Assembly Election 2022 News: चुनाव उफान पर हैं, कोरोना का तूफान भी टकरा रहा है. लोकतंत्र में चुनावी उफान जरूरी है. जब यूपी और पंजाब (UP And Punjab) जैसे पांच राज्य हों तो कैसे हो सकता है कि सियासी हांडी न चढ़े. अब सियासत की हांडी चढ़ेगी तो सरगर्मी बढ़ेगी और उबाल भी आएगा. ऐसे में कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट की सुनामी लोकतंत्र के महापर्व में लोगों को अपना शिकार न बनाए, ये सुनिश्चित किया जाना जरुरी है. जिम्मेदारी केंद्र सरकार या सरकारों की है, लेकिन राजनीतिक दल के तौर पर सभी को कोरोना को रोकने की मुहिम में साथ देना होगा. राज की बात, एबीपी न्यूज की इस मुहिम के असर और पीएम मोदी के चुनावी रैलियों को लेकर लिए बड़े फैसलों को लेकर....
पिछले हफ्ते राज की बात में मैंने आपको बताया था कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों से साफ कह दिया है कि कोरोना से लड़ने में अगर जरा भी लापरवाही पाई गई तो संबंधित लोगों पर सख्त कार्रवाई होगी. मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने को उन्होंने कहा ही था. साथ ही चुनावी रैलियों को कम करने और वहां जीनोम सीक्वेंसिंग की भी तैयारी करने को कहा गया है. अब जबकि दिल्ली और मुंबई में मामले बढ़ रहे हैं और दूसरे राज्यों में भी ओमिक्रोन ने दस्तक दे दी है तो पीएम मोदी ने तमाम फैसले लिए हैं. सरकार ने कोरोना के बूस्टर डोज से लेकर अब 15 से 18 साल के किशोर-किशोरियों को भी टीके लगाने का फैसला किया गया है. ऑक्सीजन, दवा और बेड की कमी न पड़े, कोरोना की दूसरी लहर से सबक लेते हुए तुरंत इस बारे में राज्य सरकारों के साथ भी समन्वय किया जा रहा है. यहां तक कि प्रदेशों में जिला स्तर पर तैयारियों की भी रिपोर्ट ली जा रही है और इस महामारी से लड़ने के लिए इसको लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं.
अब राज की सबसे बड़ी बात ये है कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी और सत्ताधारी दल का नेता होने के नाते भी पीएम मोदी ने ओमिक्रोन से लड़ने के लिए बड़ा फैसला लिया है. यह फैसला चुनावों और रैलियों से जुड़ा है. BJP हर चुनाव को पूरी ताकत के साथ लड़ती है, यह किसी से छिपा नहीं. वह अपनी पूरी फौज उतार देती है और एक-एक सीट पर एक-एक वोट के लिए लड़ती है. जाहिर है कि जब चुनाव उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का है तो फिर BJP ने यूं ही पूरी तैयारियां कर रखी हैं. चुनाव बड़ा भी है और कड़ा भी. ऐसे में प्रदेश जीतने के साथ-साथ कोरोना से लड़ाई जीतने की रणनीति पर भी पीएम ने खुद ही कमान संभाली है. राज की बात ये कि भीड़ कम कर कैसे यूपी के हर शख्स तक पहुंचा जाएगा. इसको लेकर भी मोदी का मेगाप्लान जमीन पर उतारने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं.
बताने की जरूरत नहीं कि कैसे पश्चिम बंगाल (West Bengal) के विधानसभा और यूपी के स्थानीय निकाय के चुनाव के दौरान ही कोरोना विस्फोट हुआ और दूसरी लहर से पूरे देश ने त्राहिमाम कर दिया था. अब ओमिक्रोन का दैत्य चुनावी रैलियों से फिर कोई तबाही न मचा दे, इसके लिए पीएम मोदी (PM Modi) ने BJP की कम से कम रैलियां करने का लक्ष्य पार्टी को दिया है. इसके तहत कम से कम एक चौथाई से भी कम रैलियां BJP करे. मतलब अगर 100 रैलियां होनी हैं तो उनकी जगह 25 से भी कम रैलियां की जाएं, ये पीएम मोदी ने पार्टी को निर्देश दिए हैं. एबीपी न्यूज लगातार कोरोना से जंग में चुनावी रैलियों पर रोक लगाने और भीड़ पर अंकुश लगाने की अपील करता रहा है. इस मुहिम में हमारी कोशिश अपना स्कोर बनाना नहीं, बल्कि एक मुकम्मल जम्हूरियत के जिम्मेदार हिस्से की तरह इस खतरे से लड़ने के लिए देश को तैयार करना था. हमारा सीधा सवाल था कि अगर कामकाज घर से हो सकता है. तकनीक ने तमाम सुविधायें दे दी हैं. ऐसे में बड़ी रैलियां लोगों तक तकनीक के माध्यम से क्यों न पहुंचा जाए?
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एबीपी कि इस मुहिम का समर्थन राजनीतिक दलों के साथ-साथ जिम्मेदार तबकों ने किया. अब राज की सबसे बड़ी बात यही है कि कैसे पीएम मोदी ने भी भीड़ कम करने लिए अपनी पार्टी यानी बीजेपी के नेताओं को लक्ष्य सौंपा है. एबीपी भी लगातर यही कहता रहा है कि देश नहीं रुकना चाहिए, लेकिन सुरक्षित रहना पहली अनिवार्यता है. चुनाव लोकतंत्र में जरूरी हैं. रोजमर्रा का कामकाज भी हमेशा ठप नहीं किया जा सकता, लेकिन सुरक्षा की कीमत पर कुछ भी नहीं हो सकता. अच्छी बात ये है कि पीएम मोदी ने न सिर्फ प्रशासनिक तौर पर बल्कि राजनीतिक दल के तौर पर बीजेपी को ओमिक्रोन से लड़ने के लिए एक बड़ी दिशा दी, रैलियां कम करने का संदेश देकर.
राज की बात ये है कि पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल में जो हाईटेक फार्मूला सुदूर गांवों तक लोगों के बीच पहुंचने का आजमाया था, उसी तरह से रैलियां कम करने के बावजूद वो पहुंचेंगे. याद करिए कि कैसे उन्होंने पश्चिम बंगाल के चुनिंदा इलाकों में ई-रैलियों से लोगों को संबोधित किया था. वह फार्मूला अब इन पांच राज्यों के चुनाव में अभी आजमाया जाएगा. खासतौर से उत्तर प्रदेश में ई-रैलियां इतनी ज्यादा होंगी कि बड़ी रैलियों की कमी महसूस न हो.
राज की बात ये है कि मोदी की ई रैलियों के लिए पूरे प्रदेश में बीजेपी ने अब तक की सबसे बड़ी तैयारी की है. पूरे प्रदेश में कुल नौ लाख ऐसे पॉइंट तैयार किए जा रहे हैं, जहां बड़ी स्क्रीन के माध्यम से मोदी जनता से सीधे मुखातिब होंगे. खास बात ये होगी कि सोशल मीडिया से लेकर टीवी तक लोग इन ई रैलियों की विराटता को महसूस भी कर सकेंगे. इसके लिए बाकयदा केंद्र-प्रदेश-जिला-नगर-ब्लाक और जिला पंचायत तक का मॉडल बनाया जा रहा है. ज्यादा जोर गांवों के लिए होगा, क्योंकि शहरों में लोगों से जुड़ने के तमाम माध्यम होंगे.
वैसे भी चुनाव आयोग कोरोना पर पूर्व के अनुभवों के मद्देनजर रैलियों को नियंत्रित करने की तैयारी कर ही रहा है. राज की बात ये भी है कि जब यूपी में चुनावों की अधिसूचना जारी होगी, उसके साथ रैलियों, सभाओं और रोड शो आदि को लेकर चुनाव आयोग की कुछ पाबंदियां और शर्तें निश्चित तौर पर आएंगी. ओमिक्रोन के खतरे के मद्देनजर तमाम राजनीतिक दलों ने भी चुनाव आयोग को पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया है.
राज की बात ये भी कि बीजेपी ने जो ई-रैलियां आयोजित करने की तैयारी की है, इससे इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी से जुड़े लोगों को भी खासा लाभ होगा. आप समझ सकते है कि 9 लाख ई पॉइंट पर यदि ये रैलियां होनी हैं तो इसका जाल बिछाना कितना बड़ा काम होगा और जिनको इससे लाभ मिलेगा, वह भी खुश होंगे. साथ ही विपक्षी दल जब तक तैयारी शुरू करेंगे, तब तक बीजेपी इस काम में खासी आगे निकल चुकी होगी.
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