तार्किक तौर पर देखा जाए तो इस बयान में कुछ गलत नहीं था क्योंकि टीम में बने रहने के लिए किसी भी खिलाड़ी को प्रदर्शन तो करना ही होता है. बस, मुसीबत ये थी कि ये बेवक्त दिया गया बयान था. जिसके लिए एमएसके प्रसाद की आलोचना भी हुई थी.
यहां तक कि कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने ये भी कहा था कि धोनी पर बयान देने से पहले एमएसके प्रसाद को अपना करियर याद करना चाहिए. खैर, कुछ ही महीनों में अब वक्त ने करवट ली है. अब हालात कुछ ऐसे बन गए हैं कि एमएसके प्रसाद धोनी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. उन्होंने धोनी को दुनिया का नंबर एक विकेटकीपर बता दिया है. अब मुसीबत ये है कि 2019 विश्व कप तक एमएसके प्रसाद ‘ऑटोमैटिक च्वॉइस’ नहीं रह गए हैं यानी ये तय नहीं है कि बतौर चीफ सेलेक्टर उन्हें 2019 की टीम को चुनने का मौका मिलेगा या नहीं.
चयनकर्ताओं का भी होता है कार्यकाल
दरअसल, बीसीसीई में सेलेक्टर्स का भी कार्यकाल तय रहता है. तय नियम के मुताबिक एक सेलेक्टर का कार्यकाल 4 साल का हो सकता है लेकिन उसे हर साल ‘रीन्यू’ किया जाता है. 2015 में एमएसके प्रसाद उस चयन समिति के सदस्य थे जिसके अगुवा संदीप पाटिल थे. उसके बाद जब संदीप पाटिल मुख्य चयनकर्ता के पद से हटे तो ये जिम्मेदारी एमएसके प्रसाद को दी गई. आपको याद दिला दें कि एमएसके प्रसाद ने भी भारतीय टीम में बतौर विकेटकीपर 6 टेस्ट और 17 वनडे मैच खेले हैं. करीब 42 साल के प्रसाद का करार अगर ‘रीन्यू’ किया जाता है तो वो 2019 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं. बशर्ते उनका करार ‘रीन्यू’ करने का फैसला बीसीसीआई करे.
2019 विश्व कप इंग्लैंड एंड वेल्स की मेजबानी में मई में शुरू होगा. एमएसके प्रसाद समेट कुछ दूसरे सेलेक्टर्स के भविष्य को लेकर संकट के बादल इसलिए मंडरा रहे हैं क्योंकि ऐसी खबरें चर्चा में हैं कि अभी इन सभी को सिर्फ बोर्ड की अगली सालाना आम बैठक तक ही ‘एक्सटेंशन’ दिया गया है. निश्चित तौर पर बोर्ड की अगली एजीएम में तमाम दूसरे मुद्दों के साथ साथ ये भी तय होगा कि मौजूदा चयन समिति के सदस्यों को कब तक बनाए रखा जाना है.
धोनी ने कैसे पक्की की अपनी जगह
धोनी सुपर चैंपियन खिलाड़ी हैं. उनके बारे में ये बात कई बार कही जा चुकी है कि वो टीम पर बोझ बनकर कभी नहीं रहेंगे. टेस्ट क्रिकेट से संन्यास और वनडे टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला लेकर उन्होंने इस बात को साबित भी किया है. दिलचस्प बात ये है कि एमएसके प्रसाद के बयान के बाद धोनी का फॉर्म शानदार है. उनकी फिटनेस को लेकर कभी किसी को परेशानी थी नहीं. जाहिर है फॉर्म के अच्छा रहने पर हर तरह धोनी-धोनी हो रहा है. अगस्त 2015 से लेकर अभी तक खेले गए 15 वनडे मैचों में करीब 400 रन बना चुके हैं. 6 बार वो नॉट आउट रहे हैं. 3 अर्धशतक उन्होंने इस दौरान बनाए हैं. विकेट के पीछे उनकी चुस्ती और विराट कोहली को दिए जाने वाले उनके सुझाव भी चर्चा में रहे हैं.
पिछले दिनों विराट कोहली ने एक इंटरव्यू में धोनी की जमकर तारीफ की थी. विराट कोहली ने यहां तक कहा था कि उन्होंने धोनी जैसा ‘क्रिकेटिंग ब्रेन’ नहीं देखा और वो धोनी पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं. श्रीलंका के खिलाफ हालिया सीरीज में रोहित शर्मा ने धोनी को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर भेजकर ये भी संकेत दिया है कि विराट कोहली को भी इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए. लिहाजा अब कोई चोट या परेशानी ना आ जाए तो धोनी का 2019 की विश्व कप टीम में दिखना तय है. वो ‘ऑटोमैटिक’ नहीं बल्कि ‘सुपर च्वॉइस’ हैं.