई. ओड़िशा के लिए उड़िया अधिकारी को काम दिया गया. नोडल अफ़सरों की चर्चा यहां बहुत ज़रूरी है. इसका कनेक्शन केन्द्रीय गृह मंत्रालय के ताज़ा गाइडलाइन से भी है.


फंसे हुए लोगों को निकालने का योगी मॉडल हिट है
देश भर में फंसे मज़दूरों, टूरिस्टों, छात्रों और श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है. जो 4 मई से लागू होगी. इसमें ये सिलसिलेवार तरीक़े से बताया गया है कि लोगों को कैसे एक राज्य से दूसरे राज्य ले ज़ाया जाएगा. इस काम के लिए सभी राज्य सरकारों को अपने नोडल अफ़सर तय करने के लिए कहा गया है. राज्य सरकारें आपस में बात चीत कर बसों का इंतज़ाम करेंगी. सभी बसों को सेनिटाइज करने को कहा गया है. जिन लोगों को लाया और ले ज़ाया जाएगा, उन सबकी स्क्रीनिंग होगी. अपने घर पहुंचने से पहले उनका फिर से मेडिकल चेकअप होगा. कोरोना के लक्षण वालों का होम क्वॉरंटीन होगा. ये सब उसी तरह होगा जैसा योगी सरकार करती रही है. गृह मंत्रालय का गाइडलाइन योगी आदित्यनाथ के फ़ार्मूले से हूबहू मिल रही है. इसीलिए अब ये कहा जाने लगा है कि फंसे हुए लोगों को निकालने का योगी मॉडल हिट है.


यूपी सरकार ने सभी राज्यों को चिट्ठी लिख कर उनके यहां रह रहे मज़दूरों, छात्रों और टूरिस्टों का पूरा ब्यौरा मांगा
इस बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने लोगों से भावुक अपील की है. अलग अलग राज्यों में फंसे लोगों से उन्होंने धैर्य बनाए रखने को कहा है. योगी ने कहा है कि सबको उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने पर काम चल रहा है. उन्होंने 3 मई तक अपने घर के लिए पैदल न निकलने की अपील की है. यूपी सरकार ने सभी राज्यों को चिट्ठी लिख कर उनके यहां रह रहे मज़दूरों, छात्रों और टूरिस्टों का पूरा ब्यौरा मांगा है. ब्यौरे में सबका नाम, पता, मोबाईल नंबर और मेडिकल रिपोर्ट की जानकारी मांगी गई है.


दूसरे राज्यों में फंसे हुए हज़ारों लोगों को यूपी ला चुकी है योगी सरकार
पिछले दस दिनों में योगी सरकार दूसरे राज्यों में फंसे हुए क़रीब 20 हज़ार लोगों को यूपी ला चुकी है. ये सभी लोग बस से आए हैं. यूपी आने वाले अधिकतर लोग रोज़ कमाने और खाने वाले हैं. हरियाणा से 13 हज़ार लोगों को लाया जा रहा है. राजस्थान से क़रीब 50 हज़ार मज़दूर बस से लाये जा चुके हैं. मध्य प्रदेश से लोगों का आना भी शुरू हो गया है. प्रयागराज से यूपी के अलग अलग ज़िलों में क़रीब 12 हज़ार छात्र छात्रायें अपने घर सुरक्षित पहुँच चुके हैं. सबसे बड़ी बात ये हैं कि अब तक बाहर से आए लोगों के कारण कहीं भी कोरोना वायरस के संक्रमण होने की कोई खबर नहीं आई है. ये सब इसीलिए मुमकिन हुआ क्योंकि लाने और ले जाने में मेडिकल प्रोटोकॉल का पूरा ख़्याल रखा गया है. जबकि पंजाब की कहानी जगज़ाहिर है. नांदेड से पंजाब पहुंचते पहुंचते 90 से भी अधिक लोग कोरोना पॉज़िटिव हो चुके हैं.


हॉट स्पॉट वाली स्कीम भी यूपी से निकली है
कोरोना से बेहाल राज्यों में हॉट स्पॉट योजना से संक्रमण रोकने की कोशिशें जारी हैं. कई जगहों पर इसे रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन का नाम दे दिया गया है. रेड ज़ोन ही हॉट स्पॉट है. ये हॉट स्पॉट वाली स्कीम भी यूपी से निकली है. इसकी शुरूआत आगरा शहर से हुई थी. ये बात 6 अप्रैल की है. जब पहली बार ताजमहल के लिए मशहूर आगरा में कुछ इलाक़ों को हॉट स्पॉट घोषित किया गया था. आगरा मॉडल की तारीफ़ पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी की थी. कोरोना मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ने के कारण आगरा मॉडल पर सवाल उठने लगे हैं. लेकिन ये मत भूलना चाहिए कि हॉट स्पॉट वाले फ़ार्मूले से नोएडा शहर इंदौर बनने से बच गया. जबकि दोनों ज़िलों की आबादी एक जैसी है.


दिल्ली से सटे होने के बाद भी ग़ाज़ियाबाद में हालात ठीकठाक हैं. हॉटस्पॉट के चलते दिल्ली में भी हालात पहले से बेहतर होने लगे हैं. यूपी की हॉट स्पॉट स्कीम आज देश के कई राज्यों में लागू है. वैसे आपको बता दें कि चीन के वुहान में भी इस से मिलते जुलते स्कीम से ही कोरोना को कंट्रोल किया गया था. इसी वुहान शहर से ये वायरस दुनिया भर में फैला है.


अब ज़रा हॉट स्पॉट फ़ार्मूले को भी समझ लीजिए. जिस इलाक़े में कोरोना का पॉज़िटिव केस अधिक मिलता है. उसे पूरी तरह सील कर दिया जाता है. बैरिकेडिंग लगा कर उस एरिया में लोगों की आवाजाही बंद कर दी जाती है. स्वास्थ्य, सफ़ाई और ज़रूरी सामान की होम डिलीवरी करने वालों के आने जाने की छूट दी जाती है. हर हॉट स्पॉट के लिए एक मजिस्ट्रेट और एक पुलिस अफ़सर की ड्यूटी लगा दी जाती है. पूरे इलाक़े को सेनिटाइज किया जाता है. हॉट स्पॉट वाले हर घर और उसमें रहने वाले की स्क्रीनिंग की जाती है.


स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार लाई एक नया अध्यादेश
स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार एक नया अध्यादेश लेकर आई है. जिसके बाद मेडिकल टीम पर हमारा करने वालों को ज़मानत नहीं मिलेगी. छह महीने से लेकर सात साल तक की सजा हो सकती है. किसी डॉक्टर की गाड़ी या संपत्ति के नुक़सान पर आरोपियों को दोगुना जुर्माना देना पड़ सकता है. केंद्र की तरह अब योगी सरकार भी एक नया क़ानून बनाने की तैयारी में है. जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों के साथ साथ पुलिसवाले और सफ़ाईकर्मी की सुरक्षा का भी ख़्याल रखा गया है. देश में कई जगहों पर मेडिकल टीम से लेकर पुलिसवालों पर जानलेवा हमले हुए. पहली ऐसी खबर इंदौर से आई थी. आज भी इस तरह के हमले जारी हैं


क्या कहते हैं आंकड़े


अब ज़रा एक आंकड़े पर चर्चा कर लें. इससे कोरोना महामारी को लेकर यूपी की पूरी तस्वीर साफ़ हो जाएगी.इसके लिए हमने 29 अप्रैल की शाम का आंकड़ा लिया है. उस दिन यूपी में 72 नये पॉज़िटिव केस आए. जबकि 77 लोग स्वस्थ होकर घर लौट गए. इसका मतलब ये हुआ कि बीमार होने के मुक़ाबले ठीक होने वालों की संख्या बढ़ने लगी है. हर तरफ़ से आ रही बुरी खबरों के बीच ये एक गुड न्यूज़ है. उस दिन यूपी में एक्टिव मामलों की संख्या 1612 से घट कर 1602 हो गई. बात यहीं ख़त्म नहीं होती है. अब ज़रा रिकवरी रेट के ताज़ा आंकड़े को ही ले लीजिए. यूपी में रिकवरी रेट 24 प्रतिशत हैं. महाराष्ट्र में ये आंकड़ा 16, गुजरात में 13 और मध्य प्रदेश में 18 फ़ीसदी है. अब रिकवरी रेट के भी समझ लें. बीमार होने के बाद स्वस्थ हो जाने के रेट को रिकवरी रेट कहते हैं. इस हिसाब से यूपी में हालात ठीक हैं. जबकि आबादी के हिसाब से ये देश का सबसे बड़ा राज्य है. 23 करोड़ लोग यूपी में रहते हैं.


कोरोना से दुनिया भर में सवा दो लाख लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले भारत में क़रीब 11 सौ लोगों की जान जा चुकी है. सबसे अधिक मौत महाराष्ट्र में हुई है. इसके बाद गुजरात, एमपी, दिल्ली और राजस्थान का नंबर आता है. इस लिस्ट में यूपी छठे नंबर पर है. देश भर में कोरोना मरीज़ों की संख्या 33 हज़ार पार कर गई है. इस लिस्ट में भी महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, एमपी, राजस्थान और तमिलनाडु के बाद यूपी सातवें पोजिशन पर है.


देश भर में योगी मॉडल की चर्चा हो रही है
कहते हैं कि संकट में समय में ही लीडरशिप की असली परखा होती है. उसकी परीक्षा होती है. तो फिर ये कहा जा सकता है कि इस टेस्ट में योगी आदित्यनाथ अब तक पास रहे हैं. यूपी के मुख्यमंत्री की पहचान अब तक बीजेपी के स्टार प्रचारक की थी. लोग उनमें एक आक्रामक हिंदुत्ववादी नेता की छवि ढूंढ़ते रहे हैं. लेकिन इस बार योगी ने अपनी परंपरागत इमेज वाली फ़्रेम तोड़ दी है. देश भर में योगी मॉडल की चर्चा हो रही है. कुछ लोगों ने आलोचना भी की है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ योगी सरकार का गुणगान कर रही है. संघ के मुख पत्र पाँचजन्य में उन्हें सबसे बढ़िया मुख्य मंत्री बताया गया है. दो साल बाद यानी 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होंगे. योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी चुनौती अब राज्य की आर्थिक हालत मज़बूत करने की होगी.