एक्सप्लोरर

Opinion: कुकीज का बीजेपी से उठा विश्वास, मणिपुर विवाद के समाधान का बस बचा है एक ही रास्ता

मणिपुर में एक बार फिर से हिंसा हुई. पांच दिनों तक वहां इंटरनेट पर रोक लगा दी गयी है, स्कूल-कॉलेज बंद हो गए हैं. 3 मई 2023 को जो हिंसा शुरू हुई, वह लगातार जारी है. कभी उसकी आंच कम होती है, कभी मद्धम, लेकिन कभी भी वह पूरी तरह से बंद नहीं हुई. एथनिक वॉयलेंस से शुरू हुई बात अब मजहबी हिंसा तक पहुंच गयी है. इस बीच राज्य सरकार का दावा है कि स्थिति नियंत्रण में है, केंद्रीय गृहमंत्री लगातार बोल रहे हैं कि वह राज्य सरकार से संपर्क में हैं और विपक्ष सभी के एक्शन को नाकाफी बताते हुए उन पर सवालिया निशान लगा रहा है. मुख्य मसला यह बनता है कि क्या मणिपुर की हालत कश्मीर से भी खराब हो गयी है, या फिर वह किसी गहरी राजनीति का शिकार हो रहा है. 

मणिपुर की हिंसा है बेहद भयावह

यहां जो हिंसा की शुरुआत हुई, वह मैतेई और कुकी दो जनजातियों के बीच शुरू हुई. शुरुआत भले इसकी 3 मई को हुई हो, लेकिन इसके बीज तो जनवरी में ही पड़ गए थे, और जब कोर्ट ने अप्रैल में फैसला दिया था और मैतेई को भी ट्राइबल स्टेटस देने की बात कही थी. उसी का कुकी विरोध कर रहे थे. चूंकि इस पर काफी बात हो चुकी है, इसलिए हम उससे आगे की बात करें. मुख्य मुद्दा ये है कि सरकार का ध्यान इस पर नहीं गया. सरकार को लगा कि इनसर्जेन्सी तो है नहीं, वह खत्म हो गयी है. सरकार ने यह सोचा था कि कोर्ट ने बहुतेरे बड़े निर्णय दिए हैं, जैसे अनुच्छेद 370 को खत्म करना या फिर राम मंदिर का फैसला हो, वे तो बहुत बड़े मुद्दे थे, मणिपुर के साथ केंद्र सरकार को भी लगा कि यह तो एक जाति को एसटी स्टेटस देने का मामला है, सुलझ जाएगा. 

यहीं उनसे चूक हुई. मामला इतना आसान नहीं था. उसमें नस्लीय मामला बहुत गंभीर था और इसको लेकर बहुत गहरा डिवाइड वहां था. सरकार को तैयारी करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार वहां चूकी. तैयारी थी नहीं. वैसे, राज्यों में पुलिस और जनता का अनुपात देखें तो मणिपुर में 1 लाख की आबादी पर 1000 पुलिस वाले हैं, जबकि छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में तो ये अनुपात 1 लाख पर 200 का है. चूंकि, मणिपुर पहले से आतंक प्रभावित है, तो वहां यह बहुत अधिक का अनुपात है. मणिपुर में पुलिस भी काफी है, अर्द्धसैनिक बल भी हैं, इसके बावजूद अगर स्टेट इसको नहीं रोक पा रहा है, तो सीधी सी बात है कि ये उसकी असफलता है. 

केंद्र और राज्य सरकार, दोनों है जिम्मेदार

अगर कहा जाए कि सरकार ने वापस मणिपुर में उग्रवाद की वापसी करायी है, तो गलत नहीं होगा. मणिपुर में तो यह काफी कम हो गया था. सालाना जहां सैंकड़ों लोग मरते थे, वहां अब वह संख्या दहाई में आ गयी थी. हालात बिल्कुल सुधर गए थे. तो, शायद इन्होंने अपनी सुरक्षा कम कर दी, जैसा कश्मीर में हुआ. वहां कर्नल, मेजर रैंक के अधिकारी मारे गए. माओवादी बड़े आक्रमण करते हैं, क्योंकि हम अपनी सुरक्षा कम कर देते हैं. जब तक आतंकियों को पूरी तरह खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक उग्रवाद खत्म नहीं होगा. खत्म करने का मतलब केवल यह नहीं होता कि आप सभी उग्रवादियों को मार दें. उनकी फूड लाइन, सेक्योरिटी लाइन, उनके गुप्तचर सभी को खत्म करना होगा यानी सबको अपने पाले में लाना होगा. हां, यह बड़ा स्टेटमेंट है कि सरकार उग्रवाद को वापस लायी है, लेकिन मैं उस पर कायम  हूं. 
एक सरकारी तंत्र खासकर जिसे भारत की मजबूत सरकार चाहते हैं, वे कभी भी चाहें तो इसे खत्म कर सकते हैं. मैं खासकर मिलिट्री सॉल्यूशन की बात करता हूं, पॉलिटिकल सॉल्यूशन देर की बात है. हिंसा को सरकार अधिकतम 72 घंटों में रोक सकती है. हम चाहें तो इसे पॉलिटिकल विल की कमी कह सकते हैं. यह सरकारी तंत्र की पूरी विफलता है और ये सरकार नहीं चाह रही है. 

पूरे भारत में ध्रुवीकरण की राजनीति जारी

अब पॉलिटिक्स ऑफ पोलराइजेशन शुरू हो गया है. आप देख लीजिए कि पंजाब हो या कुछ भी हो, हरेक जगह हमारे लिए वही मसला है. मैं सरकार को नहीं लाऊं तो भी यह कहना होगा कि हरेक जगह ये हो रहा है. इसमें हिंदुत्व लॉबी को काम करने पर ध्यान देना होगा. उन्होंने पूरे देश में जो धार्मिक रंग दिया है, वह देखने लायक है.

सुरक्षा जानकार होने के नाते मैं ये बात कह सकता हूं कि अभी कोई साक्ष्य नहीं है कि भारत ने निज्जर को कनाडा में मारा है और न भारत का इसमें कोई हाथ है. मणिपुर में पूरे विवाद को मैतेई और कुकीज के बीच की लड़ाई बताई जा रही है. आज तक जो भारत की जनता यही पता था कि दोनों ट्राइब्स है. बहुत ही कम लोगों को ये मालूम था कि मैतेई हिन्दू हैं. लेकिन मैतेई केवल हिन्दू नहीं हैं, उनके अंदर भी सारे धर्म के लोग हैं, लेकिन हिन्दू का वर्चस्व है.

कुकीज के अंदर भी सारे नहीं लेकिन वर्चस्व रखने वाले कुकीज ईसाई हैं. कुकीज में भी मुसलमान हैं. ऐसे में ये जो धार्मिक रंग पूरे देश में फैला हुआ है, उसी का ये प्रतिरुप है जो मणिपुर में भी है. पहले जो इनमें भेद नस्लीय तौर पर होता था वो अब इनके अंदर भी धार्मिक तौर पर होने लग गया है.

दूसरी बात ये है कि पूरे मामले का समाधान मणिपुर में बातचीत के जरिए ही होना है. लेकिन पूरे मामले पर केन्द्र दखल नहीं दे रहा है. बीजेपी के लिए इसे पॉजिटिव लें या फिर निगेटिव, लेकिन हकीकत ये है कि दोनों ही जगहों पर बीजेपी की ही सरकार है. इसलिए पूरी जिम्मेदारी बीजेपी के ऊपर आ रही है.

कुकीज का बीजेपी से उठा विश्वास

लेकिन, चूंकि राज्य में एन. बीरेन सिंह की अगुवाई में बीजेपी की सरकार है, इसलिए मुख्यमंत्री को ही इस मामले पर बातचीत शुरू करनी चाहिए. कुकीज का विश्वस उनके ऊपर से उठ चुका है. वो बीजेपी से बिल्कुल भी बातचीत नहीं करना चाहते हैं. चूंकि, एन. बीरेन सिंह ने जो आरोप लगाए हैं, उसमें वे पुख्ता सबूत नहीं दे पा रहे हैं कि केवल कुकीज ही ड्रग्स तस्करी के लिए जिम्मेदार कैसे हैं? चूंकि, एन. बीरेन सिंह ने ड्रग्स तस्करों के खिलाफ एक्शन लिया, ऐसे में कुकीज राज्य सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं. 

राज्य के सीएम ने शुरू में ही कहा था कि ये विवाद ड्रग्स तस्कर बनाम मैतेई है. लेकिन, इस मामले पर राज्य सरकार ने पुख्ता आंकड़े नहीं दे पायी है. ड्रग्स तस्करी में पहले जिस अनुपात में कुकीज पकड़े जाते थे, उसी अनुपात में अभी भी वे पकड़े जा रहे हैं. ऐसे में एन. बीरेन सिंह के पास इसका कोई जवाब नहीं है.

सवाल है कि इस वक्त कैसे मणिपुर में मौजूदा स्थिति संभाली जाए तो इसके लिए सुरक्षबालों की पर्याप्त संख्या में तैनाती जरूरी है. चूंकि सुरक्षाबलों के ऊपर भी ये आरोप लग रहे हैं कि असम रायफल्स कुकीज का साथ दे रही हैं, कुकीज कह रहे हैं कि मैतेई का साथ दे रही है. इसलिए आपसी विश्वास रोकिए. इसके लिए जरूरी है कि सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ाई जाए. इसके अलावा, केन्द्र को पूरे मामले पर हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि राज्य सरकार से स्थिति नहीं संभल पा रही है. चाहिए ये कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय सीधा एक्शन लें.
 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget