(ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से राजेश कुमार ने बातचीत की. इस बातचीत में शंकराचार्य के मिशन, सनातन धर्म के विरोध, मुख्तार अंसारी की मौत सहित मोदी-योगी के विरोधी होने का जो आरोप अविमुक्तेश्वरानंद पर लगता है, इन सभी विषयों पर बातचीत हुई. उस बातचीत का संक्षिप्त संस्करण नीचे दिया जा रहा है. पूरी बातचीत एबीपी लाइव के यूट्यूब चैनल पर सुनी जा सकती है.)
प्रश्नः बांदा जेल में मुख्तार अंसारी की मौत हो गयी. उनके विषय में क्या सोचते हैं?
उत्तरः इसमें विशेष क्या देखना है, काल तो बली है. एक दिन सबको ही मौत आनी है. समस्या यही है कि लोग भूल जाते हैं. उनके जो जानने वाले हैं, उनको यह समझना चाहिए. जो लोग उनके करीब थे, जानने वाले थे, उन्होंने अलग तरह से उनको देखा होगा, वे अपने भावों की अभिव्यक्ति करेंगे. मेरी जहां तक बात है, तो यही समझता हूं कि मुख्तार ने कितना डंका पीटा, लेकिन आखिरकार बचा क्या? भगवान शंकाराचार्य ने कहा है कि धन का, जन का गर्व मत करो. काल आएगा और एक क्षण में तुम्हें ले जाएगा. सब कुछ यहीं रह जाएगा.
प्रश्नः मुख्तार अंसारी के परिवार ने न्यायिक जांच की मांग की है, खुद मुख्तार ने मौत से पहले यह आरोप लगाया था कि उन्हें जहर दिया जा रहा है.
उत्तरः अब यह तो जांच का विषय है. अगर ऐसी आशंका व्यक्त की गयी, तो जांच होनी चाहिए. मामला साफ हो जाना चाहिए.
प्रश्नः आप आजकल नंगे पांव एक मिशन पर निकले हुए हैं, किस तरह का मिशन है और आप का लक्ष्य क्या है?
उत्तरः जिस जगह पर मैं बैठा हूं, उस जगह पर हरेक सनातन धर्मी के लिए सोचना हमारा कर्तव्य है. हम देख रहे हैं कि जो हमारे सनातनधर्मी है, जाने-अनजाने उनके सिर पर गो-हत्या जैसा पाप लग रहा है. ये कैसे लग रहा है? अभी मतदान का समय है, तो अगर वे किसी ऐसे दल या व्यक्ति के लिए मत दे डालें, जो गोहत्या को बढ़ावा देता है, तो वह भी उस पाप के भागी बन जाते हैं. कहा जाए तो अगर कोई ऐसी सरकार आ गयी, जो गोवध को बढ़ावा देगी, तो फिर मतदाता भी उसके अधर्म के वाहक होंगे. हम सनातनधर्म के अनुयायी मतदाता गोहत्या का पाप अपने सिर न लें, इसलिए हम उन्हें जागरूक करने के अभियान पर निकले हैं कि वे गोहत्या को समर्थन देनेवाली पार्टियों को वोट न दें.
प्रश्नः आपने 'माई' पार्टी और 'कसाई' पार्टी की बात की है...
उत्तरः माई तो हमारी गाय ही है. वह मां है. हमने 'भाई' और 'कसाई' पार्टी का नारा दिया है. भाई वो होते हैं, जो एक ही मां से हों. जैसे हम सनातनधर्मी गाय को मां मानते हैं, वैसे ही जो भी पार्टी या प्रत्याशी इस बात की घोषणा करेगा कि वह गाय को माता मानता है और वह विजयी होकर अगर संसद में जाता या जाती है, तो संसद में गोहत्या को रोकने के लिए, इसके निषेध के लिए इसे अपराध घोषित करेगा, वह हमारा भाई है. जो मां नहीं मानता, मार रहा है, या उसकी संभावना है, वह तो कसाई होगा ही.
प्रश्नः बीजेपी खुद को सबसे बड़ी हिंदुत्ववादी पार्टी कहती है. आपको नहीं लगता है कि इस काम के लिए आपको उनको विश्वास में लेना चाहिए?
उत्तरः हमने कई बार कोशिश की. जितनी भी पार्टियां केंद्र की सत्ता में आयी है, सनातन-धर्मियों ने सभी से इस विषय में कहा है, प्रार्थन की है. गजब की बात है कि किसी ने मना भी नहीं किया है, सब कहते हैं कि हां,हां, वे यह काम करेंगे, गोहत्या पर कानून बनाएंगे. हालांकि, सच्चाई क्या है...हरेक पार्टी के समय गोहत्या बढ़ती जा रही है, गोमांस की वृद्धि हो रही है, मशीनों पर सब्सिडी बढ़ती जा रही है, कसाईखानों के लाइसेंस बढ़ते जा रहे हैं.
प्रश्नः खाने का प्रश्न तो व्यक्तिगत पसंद-नापसंद का है, फिर इस पर बैन कैसे लगाया जा सकता है?
उत्तरः यह तो सही है, लेकिन हमारे लिए प्लेटफॉर्म बने हुए हैं. अगर आपको हैदराबाद जाना है, या असम जाना है, तो आप उस निश्चित प्लेटफॉर्म से ही जाएंगे. आप यह नहीं कह सकते कि हम किसी भी प्लेटफॉर्म से चलें, हमें हैदराबाद ही जाना है. उसी तरह अगर आपको हिंदू रहना है , तो आप गोहत्या नहीं कर सकते, गोमांस का व्यापार नहीं कर सकते और उसमें सहभागी नहीं बन सकते. आप हिंदू नहीं रहिए, बदलकर चले जाइए. जैसे, हमारे में से ही बहुत सारे लोगों ने बदल लिया और देश के टुकड़े भी कर लिए. वे अब अलग रहते हैं. अब हमारा जो भाई बना रहना चाहता है, खुद को हिंदू भी घोषित करता है और वो चाहता है कि वह गाय भी खाए और हिंदू भी रहे, यह नहीं चल सकता है. आपको अपनी रुचि के अनुसार रहना है, तो वैसा चयन करना होगा. अपनी पहचान को तो साफ करना होगा, क्योंकि बदलाव तो लाना होगा.
प्रश्नः इस पर पूरी तरह से बैन कैसे लग सकता है, आपकी नजर में?
उत्तरः यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है. यह तो बस राजनीतिक इच्छाशक्ति की बात है. हमारे यहां कोई भी निर्णय बहुमत से होता है. बहुमत तो गोमाता को माता ही मानते हैं. बहुसंख्यक लोग जब यह मानते ही हैं तो फिर अनादर क्यों हो रहा है, उनकी भावनाओं का. यही तो प्रश्न है. यही तो हम पूछ रहे हैं.
प्रश्नः हालिया दिनों में योगी सरकार ने एक खास ब्रैंड के प्रोडक्ट पर पाबंदी लगायी. मुसलमानों ने इस पर काफी विरोध जताया. आप क्या सोचते हैं?
उत्तरः देखिए, आप किस घटना की तरफ इंगित कर रहे हैं, वह मुझे नहीं पता औऱ जब तक पता न हो, तब तक कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं है.
प्रश्नः इस बीच सनातन-विरोधी काफी बयान आए हैं. चाहे वह स्वामी प्रसाद मौर्य का हो, बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का हो, डीएमके के नेता हों, उन्होंने काफी कुछ बोला है. कहा जा रहा है कि सनातन धर्म खतरे में है. आप क्या सोचते हैं?
उत्तरः खतरे में तो हैं ही. हिंदुओं के नाम पर वोट ले रहे हैं और सत्ता में बैठकर गाय को काट रहे हैं. हम विरोधी से नहीं हारते. हम तो पराक्रमी हैं. अपने ही लोगों से हमें खतरा है. इसलिए, सनातन के सामने खतरा है. गाय की हत्या हिंदू-बहुल देश में कैसे हो सकती है. गाय कट रही है तो फिर सनातन सुरक्षित कैसे है?
प्रश्नः गोहत्या का मामला तो पहले भी उठा. है. खुद सीएम योगी ने भी यह मसला उठाया, फिर गोशालाएं भी खोलीं. इसको आप कैसे देखते हैं?
उत्तरः देखिए, सवाल ये है कि गोहत्या क्यों नहीं बंद हो रही है, उसका व्यापार बढ़ क्यों रहा है? हम किसी के काम की निंदा नहीं कर रहे, पर इसका जवाब कोई नहीं दे रहा है. जब सारा देश हिंदू-हिंदू हो गया, भगवा हो गया, तो फिर गोहत्या रुक क्यों नहीं रही है? राष्ट्रमाता का दर्जा जैसे ही मिलेगा, तो बैन तो मिल ही जाएगा. उसके बाद लोग हिचकेंगे, क्योंकि लोगों को दंड मिलेगा. अपने देश में किसी मनुष्य की हत्या करना अपराध है, घोषित अपराध है, दंड संहिता के अनुसार. फिर भी, हत्याएं होती ही हैं, लेकिन हत्यारा यह तो जानता है कि पकड़े जाने पर दंड मिलेगा. उसी तरह जब गोहत्या होगी, तो लोगों को दंड मिलेगा और फिर उसमें कमी आएगी.
प्रश्नः आप पर आरोप लगता है कि आप मोदी सरकार के विरोधी हैं, जब रामलला की प्रतिष्ठा होती है, तो आप विरोध करते हैं, जब बनारस में विकास होता है, तो आप उसका विरोध करते हैं.
उत्तरः कोई एक शब्द हमारा सुना दे, जो हमने मोदी के विरोध का कहा हो. यह आपको भी चुनौती है. हालांकि, चाहे कोई भी हो, अगर कोई व्यक्ति या संस्था या राजनीतिक पार्टी के गलत कार्य का विरोध हमने किया है, तो उसे किसी एक व्यक्ति के साथ जोड़कर हमें कहना हमारे साथ अन्याय होगा. हां, हमने गलत कामों का विरोध किया है. यह तो हमारा अधिकार है, इस देश में. हम संन्यासी हैं. हम किसी का विरोध नहीं कर सकते. हम तो सभी को हमेशा प्रसन्न देखना चाहते हैं. हम तो 100 करोड़ सनातनियों के लिए पैदल नंगे पांव चल रहे हैं. उसमें क्या मोदीजी या योगीजी नहीं आते हैं?