एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

फ्रांस में एक 17 साल के शख्स नाहेल की मौत पर जर्मनी से इजरायल तक क्यों अलर्ट हुई सरकार, जानें विवाद की असल जड़

फ्रांस में 17 वर्षीय किशोर नाहेल की पुलिस फायरिंग में हिंसा के बाद भारी मात्रा में हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी हुई. हजारों गाड़ियों को फूंका और करीबन तीन हजार दुकानों को लूट लिया गया. अब तक करीबन 2400 लोगों को अरेस्ट कर लिया गया है, लेकिन पिछले एक हफ्ते से जारी हिंसा वहां अब तक थमी नहीं है. इसी दौरान, जर्मनी से लेकर इजरायल तक भी इस घटना के छींटे पड़े हैं और ये सारे देश इस घटना के बाद अलर्ट पर हैं. 

ये जो घटना हुई है, नाहेल की फायर में मौत वाली, वह दरअसल अल्जीरियन मूल का लड़का था. वह पेरिस के सबर्ब में रहता था. पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि फ्रेंच सोसायटी में रेसियल यानी नस्लीय आधार पर विभेद बढ़ रहा है और इसी का रिफ्लेक्शन फ्रेंच पुलिस में भी देखा जा रहा है. पॉलिटी और सोसाइटी में भी चेंज आ रहा है. ये एक ऐसी घटना थी, जिसमें नाहेल ने ट्रैफिक रूल्स तोड़ा था,  पुलिस नाहेल को चेज कर उसे दंडित कर सकती थी, लेकिन उसे प्वाइंट ब्लैंक पर बुलेट मार दी गयी. पिछले साल भी करीबन 31 लोगों को गोली मार दी गयी थी, बिना किसी चेतावनी या अरेस्ट के, तो फ्रेंच पुलिस में रेशियल ईशूज तो आ गए हैं, और जो एक डिबेट फ्रेंच सोसाइटी में चल रहा है- अदर्स वर्सेस अस-वाली, यह घटना उसी का प्रतिफलन है.  

सरकार ने काम किया, समाज को करना होगा 

फ्रांस की सरकार ने उस पुलिस वाले को तुरंत पकड़ा, उसे जेल में डाला और जांच शुरू की. इसके बावजूद हिंसा बढ़ती गयी, क्योंकि पूरे समाज में एक नस्लीय खाई बन रही है. यह पॉलिटिकल मामला भी है. हालांकि, फ्रांस में तकरीबन सभी दलों ने एक सुर में इसकी निंदा की, लेकिन इसके कारण तो खोजने ही होंगे कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? पुलिस फोर्स इतनी आक्रामक क्यों हो रही है, जो बात आसानी से संभल सकती थी, उसको इतना बढ़ा कैसे दिया गया, ये सब भी पूछना चाहिए. टीनएज में थोड़ा सा विद्रोही स्वभाव होता है, लॉ आदि को तोड़ना भी एक थ्रिल जैसा अहसास होता है, तो उसके उपाय भी हैं. उसको रोक सकते थे, अरेस्ट कर सकते थे, लेकिन सीधा गोली ही मार देना कहां का न्याय है? पुलिस जो भी सफाई दे, वह गलत है और इसमें कोई दूसरी राय नहीं हो सकती है. 

शरणार्थियों के लिए चिंता का विषय 

फ्रेंच सोसायटी हमेशा से लिबरल रही है, उदारवादी रही है. प्रवासियों यानी माइग्रैंट्स को लेकर भी यह समाज उदार रहा है. जब 2016 में माइग्रैशन-क्राइसिस हुआ तो हमें याद रखना चाहिए कि फ्रेंच और जर्मनी वाले ही इनको अंदर लेकर आए. बहुत सारे देश जैसे हंगरी, इटली वगैरह इस पर सख्त रुख अपना रहे थे. दूसरे यूरोपीय देशों को भी उन्होंने मनाया. फ्रेंच सोसायटी तो एक मिसाल थी. अब वहां अगर ऐसा हो रहा है तो यह चिंता की बात है. इसलिए, केवल जर्मनी ही नहीं, सारे देश इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए हैं. ये सारी जगहें हैं, चाहे वह जर्मनी हो या इजरायल, हरेक जगह शरणार्थी हैं, इसलिए हरेक देश इस पर नजर रखे हुए है. फ्रांस की बात पूरे देश में फैल सकती थी. आप देखें कि चाहे वो पिंक रेवोल्यूशन हो, या अरब वाली क्रांति हो, वे एक से दूसरी जगह तेजी से फैलती हैं. ट्रांसनेशनल मामला होने की वजह से ही सारे देश चिंतित हैं. 

फ्रेंच समाज में ध्रुवीकरण 

फ्रांस के समाज में कुछ दिनों से शरणार्थियों को लेकर ध्रुवीकरण बढ़ा है. इस बीच उनकी संख्या भी तेजी से बढ़ी है. फिर, जॉब मार्केट हो या रिसोर्सेज की बात है, उसको लेकर नस्ली डिवाइड हो चुका है. इस बीच शरणार्थी काफी तेजी से बढ़े भी हैं. इससे जो मूल निवासी हैं उनको कहीं न कहीं महसूस होता है कि उनका हक छीना जा रहा है. शरणार्थी सोच रहे हैं कि जो उनको मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा. यह डिवाइड एक बॉयलिंग पॉइंट पर आ चुका है. 

यह सीधे तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रां के ऊपर सवालिया निशान है. वह यूरोप के किसी भी मसले पर लीड लेते रहे हैं, लेकिन खुद उनके देश में जब ये सब हो रहा है, तो एक बड़ा सवाल तो है ही. यूरोप के अंदर फ्रांस और खासकर मैक्रां के लीडरशिप पर तो सवाल उठते ही रहेंगे. हालात को सुधारने की कोशिश हालांकि जारी है, फ्रांस की फुटबॉल टीम ने भी अपील की है. राजनीतिक दल भी अपील कर रहे हैं और हो सकता है कि कुछ दिनों में ये दंगे भी बंद होंगे, लेकिन सारे समुदायों और कम्युनिटी के बीच बातचीत शुरू होना बहुत जरूरी है, इस रेशियल डिवाइड को पाटना बहुत जरूरी है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

KL Rahul Half Century: यशस्वी-राहुल ने शतकीय साझेदारी से पर्थ में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
यशस्वी-राहुल ने पर्थ टेस्ट में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
पूरा दिन वोटिंग के बाद EVM मशीन 99% कैसे चार्ज हो सकती है?, पति फहाद अहमद की हुई हार, तो स्वरा भास्कर ने पूछे ECI से सवाल
पति की हुई हार तो स्वरा भास्कर ने उठा दिए ईवीएम पर सवाल
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
ABP Premium

वीडियोज

Assembly Election Results: देवेंद्र फडणवीस ने जीत के बाद क्या कहा? Devendra Fadnavis | BreakingMaharashtra Election Result : विधानसभा चुनाव के रुझानों पर महाराष्ट्र में हलचल तेज!Maharashtra Election Result : देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे उपचुनाव में बीजेपी की बड़ी जीतMaharashtra Election Result : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार जीत पर CM Yogi की आई प्रतिक्रिया

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
KL Rahul Half Century: यशस्वी-राहुल ने शतकीय साझेदारी से पर्थ में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
यशस्वी-राहुल ने पर्थ टेस्ट में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
पूरा दिन वोटिंग के बाद EVM मशीन 99% कैसे चार्ज हो सकती है?, पति फहाद अहमद की हुई हार, तो स्वरा भास्कर ने पूछे ECI से सवाल
पति की हुई हार तो स्वरा भास्कर ने उठा दिए ईवीएम पर सवाल
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
Maharashtra Assembly Election Results 2024: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
महाराष्‍ट्र: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
हेमंत सोरेन को मिला माई-माटी का साथ, पीके फैक्टर एनडीए के काम आया, तेजस्वी का ‘पारिवारिक समाजवाद हुआ फेल’  
हेमंत सोरेन को मिला माई-माटी का साथ, पीके फैक्टर एनडीए के काम आया, तेजस्वी का ‘पारिवारिक समाजवाद हुआ फेल’  
Police Jobs 2024: इस राज्य में भरे जाएंगे सब इंस्पेक्टर के बंपर पद, जानें कब से शुरू होगी आवेदन प्रोसेस
इस राज्य में भरे जाएंगे सब इंस्पेक्टर के बंपर पद, जानें कब से शुरू होगी आवेदन प्रोसेस
Embed widget