Opinion: दिल्ली में नियमों के उल्लंघन करने वाले नर्सिंग सेंटर पर एक्शन जरूरी, नहीं तो होते रहेंगे हादसे
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नर्सिंग होम हो या कोई अस्पताल, जब आग लगता है और मरीजों की मौत होती है तो उस पर जरूर सवाल उठते हैं. दिल्ली के अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं के कारणों में हल्के में नहीं लिया जा सकता. अस्पतालों में हर साल आग की घटना दुखद है. हर साल अस्पताल भी सुरक्षा सावधानियां पर ध्यान देते हैं. हमें समझना होगा की ऐसी घटना मुख्य तौर पर शॉर्ट सर्किट से होती है.
ऐसे मामलों में जिम्मेदार बिजलीकर्मी के साथ अन्य कर्मचारियों की लापरवाही हो सकती हैं. विवेक विहार के अस्पताल में आग की क्या वजह रही ये तो जांच का विषय है. ऐसे हादसों में लापरवाही के कारण मरीज और परिवार को परिणाम झेलने ही पड़ते हैं, साथ ही में पूरा मेडिकल समुदाय मरीज की देखभाल के बाद ऐसे हादसों पर बहुत अफसोस करता है. ताजा घटना पर जांच चल रही है लेकिन ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सब अस्पतालों को प्रारंभिक सावधानियों की व्यवस्था करनी चाहिए.
पंजीकृत और अपंजीकृत अस्पतालों का 'खेल'
मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस के दावों के अनुसार विवेक विहार के अस्पताल में आपातकाल निकासी की व्यवस्था नहीं थी. इसके साथ ही, ऐसे कई अस्पताल सामने आते रहे हैं जहां योग्य स्टाफ नहीं होता. दिल्ली के नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट के अनुसार उसी नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन होता है जहां योग्य डॉक्टर हों. साथ ही इमारत की जांच भी की जाती है. ऐसे में रजिस्टर्ड नर्सिंग होम में ऐसा नहीं होने चाहिए. ऐसी घटनाओं के बाद नर्सिंग होम के पंजीकरण के लिए अपेक्षित पात्रता की बातें होने लगती हैं.
दिल्ली नर्सिंग होम एक्ट में तफ़सील से बताया गया है कि कितने बिस्तरों के लिए कितने स्टाफ और डॉक्टर होने चाहिए. ऐसी ही पात्रता मानदंडों को पूरा करने के बाद नर्सिंग होम का पंजीकरण किया जाता है. लेकिन, समस्या अपंजीकृत नर्सिंग होम्स से हैं, क्योंकि पुलिस और जिम्मेदार संस्था पंजीकृत नर्सिंग होम नियमों का पालन कर रहे है या नहीं इसका पता लगा सकते हैं. लेकिन ऐसे अपंजीकृत नर्सिंग होम्स जिनका कोई लेखा-जोखा नहीं है, उनकी जांच उनके अवैध होने का पता लगने के बाद हो सकती है. कई बार सवाल उठते हैं कि अपंजीकृत को छोड़िये, पंजीकृत नर्सिंग होम भी नियमों का पालन नहीं करते.
ऐसा नहीं हैं लेकिन समस्या अपंजीकृत नर्सिंग होम्स को लेकर आती है. जहां तक पंजीकृत नर्सिंग होम की बात है तो स्वस्थ विभाग इनको लेकर बहुत सजग है. दिल्ली में ज्यादातर नर्सिंग होम पंजीकरण के बाद ही चल रहे हैं. मैंने ऐसा नहीं देखा की पंजीकृत नर्सिंग होम भी नियमों का पालन नहीं करता हो. जिम्मेदार संस्थानों को अपंजीकृत नर्सिंग होम्स के शिनाख्ती पर ध्यान देना चाहिए.
पुलिस के अनुसार न्यूबॉर्न हॉस्पिटल में आग बुझाने के यंत्र के साथ आपातकालीन निकास भी नहीं था, लेकिन पंजीकरण के समय ये पात्रता का हिस्सा होती है. पात्रता को पूरा करने के बाद ही पंजीकरण हो सकता है. पुलिस की जांच के बाद इस घटना की और परत खुलेंगी.
समय के साथ नियमों में बदलाव
ऐसी घटनाओं के बाद जांच एजेंसियां सवालों के साथ शक के घेरे में आतीं हैं, लोग नर्सिंग होम और पुलिस पर मिली-भगत का आरोप लगाते हैं. मेरे अनुसार ऐसा नहीं हैं लेकिन कुछ इक्का-दुक्का मामलों में ये भी सच निकलता है. ऐसे मामलों में हमें केंद्र बिंदु नियम और उनके पालन को बनान चाहिए जिम्मेदार संस्थानों को समय के साथ नियमों में बदलाव करने चाहिए साथ ही अपनी परिस्थति को देखते हुए नर्सिंग होम्स को आधिकारिक नियमों के साथ मरीजों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त नियम बना उनका पालन करना चाहिए. ऐसी घटनाओं की जांच के बाद कई निष्कर्ष और तथ्यों का इस्तेमाल लीक प्रुफ़ नियमों को बनाने में करना चाहिए. जिससे आगे ऐसी दुखद घटना देश ना देखे.
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के मेरे प्रेसिडेंट रहते हुए हम लगातार नर्सिंग होम्स के मालिकों के साथ मीटिंग करते रहते थे और अब भी ऐसी मीटिंग होतीं हैं.. हमारा 800 सदस्यों का नर्सिंग होम फोरम है. जिसमे सदस्यों को मानकों की जानकारी के साथ उसके पालन के सम्बंधित जानकारी देते हैं. इस फोरम में समस्याओं के पहचान के बाद निवारण के लिए सरकार से तालमेल बैठाया जाता है. नर्सिंग होम भी नियमों का पालन करते हैं जिससे वे मरीज को अच्छी सुविधा प्रदान कर सकें. ऐसी घटनाओं के बाद लोगों को विभिन्न संस्थानों की जिम्मेदारी का पता होना चाहिए जैसे डीएमए अपने सदस्यों को लगातार पुराने के साथ नए नियमों और जानकारियों को साझा करता है जिससे वे पूरी तरह जानकार बन पाएं.
ऐसी घटनाओं के बाद जांच के तथ्यों को लेकर सदस्यों के साथ चर्चा होती है. इस घटना का केंद्रीय -बिंदु अवैध नर्सिंग होम होने चाहिए. इस घटना के बाद सरकारी संस्थानों को अवैध नर्सिंग होम की पहचान कर कार्यवाही करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए की कोई नया अवैध सेंटर अपना मुंह न उठाये. इस घटना ने पंजीकरण की प्रक्रिया पर सोचने की और ध्यान आकर्षित किया है. ऐसे में उचित सर्वेक्षण के बाद ही नर्सिंग होम को पंजीकृत किया जाना चाहिए. मरीज की दिन-रात सेवा के बाद ऐसी घटनाओं से एक डॉक्टर को भी बुरा लगता है. चिकित्सक समुदाय लगातार अपने कौशल, सेटअप, सुविधाओं को लगातार उन्नत करने की और अग्रसर हैं, जिससे मरीजों को बेहतर इलाज के साथ सुरक्षा भी मिल पाए.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]