अगर आप ‘इधर’ और ‘उधर’ का मतलब भारत और इंग्लैंड की टीम से समझ रहे हैं तो इस लेख को ध्यान से पढ़िए क्योंकि यहां ‘इधर’ का मतलब टीम इंडिया से है लेकिन ‘उधर’ का मतलब इंग्लैंड की बजाए ऑस्ट्रेलिया से है. टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया दोनों पिछले करीब डेढ़ दशक की मजबूत टेस्ट टीमों में शुमार हैं. दोनों ही टीमें इस वक्त अपने अपने घर में टेस्ट सीरीज खेल रही हैं. भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ मैदान में है जबकि ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेल रहा है. इन दोनों टीमों या सीरीज की तुलना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दोनों के ही नतीजे दिलचस्प हैं. एक वक्त था जब कंगारुओं का वर्ल्ड क्रिकेट में दबदबा था. एक वक्त था जब क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के पेशेवर रवैए कि तारीफ दुनिया के हर कोने में होती थी. फिर ऐसा क्या हुआ कि आज क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया का पूरा का पूरा ‘सिस्टम’ हिला हुआ है. उसे अपनी ही पिचों पर घरेलू फैंस के सामने शर्मिंदगी का अहसास करना पड़ रहा है. दूसरी तरफ टीम इंडिया अपने घर में कमाल का प्रदर्शन कर रही है. जनवरी 2013 के बाद से लेकर अब तक खेले गए 15 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया ने 13 मैचों में जीत हासिल की है. ये ‘इधर’ और ‘उधर’ के बीच के फर्क को समझना होगा. दोनों टीमों की मौजूदा सीरीजों के हवाले से सिलसिलेवार बात करते हैं.



indian team

टीम इंडिया के ‘अमर-अकबर-एंथोनी’


विशाखापत्तनम में यूं तो ‘अनहोनी’ जैसा कुछ था नहीं. जो ‘होनी’ थी वही हुआ. पहली पारी में ही टीम इंडिया को 200 रनों की अहम बढ़त मिल गई थी. इसके बाद सिर्फ इस बात का इंतजार था कि इंग्लैंड की टीम अपनी हार को कितनी देर तक टाल पाएगी. इंग्लैंड के सामने टेस्ट मैच की चौथी पारी में 405 रनों का लक्ष्य था. इंग्लैंड की टीम का संघर्ष 98वें ओवर तक चला. जिसके बाद उसे 246 रनों की बड़ी हार स्वीकार करनी पड़ी. एक बार फिर इस जीत के हीरो रहे अमर अकबर और एंथोनी यानि विराट कोहली, आर अश्विन और चेतेश्वर पुजारा. विराट कोहली ने पहली पारी में 167 और दूसरी पारी में 81 रन बनाए. आर अश्विन ने मैच में 8 विकेट लिए. इसमें पहली पारी के 5 विकेट शामिल हैं. इसके साथ ही वो 2016 में टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की फेहरिस्त में पहले नंबर पर आ गए. इस साल अब तक खेले गए 9 टेस्ट मैचों मे उन्होंने 55 विकेट लिए हैं. चेतेश्वर पुजारा ने पहली पारी में शानदार शतक लगाया, जिसकी बदौलत भारतीय टीम को पहली पारी में इंग्लिश टीम पर बड़ी बढ़त हासिल हुई. विशाखापत्तनम टेस्ट मैच में जीत के बाद टीम इंडिया 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 से आगे हो गई है.
इस जीत की कई खासियतें हैं- रनों के आधार पर भारत की इंग्लैंड पर ये दूसरी सबसे बड़ी जीत है. इंग्लैंड के 10 बल्लेबाज विशाखापत्तनम में एलबीडब्लू आउट हुए, जो इंग्लैंड के क्रिकेट इतिहास में पहली बार हुआ.



कंगारुओं की सूरत ‘रोनी’
उधर टेस्ट क्रिकेट में लंबे समय तक नंबर एक रही कंगारुओं की टीम का बुरा हाल है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होबार्ट टेस्ट में मिली करारी हार के बाद चयनकर्ताओं ने टीम में 6 बदलाव कर दिए हैं. पिछले कई बरस में शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी अंतर्राष्ट्रीय टीम के 6 खिलाड़ियों को एक ही साथ टीम से बाहर का रास्ता दिखाया गया हो. होबार्ट टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया को पारी और 80 रनों की बड़ी हार का स्वाद चखाया था. सिर्फ चार दिनों में कंगारुओं की सेना ने अपने ही मैदान में घुटने टेक दिए थे. कंगारुओं की टीम पहली पारी में सिर्फ 85 रन बना पाई. ऑस्ट्रेलिया के 9 बल्लेबाज दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाए थे. दूसरी पारी में 7 बल्लेबाज दहाई के आंकड़े को नहीं छू पाए. ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट इतिहास में करीब सौ साल से भी ज्यादा के बाद ऐसा हुआ है जब एक टेस्ट मैच की दोनों पारियों में 16 विकेट दहाई के आंकड़े के भीतर भीतर निपट गए हों. इस साल जुलाई से लेकर अब तक यानि पिछले 5 महीने में कंगारुओं की ये लगातार 5वीं टेस्ट हार थी. इनमें से सभी हार का अंतर 100 रनों से ज्यादा का रहा है. ये सभी आंकड़े इसी बात की तरफ इशारा कर रहे थे कि ऑस्ट्रेलिया की टीम में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है.


सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट
चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत है- ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ यानि आसान शब्दों में परिभाषा समझी जाए तो दुनिया के चक्र में बने रहने के लिए समय के साथ बदलाव जरूरी है. ये सिद्धांत भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमों पर काफी हद तक सटीक बैठता है. पिछले करीब एक दशक में दोनों टीमें परिवर्तन के दौर से गुजरीं. सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, सौरभ गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, अनिल कुंबले और जहीर खान जैसे खिलाड़ी एक के बाद एक संन्यास लेते चले गए. कुछ ऐसा ही ऑस्ट्रेलिया की टीम में हुआ, जहां शेन वॉर्न, ग्लैन मैग्रा, रिकी पॉन्टिंग, एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन जैसे खिलाड़ियों ने क्रिकेट को अलविदा कहा. इस मामले में भारतीय टीम ने कंगारुओं के मुकाबले ज्यादा बेहतर ‘ट्रांजिशन फेस’ को समझा. खिलाड़ियों के साथ सही बर्ताव, बेंचस्ट्रेंथ, सही चयन और मूलभूत सुविधाओं के मामले में भी भारतीय टीम कंगारुओं के मुकाबले बीस साबित हुई, यही वजह है कि मौजूदा प्रदर्शन के आधार पर आज भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ काफी आगे दिखाई दे रही है. भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों को ही अभी टेस्ट सीरीज के बाकि मैच खेलने हैं. आने वाले मैचों के नतीजे दोनों टीमों की साख को एक बार फिर परिभाषित करेंगे.