एक्सप्लोरर

जी20 शिखर सम्मलेन: जलवायु परिवर्तन और भारतीय प्रयास 

भारत अभी विश्व कूटनीति के ना सिर्फ केंद्र में है, अपितु एक प्रभावशाली भूमिका को अंजाम भी दे रहा है, ताकि विकासशील और वैश्विक दक्षिण के देशों को साथ लेकर एक न्यायपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सहयोग का वातावरण बनाया जा सके. पिछले महीने BRICS समिट में इसके विस्तार और नयी कार्य शैली के प्रारूप विकसित करने में अपनी अहम सहभागिता सुनिश्चित करने के बाद अगले कुछ दिनों में शुरू हो रहे G20 के अध्यक्षीय बैठक की मेजबानी के लिए निर्धारित मुद्दों पर पूरी प्रतिबद्धता के साथ तैयार है. यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है जिसके तहत वह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के साथ जलवायु संकट के परिपेक्ष्य में प्रमुख देशों को साथ लेकर एक न्यायपूर्ण, तर्कसंगत वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिवर्तन के लिए सामूहिक समर्पण को मजबूत कर सकता है, साथ ही सतत विकास की ओर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आकार देने की दिशा में योगदान कर सकता है.

पिछले महीने संपन्न ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधि देशों के संगठन ब्रिक्स की पंद्रहवी बैठक जिसमें भारत की महती भागीदारी रही. जिसके घोषणा पत्र में जलवायु संकट के लिए जरुरी और सामूहिक पहल पर आम सहमति बनी. जिसमें क्षमताओं के अनुरूप समान परन्तु भिन्न उतरदायित्व के सिद्धांत (सीबीडीआर-आरसी) के अनुसार एक एक सहज, सुगम और दीर्घकालिक निम्न कार्बन और न्यून उत्सर्जन आधारित आर्थिक व्यवस्था  परिवर्तन की वकालत की गयी.  भारत दिसंबर 2022 में विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह, जो संयुक्त रूप से वैश्विक ग्रीनहाउस गैस का 75-80% उत्सर्जन करते हैं, की अध्यक्षता संभाली. उसी समय भारत ने अन्य प्रमुख मुद्दे के साथ जलवायु संकट को रेखांकित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और महामारियों के चुनौतियों का समाधान एक-दूसरे के खिलाफ लड़कर नहीं, बल्कि केवल साथ मिलकर ही किया जा सकता है.” आने वाले G20 शिखर सम्मेलन के प्रारूप में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट जैसे मुद्दों के प्रमुख रूप से शामिल होने का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.

भारत हमेशा से वैश्विक संगठनों में समयानुकूल और बदलते जरुरत के मुताबिक बदलाव का हामी रहा है ताकि सही मायने में सभी देशी और मानव समूहों को साथ लेकर आगे बढ़ा जा सके और इस क्रम में ब्रिक्स के हाल में हुए विस्तार को देखा जा सकता है जिसमें छह नए देश शामिल किये गए हैं. अर्जेंटीना और सऊदी अरब जो कि G-20 के भी सदस्य हैं के अलावा मिस्त्र, इथोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात का शामिल होना भारत के दीर्घकालिक आर्थिक और व्यापारिक आधार पर बहुध्रुवीय वर्ल्ड आर्डर की कूटनीति की बानगी है,जहाँ अब तक विकसित देशों के अनुरूप ही वैश्विक नीतियाँ बनायी जाती रही है. जलवायु संकट से लेकर आर्थिक और सामरिक स्तर पर विकसित देश के दृष्टिकोण अब तक प्रभावी होते आये हैं चाहे पेरिस समझौता हो, सतत विकास के लक्ष्य हो, विश्व व्यापार संगठन हो, या वर्ल्ड बैंक हो. या यूँ कहे कि साल दर साल जी-20 सहित अन्य प्लेटफार्म औद्योगिक और संपन्न देशों के अपने हितों के आह्वान का मंच बनते रहे हैं. 

पिछले एक साल में भारत की अगुआई में हुए जी-20 के अलग-अलग समूहों की बैठकों के घोषणा पत्र में प्रयोग की गई भाषा से ये स्पष्ट हो गया है कि विकासशील और पिछड़े देशों के हित के मुद्दे आम सहमति के बाद प्रमुखता से रखे गए हैं और इसी बात की वकालत पिछले महीने संपन्न ब्रिक्स के जोहान्सबर्ग घोषणापत्र में भी की गयी है. इस बार इन बैठकों में विकसित देशों के आर्थिक और जलवायु सम्बन्धी परंपरागत रुख को भी देखा जा सकता है, जो ब्रिक्स घोषणापत्र जैसा समावेशी तो नहीं पर भारत के मुखर रुख के कारण संतुलित जरुर बन पड़ा है. जोहान्सबर्ग घोषणापत्र में खुलकर विकसित देशों के अनुरूप जलवायु संकट से जुड़े मुद्दों पर पिछड़े देशों पर भेदभावपूर्ण व्यापार प्रतिबंधों पर रोक की मांग की गयी है. जहाँ पहले जलवायु संकट और पर्यावरण से जुड़े  मुद्दों पर बड़ी मुश्किल से ‘सामान परन्तु विभेदित जिम्मेदारी’ पर बात हो पाती थी, वही अब पिछड़े और विकासशील देश के आर्थिक क्षमता और राष्ट्रीय परिस्थिति को भी एक पैमाने के रूप में शामिल करने की कवायद है; क्षमता के अनुरूप सामान परन्तु विभेदित जिम्मेदारी का सिद्धांत (सीबीडीआर-आरसी) . 

G20 के बीस देशों में भारत सहित सात देश विस्तारित ब्रिक्स संगठन के भी सदस्य हैं, जिनका तमाम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों और जलवायु संकट पर रुख जोहान्सबर्ग घोषणापत्र में स्पष्ट है जो एक खुला, पारदर्शी, निष्पक्ष, पूर्वानुमानित, समावेशी, समरूपी, भेदभाव  रहित, और नियमों पर आधारित बहुपक्षीय वैश्विक प्रणाली  और विकासशील और पिछड़े देशों के लिए खास सहयोग की वकालत करता है. G20 शिखर सम्मलेन के तुरंत बाद COP28 की बैठक है,सभी प्रमुख देशों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान में हुई प्रगति की बार्षिक समीक्षा होनी है, जिसे ग्लोबल स्टॉक टेक भी कहते हैं. भारत ये चिंता स्पष्ट रूप से जताते आया है कि पिछले कुछ सालों का अनुभव जैसे वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध, स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वैश्विक प्रबंधन में विफलता हुई है. हालांकि वर्तमान परिपेक्ष्य में भारत सहित तमाम विकासशील ग्लोबल साउथ के देश आर्थिक प्रगति के ग्लोबल नार्थ वाले ही मॉडल अपना रहे हैं, या अपनाने को बाध्य हैं, जिनपे ऐतिहासिक रूप जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का इल्जाम है, पर भारत का प्रयास हमेशा से वैश्विक नीति निर्धारण की प्रक्रिया को समावेशी और ग्लोबल साउथ के परिपेक्ष्य वाला रहा है जो अभी भी गैर-बराबरी और विकसित देशों के हित साधने वाला ही है. 

पेरिस समझौते के अनुरूप भारत का जलवायु संकट से निबटने के लिए उठाये गए कदम जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान भी शामिल है वैश्विक स्तर पर सराहनीय रहे हैं.जिसमें 2070 तक शून्य उत्सर्जन, सकल घरेलू उत्पाद में उत्सर्जन तीव्रता 45% की कमी, 2030 तक आधी उर्जा गैर-परम्परागत उर्जा स्रोत और वनीकरण से 2.5-3 बिलियन टन कार्बन सिंक प्राप्त करने का लक्ष्य शामिल है. साथ ही भारत ने लाइफ (लाइफस्टाइल फार एनवायरनमेंट) और इंटरनेशनल सोलर एलाइनस जैसे महत्वकांक्षी पहल की है जो ना केवल जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए ही महत्वपूर्ण है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा समानता, पर्यावरण संवर्धन और सामाजिक और सतत विकास की विरोधाभासी चुनौतियों का समाधान करने के लिए भी है. इसमें कोई शक नहीं है कि भारत जलवायु संकट और पर्यावरणीय मुद्दों पर आंतरिक और बाहरी आलोचना का सामना कर रहा है, जिसमें अतिरिक्त कार्बन सिंक हासिल करने के लिए हाल में किये गए वन संरक्षण कानून में संशोधन और शून्य उत्सर्जन के दीर्घकालिक लक्ष्य शामिल है.

ऐतिहासिक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार देश, जो G-20 के भी सदस्य है, भारत के शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य की समयावधि में कमी चाहते है. इन विरोधाभासों के बावजूद भारत को पेरिस समझौते के अनुरूप अपने नेट शून्य उत्सर्जन हासिल करने की दिशा में किये गए प्रयासों, और नवीनीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तेज वृद्धि को तर्कसंगत रूप से अपनी सफलता के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए.भारत के ग्रीन हाइड्रोजन और जैव इंधन के विकास के दूरगामी प्रयासों को गोवा में हुए G20 के उर्जा सम्बन्धी बैठक में सराहा जा चुका है.  ये प्रयास G20 सदस्य देशों जिसमें अधिकांश ऐतिहासिक रूप से कार्बन उत्सर्जन और जलवायु संकट के जिम्मेदार है, के ऊपर एक नैतिक और कूटनीतिक बढ़त होगी. हालांकि ये आसान नहीं होगा, पर अगर भारत ऐसा कर पाया तो भारत को प्रौद्योगिकी साझा करने, क्षमता निर्माण और नवीनीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश के लिए बाकी देशो के साथ तालमेल बैठाना आसान हो जायेगा. 
 
इस लिहाज से जलवायु से जुड़े मुद्दों पर विकासशील और पिछड़े देशों का रुख भारत के नेतृत्व में होने वाले G20 शिखर सम्मलेन और वहाँ लिए जाने वाले सामूहिक निर्णयों को हद तक प्रभावित करेगा. अगले कुछ दिनों में होने वाले शिखर सम्मेलन भारत के लिए एक ऐतिहासिक मौका है ताकि लीक से हट के वैश्विक स्तर पर जलवायु संकट के लिए महत्पूर्ण न्यायपूर्ण ऊर्जा परिवर्तन के लिए प्रभावशाली देशों के बीच आम सहमति  बनायी जा सके और भारत ने इस प्रभावशाली समूह में ‘अफ्रीका संघ’ को भागीदारी का प्रस्ताव देकर अपने सभ्यतागत दृष्टिकोण ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को मुखर रूप से अंतरराष्ट्रीय पटल पर आगे बढाया है.  यह भारत के लिए विकसित और पिछड़े देशों के न्याय संगत विकास प्रक्रिया का नेतृत्व करने का अवसर है ताकि एक अधिक स्थायी, सतत और समर्पित भविष्य बनाने के कुछ जरुरी निर्णय लिए जा सके.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.] 

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

महाराष्ट्र के CM रेस में कौन आगे? एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बड़ा खुलासा, लिस्ट में कई दिग्गज
महाराष्ट्र के CM रेस में कौन आगे? एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बड़ा खुलासा, लिस्ट में कई दिग्गज
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
Shah Rukh Khan Death Threat: शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
Virender Sehwag Son: जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
ABP Premium

वीडियोज

Maharahstra assembly elections 2024: महाराष्ट्र की 47 सीटों के नए Exit Poll में महायुति को मिल रही 38+ सीटें | Elections 2024Arvind Kejriwal News: Delhi चुनाव से पहले शराब घोटाले में केजरीवाल को बड़ा झटका! | ABP NewsBJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?बाबा बागेश्वर की 'सनातन हिन्दू एकता' पदयात्रा शूरू | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
महाराष्ट्र के CM रेस में कौन आगे? एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बड़ा खुलासा, लिस्ट में कई दिग्गज
महाराष्ट्र के CM रेस में कौन आगे? एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बड़ा खुलासा, लिस्ट में कई दिग्गज
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
Shah Rukh Khan Death Threat: शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
Virender Sehwag Son: जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
हेयर कलर करने से तेजी में सफेद होने लगते हैं बाल, जानें क्या कहतें है एक्सरर्ट?
हेयर कलर करने से तेजी में सफेद होने लगते हैं बाल, जानें क्या कहतें है एक्सरर्ट?
कड़ाके की ठंड की होने वाली है एंट्री! यूपी-हरियाणा में घने कोहरे का अलर्ट तो इन 11 राज्यों में होगी भीषण बारिश
कड़ाके की ठंड की होने वाली है एंट्री! यूपी-हरियाणा में घने कोहरे का अलर्ट तो इन 11 राज्यों में होगी भीषण बारिश
ट्रंप का अमेरिका में मास डिपोर्टेशन का प्लान, लेकिन 1 करोड़ 10 लाख लोगों को निकालना नहीं आसान
ट्रंप का अमेरिका में मास डिपोर्टेशन का प्लान, लेकिन 1 करोड़ 10 लाख लोगों को निकालना नहीं आसान
Embed widget