दिल्ली देश का इकलौता ऐसा प्रदेश है, जहां विधानसभा भी है और सरकार भी, लेकिन फिर भी उसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं है क्योंकि पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि से जुड़े सारे फैसले लेने का अधिकार केंद्र ने अपने पास रखा हुआ है. लिहाजा सीमित अधिकारों के दम पर चल रही दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने आज अपना जो आठवां बजट पेश किया है, उसकी तारीफ इसलिये की जानी चाहिए कि इसमें बेरोजगारी से निपटने के लिए जो विजन पेश किया गया है, उसे हकीकत में बदलना ज्यादा मुश्किल भरा काम नहीं है.


केजरीवाल सरकार ने अगले पांच साल में दिल्ली के 20 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है. इस तरह के वादे तकरीबन हर राज्य सरकार अपने बजट में करती रही है, लेकिन आप सरकार की खासियत ये है कि उसने सारा होम वर्क करने के बाद बजट में इसका सारा खाका पेश किया है कि किस सेक्टर में कितनी नौकरियां पैदा होंगी और उसके लिए सरकार क्या करने वाली है. इसीलिये इसे 'रोजगार बजट' का नाम दिया गया है.


केजरीवाल सरकार द्वारा पेश किए गए पहले सात बजट में स्वास्थ्य और शिक्षा को सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती रही है. इस बार भी सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों के लिए दरियादिली से धन का आवंटन किया है, लेकिन इस बजट की खूबी ये कही जायेगी की इसमें कई नए व अनूठे प्रयोगों के जरिये नौकरियां और रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है. बजट में दिल्लीवासियों को बिजली पर सब्सिडी और मुफ्त पानी देने की सौगात जारी रखने का ऐलान करने के साथ ही राजधानी की नाईट लाइफ को गुलजार करके रोजगार के नए अवसर पैदा करने का तरीका निकाला गया है.


वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने नई फूड ट्रक पॉलिसी लाने का एलान करते हुए कहा है कि ऐसे फ़ूड हब की पहचान की जाएगी जहां रात दो बजे तक फ़ूड ट्रक खाने-पीने की वस्तुएं बेच सकेंगे. इससे राजधानी की नाईट लाइफ की रौनक तो बढ़ेगी ही लेकिन इससे हजारों लोगों के लिये रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. हालांकि इसे मुंबई की नाईट लाइफ की नकल करना भी कह सकते हैं, लेकिन इसका एक बड़ा खतरा ये भी है कि इससे रात में आपराधिक वारदातों में इजाफा हो सकता है और ड्रंकन ड्राइविंग की घटनाएं बढ़ना भी तय है. चूंकि ये मामला कानून-व्यवस्था से जुड़ा हुआ है, इसलिये नाईट लाइफ को रात दो बजे तक गुलजार करने के सरकार के इस फैसले को दिल्ली के एलजी अपनी मंजूरी देते भी हैं कि नहीं, ये देखने वाली बात होगी.


हालांकि रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिये एक अलग इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनाने का फैसला सराहनीय है. सरकार का दावा है कि इससे करीब 80 हजार लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. बाहरी दिल्ली के बपरोला इलाके में सरकार इस सिटी को डेवलप करेगी. सिसोदिया के मुताबिक "इस कदम से सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां भी दिल्ली आने के लिए प्रोत्साहित होंगी. हम दिल्ली में आधार खड़ा करने व इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 90 एकड़ में विनिर्माण केंद्र भी बनाएंगे. औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास से छह लाख नए रोजगार भी पैदा होंगे."


सरकार ने अगले पांच साल में खुदरा क्षेत्र में तीन लाख नौकरियां और अगले एक साल में 1.20 लाख से अधिक रोजगार के नए अवसर पैदा होने का लक्ष्य रखा है. डेढ़ लाख नौकरियां पैदा करने के लिए दिल्ली में पांच प्रसिद्ध बाजारों को विकसित किया जाएगा.


बजट में नई स्टार्ट अप नीति शुरू करने की घोषणा करने के साथ ही खरीदारी उत्सवों के आयोजन का ऐलान किया गया है, जिससे पर्यटकों की संख्या चार लाख बढ़ने का अनुमान है, जो इन क्षेत्रों में कार्यरत 12 लाख लोगों के जीवन पर अनुकूल प्रभाव डालेगा. ‘दिल्ली शॉपिंग फेस्टिवल’ और ‘दिल्ली होलसेल शॉपिंग फेस्टिवल’ के जरिये भी रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाएंगे. गांधी नगर में एशिया के सबसे बड़े रेडीमेड कपड़ा बाजार को कपड़ा केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. दावा है कि आगामी पांच साल में दिल्ली में कामकाजी आबादी 33 प्रतिशत से बढ़कर 45 प्रतिशत हो जाएगी.


वैसे तो हर मुख्यमंत्री अपनी सरकार के बजट की तारीफ ही करता है, लेकिन केजरीवाल ने बजट पेश होने के बाद अगर अपनी पीठ थपथपाई है, तो उसकी वजह भी है. उनके मुताबिक "2014-15 में हमने 31 हजार करोड़ का बजट पेश किया था लेकिन आज जब हमने बजट पेश किया तो वो लगभग 76 हजार करोड़ रुपये का है. आठ साल में बजट लगभग ढाई गुना हो गया है." इसे वाकई एक बड़ी उपलब्धि ही माना जाएगा.


केजरीवाल कहते हैं कि "अगर हम देश की सभी सरकारें देखें तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं है. हमारी पार्टी कट्टर ईमानदार पार्टी है हमारी सरकार कट्टर ईमानदार सरकार है जिसकी वजह से बजट में ये उछाल आया. आज आम आदमी के सामने दो सबसे बड़ी समस्याएं हैं- रोजगार और महंगाई. आज दिल्ली में जो बजट पेश किया गया अगर इसे मोटे तौर पर देखूं तो यह दिल्ली के लोगों की रोजगार और महंगाई की समस्या का समाधान करता है. मुझे नहीं लगता कि किसी भी सरकार ने इतने बड़े स्केल पर रोजगार पैदा करने के लिए प्रयास किया है."


बेशक केजरीवाल के दावे में दम है, लेकिन उनके इस चमत्कार को लोग नमस्कार तभी करेंगे, जब वे इसे हकीकत में बदल दिखाएंगे!


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)