एक्सप्लोरर

ब्लॉग: प्रधानमंत्री मोदी जी! किसानों के गुस्से से डरिए

किसानों को अन्नदाता कहने वाले तमाम दल विपक्ष में रहते हुए किसानों के सबसे बड़े रहनुमा होते हैं और सत्ता में आने के बाद किसान हाशिए पर छूट जाते हैं. तमाम योजनाएं बनती हैं. हर साल कृषि के बजट में इजाफा होता है. हर साल नई सिंचाई परियोजनाओं की घोषणाएं होती हैं.

देश के सात राज्यों के किसान दस दिनों की हड़ताल पर चले गये हैं. उनका कहना है कि शहरों को न तो सब्जी भेजेंगे और न ही दूध की सप्लाई करेंगे. देश के करीब सवा सौ किसान संगठनों की तरफ से इस हड़ताल का आहवान किया गया है. किसानों की मुख्य मांग एमएसपी पर फसलों की सरकारी खरीद की व्यवस्था करना है. किसान तो फल और सब्जियों की सरकारी खरीद की भी बात कर रहे हैं. अन्नदाता सड़क पर है. वह सड़क पर दूध की नदियां बहा रहा है. सड़क पर टमाटर, आलू, गोबी और अन्य सब्जियां फैंक रहा है. वह नारें लगा रहा है. वह रो रहा है. वह आत्महत्या कर रहा है. वह सरकार को वायदे याद दिला रहा है. वह कह रहा है कि खेती से अब पेट नहीं भरता. वह लागत का हिसाब गिना रहा है. वह बता रहा है कि कैसे खर्चा तक पूरा नहीं होता है. कैसे आढ़तियों के चंगुल में है, कैसे सरकारी खरीद में धांधली होती है, कैसे बिचोलिए उनका हक छीन ले रहे हैं, कैसे सरकार समय पर मदद नहीं करती है, कैसे फसल बीमा कंपनी मुआवजा देरी से देती है और आधा अधूरा ही देती है, कैसे बंपर फसल में भी नुकसान होता है और कम उपज होने पर भी दाम नहीं मिल पाते हैं. किसानों को अन्नदाता कहने वाले तमाम दल विपक्ष में रहते हुए किसानों के सबसे बड़े रहनुमा होते हैं और सत्ता में आने के बाद किसान हाशिए पर छूट जाते हैं. तमाम योजनाएं बनती हैं. हर साल कृषि के बजट में इजाफा होता है. हर साल नई सिंचाई परियोजनाओं की घोषणाएं होती हैं. लेकिन हर साल किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बढ़ रहे हैं. हर साल खबरें आती हैं कि हजारों की संख्या में किसान खेती छोड़ मनरेगा के तहत मजदूरी करने लगे हैं. कभी मानसून रुठता है तो कभी सरकारें दगा दे जाती हैं. राजस्थान में अकाल सूखा पड़ना आम बात रही है. वहां एक कहावत है....राम रुठे, राज न रुठे. यानि भले ही रामजी रुठ जाएं और मानसून दगा दे जाए लेकिन राज यानि राजा को अपना फर्ज निभाना चाहिए. लेकिन लोकतंत्र के राजा घोषणा पत्र तक ही सीमित नजर आते हैं. ऐसे में किसान सड़क पर नहीं उतरे तो क्या करे. नासिक से लेकर मुम्बई तक तीस हजार किसान सड़क पर उतरे और महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार को कर्ज माफी के लिए मजबूर किया. राजस्थान में शेखावटी इलाके (सीकर, झुंझुनूं, चुरु जिले) के किसान परिवार समेत सड़क पर उतरे और वसुंधरा राजे सरकार को पचास हजार तक के कर्ज माफ करने के लिए मजबूर होना पड़ा. कर्नाटक में तो सभी दलों ने अपने घोषणा पत्र में किसानों के कर्ज माफ करने का वायदा किया. यूपी में योगी सरकार और पंजाब में अमरेन्द्र सिंह सरकार ऐसा ही भरोसा दिलाकर ही सत्ता में आ सकी थी. आज जहां भी चुनाव होना है वहां तय है कि किसानों की कर्ज माफी की घोषणा होनी ही होनी है. लेकिन कर्ज माफी सिर्फ बोनस के रुप में है. आखिर 2009 में मनमोहनसिंह सरकार ने देश भर के किसानों की साठ हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था लेकिन उसके बाद भी आत्महत्या के मामले रुके नहीं. किसान आज फिर से कर्ज माफी को लेकर सड़क पर हैं. दरअसल कर्ज माफी सरकारी कापरेटिव बैंकों से लिए गये कर्ज की ही होती है. उधर सच यही है कि निजी साहुकारों से किसान ज्यादा तादाद में कर्ज लेते हैं. किसान आढ़तियों से भी कर्ज लेते हैं. यह वर्ग सरकार की कर्ज माफी की योजना के तहत नहीं आते हैं. किसान आज दोराहे पर हैं. एक तरफ खेती धोखा देती है तो दूसरी तरफ गाय बचाने के नाम पर गोरक्षकों की गुंडागर्दी से किसान धर्मसंकट में है. पहले किसान की जीविका के दो साधन हुआ करते थे. एक, खेती. दो, दुधारु पशु. खेती सूखती तो गाय भैंस का दूध दो जन रोटी का इंतजाम कर देता. खेती से मुनाफा होता तो कम दूध देने या दूध देना बंद कर देने वाली गाय भैंस बेचकर अच्छी नस्ल की नयी गाय भैंस खरीद लाता. आय बढ़ जाती. अब हालत यह है कि किसान चाहकर भी गाय बेच नहीं पाता है. अब या तो गाय को खुला छोड़ दिया जाये या फिर घर में रखकर भूसा बिनोला पर पैसा खर्च किया जाए. घर में कम दूध देने वाली गाय रखता है तो दूसरे दूध देने वाले पशुओं का चारे पानी का हिस्सा बंटता है. इससे किसान नुकसान में रहता है. अगर गाय को खुला छोड़ देता है तो ऐसी आवारा गाय फसल बर्बाद करती हैं. किसान को लाखों रुपये खर्च कर खेत की फैंसिंग करवानी पड़ती है. एक तरफ खेती से नुकसान तो दूसरी तरफ खेत की तारबंदी पर खर्च. एक तरफ नया पशु नहीं खरीद पाने पर हो रहा आर्थिक नुकसान तो दूसरी तरफ अ-दुधारु गाय को पालने का खर्च. गांवों में किसानों के साथ साथ पूरे गांव की आर्थिक हालत खराब होती जा रही है. इस संकट से कैसे किसानों को उबारा जा सकता है इसका तोड़ तो उसी बीजेपी सरकार को निकालना है जिसके सहयोगी संगठन गाय को लेकर हल्ला मचाए हुए हैं. एक सवाल उठता है. क्या किसानों को निश्चित आय हर महीने नहीं दी जा सकती... क्या सरकार यह तय नहीं कर सकती. जानकारों के अनुसार किसान की सालाना आय छह हजार रुपए से भी कम है. सवाल उठता है कि इतने पैसों से क्या घर चलाया जा सकता है. क्या घर चलाते हुए खेती की जा सकती है. जब सरकारें अकुशल, अर्धकुशल और कुशल मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय कर सकती है तो किसान को क्यों नहीं इसमें शामिल किया जा सकता. इस पर क्यों सोचा नहीं जा सकता. जब सरकार 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने की बात कर सकती है तो किसानों को एक निश्चित आय देने पर क्यों सोच नहीं सकती. हमारे यहां यूनिवर्सिल बेसिक इनकम स्कीम की बात हो रही है. यहां तक कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार देश के सबसे पिछड़े कुछ चुनिंदा जिलों में इस स्कीम को पायलट प्रोजेक्ट के रुप में शुरु कर सकती है. अब जब इस स्कीम के तहत हर भारतीय की जेब में कुछ पैसा डालने की बात हो रही है तो इसकी पहल किसानों से क्यों नहीं हो सकती. भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश में बारह करोड़ किसान हैं. एक किसान के घर में अगर औसत रुप से चार वोटर माने जाएं तो यह वोट बैंक 48 करोड़ का बैठता है. इतने वोटर अपने हिसाब से सरकार चुनने की गुंजाइश रखते हैं. किसान इतना बड़ा वोटबैंक तो है लेकिन किसान जातियों में बंटा है. वह कहीं मराठा है, कहीं जाट हैं, कहीं अहीर है, कहीं मीणा है, कहीं राजपूत है तो कहीं किसी अन्य जाति का है. किसान अगर एक हो जाए तो क्या तस्वीर होगी चुनावी राजनीति की....... इसकी कल्पना मात्र से ही बड़े बड़े दलों के पसीने छूटना तय है. किसान दुखी है और आक्रामक भी हो रहा है. उसके संयम की परीक्षा लेना महंगा पड़ सकता है. किसानों के गुस्से से डरिए. न्याय कीजिए. कम से कम इस साल खरीफ के मौसम से किसानों को कुल लागत (इसमें बीज, खाद, पानी बिजली, श्रम से लेकर कृषि भूमि और कृषि उपकरणों पर ब्याज शामिल है) पर पचास फीसद मुनाफा देने का काम तो शुरु हो ही सकता है. यहां देखना होगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज की खऱीद भी हो. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत सरकार का ही एक सर्वे बताता है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का फायदा सिर्फ छह फीसद किसान ही उठा पाते हैं. (नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)
और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

मालदीव ने फिर चली भारतीयों के खिलाफ गंदी चाल, जानिए किनके डिटेल्स सार्वजनिक करने के निर्देश दिए
मालदीव ने फिर चली भारतीयों के खिलाफ गंदी चाल, जानिए किनके डिटेल्स सार्वजनिक करने के निर्देश दिए
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से पहले प्रकाश आंबेडकर का बड़ा ऐलान, MVA-महायुति में किससे करेंगे गठबंधन? 'सरकार बनाने...'
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से पहले प्रकाश आंबेडकर का बड़ा ऐलान, MVA-महायुति में किससे करेंगे गठबंधन?
The Sabarmati Report BO Collection: विक्रांत मैसी की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं दिखा पा रही दम, किया सिर्फ इतना कलेक्शन
विक्रांत मैसी की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं दिखा पा रही दम, किया सिर्फ इतना कलेक्शन
आ गई तारीख, इस दिन शुरू होगा IPL 2025, अगले तीन साल का शेड्यूल आया सामने!
आ गई तारीख, इस दिन शुरू होगा IPL 2025, अगले तीन साल का शेड्यूल आया सामने!
ABP Premium

वीडियोज

Breaking News : जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद को लेकर Sambhal में हाईअलर्ट पर UP PoliceBreaking News : Patna में JDU दफ्तर के बाहर ग्राम रक्षा दल का विरोध प्रदर्शन | Bihar PoliticsBreaking News : राजस्थान में आधी रात दिल दहलाने वाली वारदात! | Rajasthan NewsBreaking News : Canada के ब्रैंपटन शहर में नया कानून, धार्मिक स्थल के बाहर प्रदर्शन पर रोक

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
मालदीव ने फिर चली भारतीयों के खिलाफ गंदी चाल, जानिए किनके डिटेल्स सार्वजनिक करने के निर्देश दिए
मालदीव ने फिर चली भारतीयों के खिलाफ गंदी चाल, जानिए किनके डिटेल्स सार्वजनिक करने के निर्देश दिए
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से पहले प्रकाश आंबेडकर का बड़ा ऐलान, MVA-महायुति में किससे करेंगे गठबंधन? 'सरकार बनाने...'
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से पहले प्रकाश आंबेडकर का बड़ा ऐलान, MVA-महायुति में किससे करेंगे गठबंधन?
The Sabarmati Report BO Collection: विक्रांत मैसी की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं दिखा पा रही दम, किया सिर्फ इतना कलेक्शन
विक्रांत मैसी की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं दिखा पा रही दम, किया सिर्फ इतना कलेक्शन
आ गई तारीख, इस दिन शुरू होगा IPL 2025, अगले तीन साल का शेड्यूल आया सामने!
आ गई तारीख, इस दिन शुरू होगा IPL 2025, अगले तीन साल का शेड्यूल आया सामने!
स्ट्रॉन्ग रूम में अगर हो गई चोरी तो क्या दोबारा होंगे चुनाव? जान लीजिए जवाब
स्ट्रॉन्ग रूम में अगर हो गई चोरी तो क्या दोबारा होंगे चुनाव? जान लीजिए जवाब
खून से जुड़ी इस गंभीर बीमारी से परेशान हैं जैकी श्रॉफ, जानें इसके लक्षण और बचाव
खून से जुड़ी इस गंभीर बीमारी से परेशान हैं जैकी श्रॉफ, जानें इसके लक्षण और बचाव
Myths Vs Facts: 11 से 14 साल की उम्र में ही होते हैं हर लड़की को पीरियड्स? जानें क्या है सच
11 से 14 साल की उम्र में ही होते हैं हर लड़की को पीरियड्स? जानें क्या है सच
China Gold Reserves: चीन को मिल गया सोने का सबसे बड़ा खजाना, कीमत इतनी कि सुनकर उड़ जायेंगे आपके होश!
चीन को मिल गया सोने का सबसे बड़ा खजाना, कीमत इतनी कि सुनकर उड़ जायेंगे आपके होश!
Embed widget