एक्सप्लोरर

Blog: दादा साहब फाल्के पुरस्कारों में महिला फिल्मकारों को क्यों भुला दिया जाता है

दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है. यूं तो फाल्के पुरस्कार पिछले कुछ बरसों से अब अपनी पुरस्कार राशि के लिहाज से भी सबसे बड़ा सम्मान हो गया है, जिसमें विजेता को स्वर्ण कमल के साथ 10 लाख रूपये की बड़ी राशि भी प्रदान की जाती है. हालांकि जो फिल्म वाले करोड़ों कमाते हैं उनके लिए तो यह बड़ी राशि भी ऊंट के मुंह में जीरा के समान है, लेकिन जो फिल्म वाले आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं, उनके लिए 10 लाख रुपए किसी वरदान से कम नहीं. लेकिन फाल्के पुरस्कार एक ऐसा क्षितिज है जिसे इसकी राशि से नहीं, इसके स्वरुप से आंका जाता है.

यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहब धुंडीराज गोविन्द फाल्के की स्मृति और सम्मान में सिनेमा के उस शिखर व्यक्तित्व को दिया जाता है, जिसने जीवन भर सिनेमा को अपना भरपूर योगदान दिया हो. यह योगदान अभिनय क्षेत्र में हो सकता है या फिल्म निर्माण-निर्देशन, गीत-संगीत, सिनेमाटोग्राफी या सिनेमाई कला के किसी भी क्षेत्र में किये गए असाधारण योगदान के लिए भी. इसलिए सिनेमा से जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए फाल्के पुरस्कार का मिलना एक ऐसी बड़ी उपलब्धि है जिससे उस व्यक्ति की कला को व्यापक मान्यता, व्यापक प्रमाणिकता मिल जाती है. इसलिए एक उम्र, एक अवस्था के बाद फाल्के पुरस्कार पाना किसी भी फिल्मकार का सपना हो सकता है. लेकिन यह बात अलग है कि कई दिग्गज फिल्मकार फाल्के पुरस्कार लिए बिना ही इस दुनिया से कूच कर गए. उनके जीते जी उनका यह सपना साकार नहीं हो सका.

Blog: दादा साहब फाल्के पुरस्कारों में महिला फिल्मकारों को क्यों भुला दिया जाता है

 पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है फाल्के सम्मान में

सिनेमा के इस शिखर पुरस्कार की शुरुआत हमारे दादा साहब फाल्के की सौंवी जयंती के मौके पर सन् 1969 में  की गई थी. इस पुरस्कार का नाम भारतीय फिल्मों के पितामह के नाम पर था इसलिए कुछ लोगों को लगा यह पुरस्कार सिनेमा के किसी शिखर पुरुष को ही दिया जाएगा, महिला फिल्मकारों को इसमें जगह नहीं मिलेगी. शायद लोगों की इस भ्रांति को दूर करने के लिए ही साल 1969 के लिए प्रथम फाल्के पुरस्कार सन् 1970 में उन फिल्म अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया, जिन्हें भारतीय सिनेमा की पहली महिला के रूप में भी याद किया जाता है. इससे सभी जगह यह सन्देश गया कि यह पुरस्कार चाहे पुरुष फिल्मकार के नाम पर हो लेकिन यह पुरुष और महिला दोनों को मिलेगा. लेकिन आगे चलकर धीरे धीरे फाल्के पुरस्कार जिस प्रकार सिर्फ पुरुष कलाकारों तक सिमट कर रह गया वह अत्यंत दुखदायी है.

फाल्के पुरस्कार में महिला फिल्मकारों का तिरस्कार किस तरह हो रहा है उस बात का प्रमाण यह है की सन् 1970 से सन 2018 तक जिन कुल 49 व्यक्तियों को फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है, उसमें महिला फिल्मकारों की संख्या मात्र 6 है. जबकि भारतीय सिनेमा एक से एक शानदार अभिनेत्री से भरा हुआ है,साथ ही उच्च कोटि की महिला फिल्म निर्माताओं,निर्देशकों और गायिकाओं आदि की भी यहां कभी कोई कमी नहीं रही है. लेकिन फाल्के पुरस्कार चयन समिति की धुरी मुड़ मुड़ कर लगातार पुरुष फिल्मकारों पर आकर ठहरती है. सरकार कोई भी हो, चयन समिति कोई भी हो लेकिन किसी को बरसों से कोई महिला फिल्मकार ऐसी नज़र नहीं आई जिसे फाल्के सम्मान से सम्मानित किया जाए.

फाल्के पुरस्कार के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पहले फाल्के पुरस्कार के बाद किसी महिला को दूसरी बार यह सम्मान जल्द ही 1974 में तब मिल गया जब साल 1973 के लिए पांचवें फाल्के पुरस्कार विजेता के रूप में अभिनेत्री सुलोचना का चयन किया गया. यहां दो साल के अंतराल के बाद फिर एक और महिला फिल्मकार कानन देवी को सन् 1976 में यह सम्मान प्रदान किया गया. इनके बाद सन् 1984 में मराठी और हिंदी सिनेमा की एक और सशक्त अभिनेत्री दुर्गा खोटे को फाल्के पुरस्कार से नवाज़ा गया.

इसके 6 वर्ष बाद सन् 1990 में स्वर कोकिला लता मंगेशकर को भी फाल्के सम्मान मिला तो सभी को प्रसन्नता हुई. लेकिन उसके बाद 10 वर्ष का लम्बा समय गुजर गया और किसी भी महिला फिल्मकार को यह सम्मान नहीं मिला. लेकिन भारत सरकार ने महिला फिल्मकारों पर एक बार फिर अपनी ‘कृपा दृष्टि’ दिखाते हुए वर्ष 2000 के फाल्के पुरस्कार के लिए गायिका आशा भोंसले का चयन कर लिया. परन्तु उसके बाद से अभी तक फाल्के पुरस्कार के लिए किसी अन्य महिला फिल्मकार का नंबर नहीं आया. यह निश्चय ही दुःख और आश्चर्य की बात है कि पिछले 18 बरसों में किसी महिला को इस दिग्गज पुरस्कार के योग्य नहीं आंका गया. जबकि सभी सरकारें, सभी चयन समितियां महिला और पुरुषों को समान अधिकार और बराबरी की बात करती हैं. लेकिन उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है इस बात का प्रमाण फाल्के पुरस्कारों से भी मिलता है.

हालांकि इस बार उम्मीद थी कि देश की सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी एक महिला होने के साथ पूर्व अभिनेत्री भी हैं तो फाल्के पुरस्कार बरसों बाद किसी महिला की झोली में जा सकता है. लेकिन इस बार भी अंतिम क्षणों में यह पुरस्कार दिवंगत अभिनेता और बीजेपी सांसद व मंत्री रहे विनोद खन्ना को दे दिया गया. यह पहला मौका है जब फाल्के पुरस्कार के लिए किसी दिवंगत फिल्मकार को चुना गया है. इससे पूर्व पृथ्वीराज कपूर एक ऐसे अभिनेता जरुर रहे जो यह पुरस्कार प्राप्त करने तक जीवित नहीं रहे, लेकिन जब उनका चयन इस पुरस्कार के लिए हुआ था तब वह जीवित थे.

बहुत सी महिला फिल्मकार योग्य हैं फाल्के के लिए

लम्बे समय तक किसी फिल्मकार को फाल्के न मिलना इसलिए भी अखरता है कि वर्तमान में कई ऐसी महिला फिल्मकार हैं जिन्हें फाल्के सम्मान दिया जा सकता है. जिनमें वैजयंती माला, वहीदा रहमान, आशा पारिख, हेलन, मुमताज़, शशि कला जैसी बेहतरीन अभिनेत्रियों के नाम तो आसानी से लिए जा सकते हैं. पता लगा था कि हेलन का नाम तो पिछले दो वर्षों से सूची में आया भी लेकिन पिछली बार के विस्वनाथ और इस बार विनोद खन्ना के चयन के कारण फिर कोई महिला इस पुरस्कार से वंचित रह गई. काश इन पुरस्कारों के लिए कुछ ऐसे मापदंड स्थापित किये जाएं जिससे समय समय पर महिला फिल्मकारों को भी यह सम्मान मिल सके. तभी इस शिखर फिल्म पुरस्कार की विश्वसनीयता और मान्यता बरकरार रह सकेगी.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://twitter.com/pradeepsardana

और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://www.facebook.com/pradeep.sardana.1

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

इमरजेंसी पर ओम बिरला के बयान से खफा राहुल गांधी, मुलाकात के बाद बोले- 'स्पीकर को ऐसा...'
इमरजेंसी पर ओम बिरला के बयान से खफा राहुल गांधी, मुलाकात के बाद बोले- 'स्पीकर को ऐसा...'
जय फिलिस्तीन के जरिये ओवैसी चाहते हैं खींचना मुस्लिम  वोटों को अपनी ओर
जय फिलिस्तीन के जरिये ओवैसी चाहते हैं खींचना मुस्लिम वोटों को अपनी ओर
July Ekadashi 2024: जुलाई में 3 एकादशी का दुर्लभ संयोग, जानें इस माह में कब-कब है एकादशी
जुलाई में 3 एकादशी का दुर्लभ संयोग, जानें इस माह में कब-कब है एकादशी
अगर बारिश की वजह से रद्द हुआ भारत-इंग्लैंड के बीच सेमीफाइनल तो... जानें फिर किसे मिलेगा फाइनल का टिकट
अगर बारिश की वजह से रद्द हुआ भारत-इंग्लैंड के बीच सेमीफाइनल तो... जानें फिर किसे मिलेगा फाइनल का टिकट
ABP Premium

वीडियोज

Bigg Boss OTT 3: Armaan Malik Answers It All! अपने बच्चों की याद साथ लिए शो जीतने निकली Malik FamilyNEET Paper Leak: नीट पेपर लीक मामले को लेकर सड़कों पर यूथ कांग्रेस का बवाल | ABP News |ABP Live Premium को सब्सक्राइब करें और पायें प्रीमियम कंटेंट.. सिर्फ जानिए नहीं - रहें सबसे आगेTop Headlines: President Murmu बोलीं- Paper Leak के दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी | Parliament Session

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
इमरजेंसी पर ओम बिरला के बयान से खफा राहुल गांधी, मुलाकात के बाद बोले- 'स्पीकर को ऐसा...'
इमरजेंसी पर ओम बिरला के बयान से खफा राहुल गांधी, मुलाकात के बाद बोले- 'स्पीकर को ऐसा...'
जय फिलिस्तीन के जरिये ओवैसी चाहते हैं खींचना मुस्लिम  वोटों को अपनी ओर
जय फिलिस्तीन के जरिये ओवैसी चाहते हैं खींचना मुस्लिम वोटों को अपनी ओर
July Ekadashi 2024: जुलाई में 3 एकादशी का दुर्लभ संयोग, जानें इस माह में कब-कब है एकादशी
जुलाई में 3 एकादशी का दुर्लभ संयोग, जानें इस माह में कब-कब है एकादशी
अगर बारिश की वजह से रद्द हुआ भारत-इंग्लैंड के बीच सेमीफाइनल तो... जानें फिर किसे मिलेगा फाइनल का टिकट
अगर बारिश की वजह से रद्द हुआ भारत-इंग्लैंड के बीच सेमीफाइनल तो... जानें फिर किसे मिलेगा फाइनल का टिकट
abp न्यूज़ की खबर का असर, पटना में नीट पेपर लीक मामले में पहली कार्रवाई, दो गिरफ्तार
abp न्यूज़ की खबर का असर, पटना में नीट पेपर लीक मामले में पहली कार्रवाई, दो गिरफ्तार
महज 4 करोड़ में बनी इस फिल्म ने की थी जबरदस्त कमाई, 'चाची' बन छा गया था ये सुपरस्टार
महज 4 करोड़ में बनी इस फिल्म ने की थी जबरदस्त कमाई, 'चाची' बन छा गया था ये सुपरस्टार
बोनी कपूर ने यमुना विकास प्राधिकरण के साथ नोएडा फिल्म सिटी का समझौता पत्र किया साइन, जल्द शुरू होगा काम
बोनी कपूर ने YEIDA के साथ नोएडा फिल्म सिटी का समझौता पत्र किया साइन
Uttar Pradesh By Polls: यूपी के 2 लड़के और 10 सीटें, SP-Congress को यहां चबाने पड़ सकते हैं लोहे के चने
UP के 2 लड़के और 10 सीटें: SP-Congress को यहां चबाने पड़ सकते हैं लोहे के चने
Embed widget