देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के राज्य सभा के साथ ही सक्रिय राजनीति से रिटायर होने पर कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भावुक होकर एक पत्र लिखा. उन्होंने कहा कि तीन दशकों तक देश की सेवा और उनके कार्यकाल को राष्ट्र हमेशा याद करेगा. मनमोहन सिंह का पूरा जीवन ही प्रेरणादायक रहा है. राजनीति शुरू करने से पहले भारत सरकार में अधिकारी के तौर पर भी मनमोहन सिंह का कार्यकाल यादगार रहा. मनमोहन सिंह ने अपने जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्त की, भारत सरकार में काम किया और उसके बाद राजनीति में आए, वहां भी अपना नाम कमाया.
अद्वितीय हैं मनमोहन
पीवी नरसिंह राव के समय वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह ने जो काम किया, वह पूरे देश को पता है. नरसिंहा राव जब पीएम थे, तो उस दौरान देश की अर्थव्यवस्था डूब रही थी. उस समय देश के पीएम और वित्तमंत्री ने ही काम किया और देश को पटरी पर लाए, देश का गिरवी रखा हुआ सोना वापस लेकर आए और फिर देश को तरक्की की राह पर ले गए, जिसका पूरा श्रेय मनमोहन सिंह को जाता है. इसके अलावा बतौर पीएम उन्होंने दस साल काम किया, जिसमें देश ने काफी तरक्की की. उसको पूरा देश नहीं भूल सकता. जेएन भगवती , प्रो. अमर्त्य सेन और मनमोहन सिंह तीनों एक साथ पढ़े थे, उस समय मनमोहन सिंह सभी विषय में प्रथम स्थान प्राप्त करते थे. वह एक शानदार व्यक्तित्व के व्यक्ति थे. वह लंबे समय यानी कि 33 सालों तक राज्य सभा के सदस्य रहे. इसके अलावा उनकी सौम्यता, शालीनता, सभ्यता के साथ इतने बड़े पद पर रहना, प्रेरणादायक है. इसकी मिसाल काफी कम इस दुनिया में मिलती है. कोई व्यक्ति बड़े पद पर होता है तो थोड़ा अहंकारी हो जाता है लेकिन मनमोहन सिंह बिल्कुल इसके विपरीत थे. मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व सीख देनेवाला है. काफी समय तक उन्होंने देश की सेवा की. ईश्वर उन्हें एक अच्छा स्वास्थ्य दें, ताकि आगे वो देश की नीतियों में अपना विचार रख सकें. हालांकि वर्तमान की बीजेपी की सरकार और कांग्रेस के नीतियों में कोई मेल नहीं है लेकिन बजट के पेश होने के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाकर उनसे विचार-विमर्श किया और आर्थिक मामलों में जानकारी ली. उनके पास विद्वता है और उनसे सीख ली जाती है. एक आरोप लगता था कि वो खुद से कोई निर्णय नहीं ले पाते, लेकिन नीतियां तो पार्टी बनाती है और सरकार उसको लागू करती है. उनके कार्यकाल में ही मनरेगा और राइट टू एजुकेशन कानून लाया गया. आज की सरकार राइट टू एजुकेशन को समाप्त कर रही है.
विदेशों से बनाए मजबूत संबंध
आज हम बात करते हैं कि भारत का अमेरिका रणनीतिक साझीदार है, लेकिन इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी. मनमोहन सिंह के कारण ही भारत पर जो प्रतिबंध लगे थे उसको हटाया गया. लोग राजनीतिक विकास के लिए देश को भी दाव पर लगा देते हैं लेकिन उन्होंने ने ऐसा नहीं किया. भारत की सरकार ने बिजली के क्षेत्र में न्यूक्लियर पावर की बात की. उस समय भाजपा और सीपीएम ने समर्थन वापस ले लिया था. देश के काम और उन्नति के लिए मनमोहन सिंह ने जो काम किया उसको पूरा देश याद रखेगा. लोग तो अपने फायदे के लिए सरकार को गिरा देते हैं, लेकिन मनमोहन सिंह ने इन सब से ऊपर उठकर काम किया है. वो एक ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने विकास के लिए ही अपनी सरकार तक को दांव पर लगा दिया. उन्होंने अपने कार्यकाल में विदेशों से मजबूत संबंध भी बनाए.
राज्यसभा में मनमोहन सिंह 33 साल तक रहे. मनमोहन सिंह के अंदर शालीनता, सौम्यता अलग प्रकार की थी. आज की भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी उनको मौन मोहन सिंह कहते हैं, लेकिन उनके अंदर काफी सौम्यता और सभ्यता थी. उन्होंने कई बार प्रेस वार्ता की और कठोर और कठिन से कठिन सवालों के जवाब बहुत ही सौम्य भाषा में देते थे. भले ही लोगों को मनमोहन सिंह बाहर से नरम नजर आते थे, और सौम्य स्वभाव के लिए देखे जाते थे, अंदर से वो अपनी नीतियों को लेकर उतने ही कठोर थे. विपक्षी नेताओं पर वो कभी टिप्पणी नहीं करते थे. बिना टिप्पणी किए ही वो राजनीति में सक्रिय रहे. उनकी सौम्यता और शालीनता को पूरे देश के लोगों को सीखने की जरूरत है. संसद भवन में सुषमा स्वराज ने एक बार शायरना अंदाज में मनमोहन सिंह से सवाल पूछे थे, उसका जवाब उन्होंने बड़ी ही सौम्यता से दिया था. तो राजनीति में ये सीख होनी चाहिए कि अपनी भाषा में मर्यादा हो. मनमोहन सिंह जितने दिन संसद भवन में रहे उतने दिन मर्यादा, शालीनता और सौम्यता दिखाई.
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