AAP सरकार की योजनाओं से दिल्ली के हर व्यक्ति को हुआ औसतन 30 लाख का फायदा और ये जुमला नहीं है!
बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूरी है तो वृद्धाश्रम की कड़वी सच्चाई भी हमारे ही समाज का अनुभव है. बच्चे अगर बुजुर्गों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो जिम्मेदारी सरकार को ही उठानी ही होगी, लेकिन क्या सरकारें इस जिम्मेदारी को उठा रही हैं? सस्ते रेल सफर की सुविधा भी सीनियर सिटिजन से छीनी जा चुकी है. ऐसे में कोई नेता अगर सीनियर सिटिजन दंपती को तीर्थ यात्रा कराने की सोच रखता है तो आंखों में आंसू निकल ही आते हैं. दिल्ली में वृद्धों के लिए तीर्थ यात्रा की सरकारी सुविधा का महत्व इन बातों से ही समझा जा सकता है.
अरविंद केजरीवाल ने सरकार का मतलब जो समझा है और जो समझाया है वह यही है कि आम लोगों को सहूलियतें देना, उनकी भावनाओं को समझना, संबल देना. आर्थिक मदद जरूरी है मगर सहूलियत और सहूलियत के साथ-साथ भावनात्मक समर्थन सबसे ज्यादा महत्व रखता है.
मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना 2018 में शुरू हुई, इसके बाद कोविड काल में भी यह स्थगित रही और आम चुनाव के समय भी इस पर आचार संहिता के कारण रुकावट रही, लेकिन इन बाधाओं के बाद भी अब तक 87,200 से ज्यादा बुजुर्गों को दिल्ली की केजरीवाल सरकार तीर्थायात्रा करा चुकी है.
दिल्ली के हर इलाके से बुजुर्गों ने की तीर्थ यात्रा
मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा से एक विधानसभा से 1100 बुजुर्ग एक साल में इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. इसका मतलब यह है कि 70 विधानसभा सीटों पर कुल 77 हजार बुजुर्ग एक साल में इस यात्रा का लाभ उठा सकते हैं. इस हिसाब से 2018 के बाद से 2024 के बीच दो साल के कोविड काल को छोड़ भी दें तो करीब चार साल में 3 लाख से ज्यादा बुजुर्गों को इस तीर्थ यात्रा से जुड़ना चाहिए था, लेकिन उस हिसाब से आंकड़े करीब एक चौथाई ही हैं.
दिल्ली में 21 लाख सीनियर सिटिजन हैं. यह संख्या दिल्ली की आबादी का 8.5% है, इसका मतलब है कि हर 12वां व्यक्ति दिल्ली में बुजुर्ग है जो तीर्थ यात्रा योजना का लाभ उठा सकता है. आम चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल ने जुलाई महीने में 89वें जत्थे को ट्रेन से रवाना किया. आम चुनाव के बाद जुलाई से दोबारा यह यात्रा शुरू हो चुकी है. इस योजना के तहत देश के अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर तीर्थ के लिए बुजुर्ग जाते हैं, इनमें जगन्नाथपुरी, तिरुपति, रामेश्वरम, शिरडी, हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा, वृंदावन और अयोध्या शामिल हैं.
बुजुर्ग दंपती के बचे 25 हजार से 80 हजार रुपये
दिल्ली के करीब स्थित मथुरा-वृंदावन यात्रा हो या फिर रामेश्वरम, यात्रा का पूरा पैकेज 25 हजार रुपये से लेकर 80 हजार रुपये तक होता है. यह बचत बुजुर्ग महसूस करते हैं. अरविंद केजरीवाल ऐसे तीर्थ यात्रा के जत्थे को रवाना करते हुए कहते हैं, “आराम से यात्रा कीजिए। साथ कुछ लेकर नहीं जाना है। खाना, पीना, रहना सारी व्यवस्था हम आपके लिए करेंगे। आपका केवल आशीर्वाद चाहिए।”
दिल्ली में 30 लाख से ज्यादा को हुआ फायदा!
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार की सारी योजनाएं आम लोगों को सहूलियत देने वाली रही हैं. ये योजनाएं आम लोगों को आर्थिक तौर पर मजबूत देती हैं. उदाहरण के लिए मोहल्ला क्लीनिक योजना क्या है? ओपीडी का खर्च आम लोगों का बच जाता है, समय पर इलाज हो जाता है और भागदौड़ भी कम होती है. पांच आदमी के परिवार में साल में दो-दो बार भी मोहल्ला क्लीनिक जाना हुआ तो डॉक्टर की फीस के 800X2= 1600 रुपये और दवाओं के दो-दो सौ रुपये यानी 2000 रुपये प्रति व्यक्ति बचत यानी परिवार की कुल बचत 10 हजार रुपये हो गए. दस साल में एक लाख रुपये की बचत हुई.
दिल्ली के लोगों को मुफ्त पानी 20 किलो लीटर मिलता है. मध्य प्रदेश में इसके लिए 998.60 रुपये चुकाने पड़ते हैं. दिल्ली के लोगों के लिए यह मासिक बचत है जो साल में 11,983.20 रुपया होता है. दस साल में हर परिवार को 1,19,830 रुपये की बचत हुई.
मुफ्त बस यात्रा से बचत पर नजर डालें. एक महिला जो दिल्ली से महरौली मेट्रो से जाया करती थी अब मुफ्त में यात्रा करती हैं. उसके एक दिन में 120 रुपये बच जाते हैं. महीने में यह बचत 3600 रुपये की और साल में 43,200 रुपये हुई. पांच साल में यह 2,16,000 रुपये हो गई.
दिल्ली में लाखों रुपये की सर्जरी मुफ्त में हो जाती है. एक करोड़ रुपये तक का इलाज मुफ्त होता है. शिक्षा पर बचत हो या फिर शिक्षा लोन की बात- आम आदमी को आदमी पार्टी की सरकार ने सहारा ही दिया है. इन तमाम बचत और सुविधाओं को मॉनीटाइज करने पर पता चलता है कि बीते दस साल में दिल्ली के औसतन हर व्यक्ति को 30 लाख से ज्यादा का फायदा दिल्ली की कल्याणकारी योजनाओं के कारण हुआ है. न इसकी घोषणा की गई और न ही कभी इसका डंका पीटा गया. यहां तक कि बुजुर्ग दंपती भी औसतन 25 हजार से 80 हजार रुपये तक की बचत तीर्थाटन करके कर ले रहे हैं.
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