उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का हाल सड़क पर अपराधियों के खौफ से आगे अब जेल तक पहुंच चुका है। जिन बदमाशों को एनकाउंटर के जरिये पुलिस पकड़ती है, अदालत जेल भेजती है, वो बदमाश जेल में भी खुलेआम तमंचा लहराते हैं। शराब-कबाब की पार्टी करते हैं, सेल्फी और वीडियो बनवाते हैं। क्या यही है यूपी के तेज़-तर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निजाम में पुलिस का खौफ ? क्या ऐसे पुलिस-प्रशासन पर भरोसा कर पाएंगे हम और आप ?.

उन्नाव जेल में कैदियों के तमंचा लहराती वायरल वीडियो ने उत्तर प्रदेश की पूरी कानून व्यवस्था को हवा कर दिया है। अफसरों पर हवाइयां उड़ रही हैं और सीएम योगी के प्रशासन की साख दांव पर आ गई है। जेल में अपराधियों के गुंडागर्दी की ऐसी खुलेआम तस्वीरें भी कोई पहली बार सामने नहीं आई हैं। महज़ हफ्ते-10 दिन के भीतर ही अलग-अलग शहरों की जेलों से ऐसी तमाम तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जो इशारा करती हैं, कि अपराधियों ने यूपी की जेलों को अपनी ऐशगाह बना रखा है। एक के बाद एक यूपी की जेलों से सामने आ रही बेखौफ बदमाशों की इन तस्वीरों को झुठलाना आला अफसरों के बूते से भी बाहर है।

जब-जब ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं तो सरकार अफसरों के ताबड़तोड़ तबादले कर देती है। जैसा कि जेलों में गुंडागर्दी की तस्वीर सामने आने पर सरकार ने एक दिन पहले किया लेकिन बड़ा सवाल ये है कि यूपी में सड़क से जेल तक आखिर क्यों बेखौफ हैं बदमाश?

सुधार के ऐसे दावे तो ये अफसर हमेशा करते रहते हैं लेकिन हकीकत सामने है। अपराधी जब जेल को ही ऐशगाह बना चुके हैं तो सड़क पर उनके बेखौफ होने की कल्पना से ही आम आदमी सिहर उठता है। हैरानी तो ये है कि इन अपराधियों को जिन एनकाउंटर के दम पर पकड़ कर जेल में भेजा गया है, उन एनकाउंटर से अपराधियों में खौफ का दम सरकार और पुलिस प्रशासन करती रहती है। उन एनकाउंटर की चर्चा पूरे देश में होती है लेकिन हकीकत सबके सामने है। अपराधियों पर शिकंजा कसने में नाकाम यूपी पुलिस, जनता में भरोसा कायम करने के कदम भी उठा रही है। वैसे गौर करने वाली बात ये भी है कि अगर सच में अपराध पर नकेल कस रही होती तो शायद यूपी पुलिस को शहर-शहर सड़कों और गलियों में 'जागते रहो' का एलान नहीं करवाना पड़ता।

दरअसल, जेल मैन्युल का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। रिश्वत और बदमाशों की दबंगई के असर में कई बार जेलकर्मी ड्यूटी में कोताही करते हैं। कई बार सियासी दखल भी इसकी वजह बनता है। जेल से लेकर सड़क तक पुलिस की कार्रवाई में यही कोताही ऐसी तस्वीरों को जन्म देती है, जो आम जनता में खौफ पैदा करती है और पुलिस के इकबाल पर सवाल उठाती है। अपराधियों में खौफ और जनता में भरोसा कायम करने के लिए सलीका, ईमानदारी और इकबाल तीन जरूरी बातें हैं। जबतक पुलिस इन तीनों पर सख्ती से अमल नहीं करेगी तबतक सीएम और आला अफसरों की मंशा अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाएगी।