देवकी हों या फिर यशोदा... गोरखपुर और आस पास के इलाक़ों में सबकी आंखें पथराई हैं.. हर मां का हाल बुरा है.. किसी का लल्ला नहीं रहा तो किसी के घर आँगन से रानी की किलकारी ग़ायब हो गई हैं.. किसी घर से राजू हमेशा के लिए बिछड़ गया तो किसी के लिए ख़ुशी ख़त्म हो गई.. सब का मन पत्थर हो गया है.


देश आज जन्माष्टमी मना रहा है... हर तरफ कन्हैया के नाम की धूम है.. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी आज रात गोरक्षधाम मंदिर में कृष्णाष्टमी के उत्सव में शामिल होंगे. माखन तो नहीं लेकिन कान्हा के बर्थ डे पर मंदिर में लड्डू तो ज़रूर बंटेंगे... लेकिन उसी वक़्त कई लाडले अपनी-अपनी मां को सपनों में रूला रहे होंगे.


कल सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में लोगों से इस पर्व को भव्यता से मनाने की अपील की थी, लेकिन योगी जी के अपने गोरखपुर की यशोदा और देवकी क्या करे? किस बात पर मनाये कन्हैया का जन्मोत्सव? कहां से लाये मौत को ढकेल कर ज़िंदगी जीने का नज़रिया और उतनी हिम्मत.


एक कहावत है भगवान से डरिए ... योगी जी, आप तो सन्यासी हैं ... जिसके लिए दुनिया बस माया है, मोह है और सब मिथ्या है.. लेकिन आप तो भगवान को मानते हैं .. बस उनकी ख़ातिर देवकी और यशोदा की लाज रख लीजिए... चंद सांसों के लिए कई पालने ख़ाली हो गए.. वही पालना जिस पर आज रात आप कान्हा को झूलाएंगे...गोरक्ष मंदिर में आधी रात को घंटी ख़ूब बजेंगे ..तो योगी जी उस सिस्टम की भी घंटी बजा दीजिए जिसने इतने बच्चों को लील लिया .. आप कहते रह गए 'अब एक्शन होगा' ... योगी जी कुछ करिए न! कम से कम आज की यशोदा और देवकी को लगे योगी जो कहते हैं वही करते हैं...