आलोचना चाहे जितनी होती रहे लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार को परंपरावादी लीक से हटकर चलाने में कुछ जरूरत से ज्यादा ही यकीन रखते हैं. इसलिए वे कभी एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान करके देश को चौंकाते हैं, तो अब उन्होंने जी-20 की अगले साल होने वाली बैठक जम्मू-कश्मीर में आयोजित करने की घोषणा करके पाकिस्तान को बेहद तीखी व कड़वी मिर्ची का तड़का लगा दिया है.


इससे पड़ोसी मुल्क बुरी तरह से बौखला उठा है. जी-20 यानी ग्रुप-20 दुनिया के 20 देशों की अर्थव्यवस्थाओं को साथ लाने वाला सबसे ताकतवर समूह है, जिसका पाकिस्तान सदस्य नहीं है. पाकिस्तान शायद तब इतना नहीं बौखलाता, अगर ये बैठक राजधानी दिल्ली या किसी और राज्य में होने का ऐलान किया गया होता. लेकिन कश्मीर का नाम सुनते ही वो पूरी तरह से बौरा गया दिखता है. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार अहमद ने एक बयान में कहा है कि इस्लामाबाद ने भारतीय मीडिया में आई उन खबरों का संज्ञान लिया है, जिनसे संकेत मिलता है कि भारत जी-20 से संबंधित कुछ बैठक जम्मू कश्मीर में कराने पर विचार कर सकता है. अहमद ने कहा, 'भारत की ऐसी किसी भी कोशिश को पाकिस्तान पूरी तरह नकारता है.' पाकिस्तान ने ये कहकर दुनिया की आंखों में एक बार फिर से ये धूल झोंकने की असफल कोशिश की है कि अंतराष्ट्रीय मंच पर जम्मू-कश्मीर एक 'विवादित क्षेत्र' है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने अभी तक इसे मानने से इनकार ही किया है.


कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का बयान
इफ्तिखार अहमद की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि "यह सब जानते हैं कि जम्मू कश्मीर, पाकिस्तान और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना गया 'विवादित' क्षेत्र है और सात दशकों से अधिक समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर है. अहमद ने ये भी कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत से पांच अगस्त, 2019 को लिए गए अपने फैसले को वापस लेने और सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आह्वान करने का अनुरोध भी करता है. "गौरतलब है कि ये वही तारीख है, जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लागू संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया था.


उसके बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. मोदी सरकार के इस कदम का पाकिस्तान ने पूरी दुनिया में पूरजोर तरीके से विरोध भी किया था और वह आज भी किसी भी मंच पर इसकी मुखालफत करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है. वहां निज़ाम भले ही बदल गया हो लेकिन जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को निरस्त करने पर वहां की सभी सियासी पार्टियां भारत के खिलाफ आज भी एकजुट ही नज़र आती हैं. हालांकि, भारत सरकार ने कश्मीर पर दावे को लेकर पाकिस्तान की हर मुहिम का दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत यानी संयुक्त राष्ट्र में भी ये कहते हुए हमेशा पुरजोर विरोध किया है कि जम्मू-कश्मीर,भारत का अभिन्न व अविभाज्य अंग है,जो हमेशा बना रहेगा.


दरअसल,जी-20 एक ऐसा संगठन है, जो दुनिया की आर्थिक सेहत पर सिर्फ चर्चा ही नहीं करता, बल्कि उसे बदलने की ताकत भी रखता है क्योंकि इसमें दुनिया की तमाम महाशक्तियां शामिल हैं. जी-20 सम्मेलन में प्रतिनिधि के तौर पर 19 देशों के प्रतिनिधि और  यूरोपीय संघ का एक प्रतिनिधि शामिल होता है. जबकि मंत्री स्तर की बैठकों में 19 देशों के वित्त मंत्री और यूरोपीय संघ के वित्त मंत्री के अलावा केंद्रीय बैंक के गवर्नर भी शामिल होते हैं. फिलहाल इस समूह के 20 सदस्य देश हैं - अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटैन, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ.हालांकि इसमें  स्पेन एक स्थायी अतिथि है,जिसे हर साल इस सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है. ये सभी सदस्य देश मिलकर दुनिया की जीडीपी की 85 फीसदी भागीदारी रखते हैं.


ये है पाकिस्तान के भड़कने की असली वजह
दरअसल, पाकिस्तान के भड़कने की वजह ये है कि केंद्र शासित प्रदेश वाले जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर समन्वय के लिए बीते गुरुवार को पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश में कहा गया है कि आवास एवं शहरी विकास के प्रधान सचिव समिति का नेतृत्व करेंगे, जिसका गठन विदेश मंत्रालय के 4 जून के पत्र के बाद किया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार द्विवेदी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, 'केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में होने वाली जी-20 बैठकों के समग्र समन्वय के लिए एक समिति के गठन को मंजूरी दी जाती है.' ये ख़बर पाकिस्तानी मीडिया में आते ही वहां की सरकार बौखला उठी और उसके विदेश मंत्रालय ने आनन-फानन में ये बयान जारी कर दिया कि पाकिस्तान इसे नकारता है. लेकिन पाकिस्तान में इतनी ताकत है कि वो भारत के इस फैसले को कहीं से बदलवा सके? 



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