दिलीप कुमार: 97 नॉट आउट, आज भी अभिनय सम्राट हैं दिलीप कुमार
दिलीप कुमार आज सबसे अधिक उम्र के अभिनेता होने के साथ ऐसे लिविंग लिजेंड बन गए हैं, जो 97 की उम्र में भी नॉट आउट हैं. पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना का ब्लॉग
दिग्गज फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार अब 97 बरस के हो गए हैं. हाल ही में 11 दिसम्बर को मुंबई में अपने घर पर, अपने परिवार और बेहद करीबी दोस्तों के साथ उन्होंने अपने जन्म दिन को सेलिब्रेट किया. वह इस समय फिल्म जगत के सर्वाधिक उम्र पाने वाले अभिनेता तो हैं ही, उससे भी बड़ी बात यह है कि 97 की उम्र में भी दिलीप कुमार नॉट आउट हैं क्योंकि आज भी वह सबसे अव्वल हैं. हालांकि पिछले करीब 20 बरसों से दिलीप कुमार फिल्मों से दूर हैं. पिछले कुछ बरसों से तो उनकी तबीयत भी ठीक न होने के कारण वह सामाजिक जीवन से भी कटे हुए हैं. उधर इस दौरान फिल्मों में एक से एक शानदार अभिनेता आए. लेकिन इस सबके बावजूद आज भी कोई उनका सानी नहीं है. अभी तक कोई भी अन्य अभिनेता उनकी जगह नहीं ले सका है. आज भी अभिनय सम्राट हैं दिलीप कुमार.
दिलीप कुमार ने अपने लगभग 55 बरस के फिल्म करियर में कुल 60 फिल्में ही की हैं और अन्य कई नायक 100 से 200 तक फिल्में कर चुके हैं. यहां तक की धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन जैसे बड़े सितारे 200 से भी अधिक फिल्में कर चुके हैं. लेकिन दिलीप कुमार कम फिल्मों के बावजूद आज भी भारतीय सिनेमा के अभिनय सम्राट बने हुए हैं. उनकी सन 1944 में आई पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से 1998 में प्रदर्शित उनकी अंतिम फिल्म ‘किला’ तक उनके खाते में बहुत सी शानदार फिल्में हैं. जिनमें मुगल ए आजम, गंगा जमुना, मधुमती, देवदास, नया दौर, दाग, जुगनू, मेला, पैगाम, आरजू, संघर्ष, अंदाज़, कोहिनूर, लीडर, जोगन, आदमी, दास्तान, राम और श्याम, सगीना, गोपी, बैराग, शक्ति, दुनिया, क्रान्ति और सौदागर तक कई नाम गिनाए जा सकते हैं.
असल में दिलीप कुमार की अभिनय शैली और संवाद अदायगी ऐसी रही है कि जिसका कोई और मुक़ाबला कर ही नहीं सकता. वह ट्रेजिडी किंग भी कहलाए और उन्होंने कॉमेडी भी बहुत की अमिताभ बच्चन जैसे महानायक और शाहरुख खान जैसे दिग्गज सितारों को भी दिलीप कुमार के स्कूल का कहा जा सकता है. ये दोनों दिलीप कुमारा की अभिनय परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. लेकिन ये दोनों हों या और बहुत सारे अच्छे अभिनेता दिलीप कुमार के मुक़ाबले में सभी उन्नीस रहते हैं. हालांकि लोकप्रियता और बढ़ती उम्र में भी अमिताभ बच्चन जिस तरह आज भी फिल्मों में सक्रिय हैं उस मामले में दिलीप कुमार से अमिताभ बच्चन काफी आगे हैं.
अपनी अग्निपथ, ब्लैक, पा और पीकू जैसी फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार पाने के साथ अपनी और भी बहुत सी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय के कारण अमिताभ बच्चन महानायक कहलाते हैं यहां तक उन्हें सदी का बेहतरीन अभिनेता भी कहा जाता है लेकिन जब अमिताभ बच्चन से दिलीप कुमार की बात होती है तो वह भी कहते हैं- "भारतीय सिनेमा का जब भी विश्लेषण होगा तो दिलीप कुमार से पहले और दिलीप कुमार के बाद होगा. उनसे बेहतर अभिनेता कोई और नहीं".
कई रिकॉर्ड हैं दिलीप कुमार के नाम दिलीप कुमार के नाम यूं भी इतने ऐसे कई रिकॉर्ड हैं जिनका कोई और मुक़ाबला नहीं कर सका है. यहाँ तक दिलीप कुमार का नाम सर्वाधिक पुरस्कार पाने के लिए गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. असल में दिलीप कुमार को सर्वाधिक फिल्मफेयर अवार्ड मिलने का भी रिकॉर्ड है. दिलीप कुमार को 8 बार तो सर्वश्रेष्ठ फिल्म अभिनेता का पुरस्कार मिला. फिर सन 1994 में एक बार लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और उसके बाद सन 2005 में फिल्मफेयर का विशेष सम्मान. हालांकि सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में शाहरुख़ खान भी 8 बार फिल्मफेयर पाकर दिलीप कुमार के इस रिकॉर्ड के समकक्ष पहुंच गए हैं. लेकिन कुल 10 फिल्मफेयर मिलने के कारण दिलीप कुमार सबसे आगे हैं.
इसके अलावा दिलीप कुमार फिल्मफेयर अवार्ड की स्थापना के तुरंत बाद पहला फिल्मफेयर पाने का भी रिकॉर्ड रखते हैं. जब 1954 में दिलीप कुमार को ‘दाग’ फिल्म के लिए पहला फिल्मफेयर मिला. साथ ही दिलीप कुमार लगातार 3 बरस तक बेस्ट एक्टर का अवार्ड पाने का रिकॉर्ड को भी अभी तक कोई और नहीं तोड़ सका है. जब 1956 से 1958 तक उन्हें आज़ाद, देवदास और नया दौर फिल्मों के लिए लगातार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड मिला.
दिलीप कुमार पदम भूषण और पदम विभूषण जैसे शिखर सम्मान पाने के साथ फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के भी पा चुके हैं. इसके अलावा वह मुंबई के शेरिफ़ रह चुके हैं और भारत सरकार उन्हें राज्यसभा सदस्य भी मनोनीत करके उन्हें विशेष सम्मान दे चुकी है. साथ ही सन 2007 में भारत सरकार का सूचना प्रसारण मंत्रालय भी दिलीप साहब को गोवा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित कर चुका है. उधर पाकिस्तान सरकार भी दिलीप कुमार को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज़’ दे चुकी है. इनके अतिरिक्त भी दिलीप साहब को अन्य कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.
सायरा बानो रखती हैं बहुत ख्याल
पिछले कुछ बरसों से दिलीप कुमार की तबियत खराब होने और कभी लीलावती अस्पताल में उनके दाखिल होने की खबरें आती रहती हैं. लेकिन उनकी पत्नी और अपने जमाने की मशहूर अदाकारा सायरा बानो उनका जिस तरह ख्याल रखती हैं वह बेहद काबिल-ए-तारीफ है. दिलीप साहब की तबीयत या कभी और मसलों पर मेरी अक्सर सायरा बानो से बात होती रहती है. जब मैं इस सब को लेकर उनकी तारीफ करता हूँ तो वह कहती हैं- “मेरे ख्याल से सभी अच्छी पत्नियाँ अपने पति का ऐसे ही ख्याल रखती हैं. फिर मेरे पति तो मेरे कोहेनूर हैं, उनकी देखभाल सिर्फ मेरा फर्ज़ ही नहीं उनके प्रति मेरी यह मोहब्बत भी है.” सायरा बानो ने एक बार मुझे यह भी बताया था कि उनकी खुद की जिंदगी में भी एक दौर ऐसा आया था कि जब वह काफी बीमार हो गयी थीं। सायरा जी ने बताया था – एक वक्त था जब अपनी शादी के बाद मैं गंभीर रूप से बीमार हो गयी थी॰ तब मुझे अपनी फिल्में बीच में छोड़कर लंदन के एक अस्पताल में दाखिल होना पड़ा था॰ तब मेरे कोहेनूर ने मेरा जिस तरह ख्याल रखा वह मैं आज तक नहीं भूल सकी हूँ॰ दिलीप साहब अपना सब काम छोड़कर दिन रात मेरे साथ रहे और मेरा भरपूर ख्याल रखा॰ मेरी तबियत सीरियस थी लेकिन तब भी मैं इसलिए सुकून से सो पाती थी कि मेरा हाथ मेरी ‘जान’ के मजबूत हाथों में है॰ और वह मेरे ठीक होने के लिए अल्लाह से मन ही मन दुआएं मांग रहे हैं.”
जन्म दिन पर खाते हैं मनपसंद खाना
दिलीप साहब को यूं तो सायरा बानो हमेशा उनकी पसंद का खाना खिलाती हैं. लेकिन उनके स्वास्थ्य को देखते हुए वह उन्हें ऐसे खान पान से परहेज भी कराती रहती हैं जो उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं. पिछले बरस मैंने सायरा जी से पूछा कि आप दिलीप साहब के जन्म दिन पर कौन कौन से पकवान बना रही हैं. इस पर सायरा बानो ने कहा था- "अब दिलीप साहब की तबीयत को देख आए दिन बिरयानी वगैरह तो नहीं बनाते पर उनके जन्म दिन पर यह जरूर कोशिश रहती है कि उनकी ज्यादातर मनपसंद ‘डिश’ उन्हें खिला सकें. इसलिए जन्म दिन पर उनकी मनपसंद बिरयानी और खीर तो बनती ही है. साथ ही खड़ा मसाला और एक पेशावरी डिश बुरहानी भी. बुरहानी एक शाकाहारी डिश है जो बैंगन और दही से बनती है. हमको पहले बुरहानी का इल्म नहीं था लेकिन दिलीप साहब ने ही हमको इसे बनाना सिखाया था. अब तो माशाअल्लाह हम करीब 25 बरसों से इसे काफी लज़ीज़ ढंग से बना रहे हैं.”
दिलीप साहब बेशक फिल्मी दुनिया सहित अपने प्रशंसकों से अब कुछ दूर हैं. लेकिन उनकी हम सब के बीच मौजूदगी सभी को एक खूबसूरत अहसास देती है. हम दुआ करेंगे वह और भी बरसों तक हमारे बीच रहें.
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(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)