ह्वाट्सएप पर किसी का लिंक स्वीकार करना हो या किसी अनजान नंबर से आए कॉल के बदले वीडियो कॉल स्वीकारना, बैंक के नाम पर कॉल कर आपसे ओटीपी मांगना हो या बिजली विभाग का कर्मचारी बनकर आपसे निजी जानकारी ले लेना, साइबर क्राइम और फ्रॉड हमारी-आपकी जिंदगी में चौतरफा घुस चुका है और नए-नए तरीकों से हमारी-आपकी मेहनत की कमाई लूट ले रहा है. हमारे देश में अभी भी इसको लेकर जागरूकता की काफी कमी है और इससे बचने के लिए सचेत रहना ही एकमात्र उपाय है. 


चौतरफा हो रहा साइबर क्राइम का हमला


आजकल साइबरफ्रॉड के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं. यहां तक कि चैटजीपीटी जैसे एआई प्लेटफॉर्म का भी इन नए तरीकों को बताने में बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है. याद रखना चाहिए कि कोविड-19 के बाद हम साइबर क्राइम के गोल्डन एज में प्रविष्ट हो चुके हैं. नए और बिल्कुल अलग तरीकों से ठगने का प्रयास किया जाएगा. चाहे ये मैसेज आए कि आपकी बिजली कट जाएगी या आपके बैंक से रिलेटेड कुछ नया करना है. ये बिल्कुल अलग तरीके से साइबर फ्रॉड करते हैं, जिसमें न केवल आम आदमी, बल्कि बुद्धिजीवी भी, प्रशिक्षित लोग भी फ्रॉड का शिकार हो जाएंगे. अब तो हमको इसके लिए तैयार होना चाहिए कि दुनिया में दो तरह के लोग ही होंगे. पहले, जो जानते हैं कि उनके साथ साइबर फ्रॉड हुआ है, दूसरा जो नहीं जानते हैं कि उनके साथ फ्रॉड होनेवाला है. इसमें जो पहला वर्ग है, उसका परचम लहरानेवाला है, तो हरेक आदमी को तैयार रहना होगा कि उसके साथ ऑनलाइन ठगी की संभावना है. 



कम मेहनत में अधिक पैसे का सेक्सटॉर्शन


सेक्सटॉर्शन दरअसल बहुत कम मेहनत में अधिक पैसे देने का जरिया है. वैसे भी, हम भारतवासी हर किसी पर भरोसा कर लेते हैं. तो कोई कहता है कि फलां लिंक है, वीडियो कॉल का, तो उसे भी हम लोग दबा देते हैं. एक बार उसकी वीडियो कॉल चालू हो गयी, तो दो-चार सेकेंड में ही सेक्सटॉर्शन का मसाला तैयार हो जाता है. एक ही माध्यम है इस तरह के कॉल से बचने का कि आप किसी भी अनजान व्यक्ति से इस तरह का कोई भी कॉल न स्वीकार करें. अगर कोई इस तरह के मामलों में शिकार बन जाते हैं, तो पहली चीज तो यह समझनी चाहिए कि आपको चुप नहीं बैठना चाहिए. आपको तुरंत 1930 पर फोन कीजिए. यह राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर है.


अगर आपके साथ बैंक से संबंधित किसी भी तरह का फ्रॉड होता है और आपने इस नंबर 1930 पर फोन किया, तो स्वतः ही इस नंबर से उस बैंक को फोन चला जाता है, जहां आपका खाता है. बैंक को कहा जाता है कि यह धोखाधड़ी का पैसा है, फ्रॉड हुआ है तो बैंक ही उस ट्रांजैक्शन को रोक देता है. इसलिए, किसी भी धोखाधड़ी की स्थिति में पहला काम आपको करना है कि इस नंबर पर कॉल करें. इस नंबर ने करोड़ों रुपया बचाया है. इसके अलावा आप घर बैठे भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. सरकार ने cybercrime.gov.in की सुविधा दी है. आप इस पर घर बैठे अपने मोबाइल से शिकायत दर्ज कर सकते हैं और वह आपके थाने पहुंच जाएगा. आपको दरअसल खुद से पूछना है कि यह साइबर क्राइम आपसे क्यों हुआ, फिर आपको सावधान रहना है. हरेक समय आपको सावधान रहना है. 


हमारा रिस्पांस ढीला, कसने की जरूरत


भारत का जो रिस्पांस है, साइबर क्राइम को लेकर, वह बहुत कारगर नहीं है. साइबर क्राइम को लेकर कोई डेडिकेटेड कानून नहीं है. सूचना-प्रौद्योगिकी अधिनियम के भरोसे हम हैं. इसके अलावा मुकदमे दर्ज नहीं होते, पुलिसकर्मी अधिकतर टालमटोल करते हैं और आपकी कंप्लेन दर्ज नहीं होती. बहुतेरे लोग शिकायत करते हैं कि उनके साथ बहुत हरैसमेंट हुआ है. अगर मामला दर्ज भी हो जाता है, तो जो इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस हैं, उनको पुलिस उठा नहीं पाती, ढंग से. कोर्ट में पेश नहीं कर पाती. तो, मामला दर्ज होने के बाद सजा नहीं मिल पाती है. जो आंकड़े दिखाए जाते हैं, वो सिर्फ एफआईआर दर्ज होने के हैं. तो, कानून का संशोधन करना पड़ेगा. पुलिस बल को कसना पड़ेगा. इस अपराध को नॉन-बेलेबल बनाना होगा. अलग से सख्त कानून ला सकते हैं. जब तक उपभोक्ता यानी यूजर सशक्तीकृत नहीं होगा, तब तक हमें नतीजे नहीं मिलेंगे. उपभोक्ता को साइबर-सुरक्षा अपनी जीवनशैली में अपनाने के लिए हमें प्रोत्साहित करना पड़ेगा. उसके अलावा कोई चारा नहीं है. 


भारत में जागरूकता की बहुत कमी है. डिजिटल नागरिकों को, यूजर्स को, उपभोक्ताओं को जितना ही हम जागरूक करेंगे, साइबर क्राइम के तरीकों के बारे में बताएंगे, उतना ही वह इससे बच सकेंगे. यह बात अब स्थापित हो चुकी है कि पहली कक्षा से साइबर लॉ और साइबर क्राइम के बारे में बताना होगा. परिवार का भी दायित्व बनता है, समाज का भी दायित्व बनता है कि हम लोग एक-दूसरे को जागरूक करें, कई बार ऐसा भी होता है कि अगले को पता भी नहीं होता और वह साइबर क्राइम का शिकार बन चुका होता है. 


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]