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गुजरात ने सबसे पहले शुरू किया 'एक देश, एक चालान' का प्रयोग

'एक देश, एक चालान' का आईडिया कुछ ऐसा है कि लोग इस पर आसानी से यकीन नहीं करेंगे कि आखिर ये कैसे संभव हो सकता है, लेकिन केंद्र सरकार के सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की इस मुहिम को गुजरात सरकार ने सबसे पहले अंजाम देने की शुरुआत कर दी है. जहां ट्रैफिक पुलिस और क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट विभाग यानी RTO एक ही प्लेटफार्म पर होंगे. इसे आसान भाषा में ऐसे समझिये कि अगर किसी दूसरे राज्य से अपना वाहन लेकर आप गुजरात में प्रवेश करते हैं और वहां किसी भी तरह के ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हैं,और कोई नहीं रोकता है तो आप तो यही मानेंगे कि आपने इन दोनों विभागों के आंखों में धूल झोंक दी है, लेकिन नहीं,अब आगे से ऐसा नहीं होगा बल्कि आपके मोबाइल पर चालान आ जायेगा कि आपने कब,कहाँ किस वक्त पर ट्रैफिक नियम का उल्लंघन किया है. गुजरात सरकार ने इसके लिए वर्चुअल कोर्ट बनाने की शुरुआत भी कर दी है.जल्द ही बाकी राज्यों में भी यही नियम सख्ती से लागू होने वाला है.

दरअसल, गुजरात सरकार ने भी इसका खुलासा वहां के हाई कोर्ट में किया है, जो एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी.उसमें ये मांग की गई थी कि राज्य में virtual traffic कोर्ट बनाने की सख्त जरूरत है. उसके जवाब में राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि 'One Nation One Challan’ की पहल के तहत इसे अंजाम देने की शुरुआत हो गई है. इसे यूं समझिये कि केंद्र सरकार ने ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ (RTO) को एक ही प्लेटफार्म पर लाकर नियमों का उल्लंघन करने वालों को पूरी तरह से दबोचने का इंतजाम कर दिया है.वे किसी भी तरह के चालान से बच नहीं सकते क्योंकि दोनों विभागों के बीच ऐसे वाहन और उसके मालिक से जुड़ी तमाम जानकारी साझा होती रहेगी.

केंद्र सरकार ऐसी एकीकृत व्यवस्था बना रही है कि अपना वाहन लेकर अपने राज्य से कहीं बाहर जाते हैं और वहां किसी भी तरह के ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करते हैं तो वह CCTV network में कैद हो जायेगा. इसके साथ ही वाहन (VAHAN) एप्लिकेशन के जरिये ये पता लग जायेगा कि इस रजिस्ट्रेशन नंबर के वाहन का मालिक कौन है और साथ ही SARATHI एप्प ये भी बता देगा कि उस वाहन का लाइसेंस किसके नाम पर जारी हुआ है. उसके बाद तय जुर्माने की रकम के आधार पर ई चालान बनेगा ,जो कि नियम का उल्लंघन करने वाले वाहन मालिक के मोबाइल पर आ जायेगा.फिलहाल गुजरात के तीन शहरों-अहमदाबाद,राजकोट और सूरत में बीती 16 जनवरी से इस नए नियम को लागू कर दिया गया है. साथ ही जल्द ही वडोदरा में भी इसकी शुरुआत होने वाली है, लेकिन सवाल ये है कि इस नए सिस्टम से दूसरे राज्यों में जाकर नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन मालिक आखिर पकड़ में कैसे आएंगे.अहमदाबाद की ट्रेफिक पुलिस के डीसीपी सफीन हसन इसका जवाब देते हैं कि CCTV network होने के बावजूद फिलहाल तक ऐसा कोई तरीका नहीं था कि दूसरे राज्यों से आने वाले ऐसे वाहन मालिक के खिलाफ कार्रवाई आखिर कैसे की जाए. ऐसा इसलिए था क्योंकि अभी तक ऐसे डाटा का कोई एकीकरण ही नहीं हुआ था, लेकिन अब National Informatics Centre (NIC) के सर्वर के सहयोग से ट्रेफिक पुलिस और सभी राज्यों के RTO का डाटा एक ही जगह उपलब्ध होगा. वह मिसाल देते हैं कि मान लीजिऐ कि कोई वाहन छत्तीसगढ़ से अहमदाबाद में आकर किसी नियम का उल्लंघन करता है और वो CCTV में कैद हो जाता है तो उस वाहन के मालिक के बारे में सारी जानकारी एक क्लिक पर ही लोकल पुलिस के सामने होगी. 

अभी तक तो मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिए ही ई-चालान भेजा जाता था, लेकिन अब NIC इसके लिए अलग से एक एप्प लांच कर रहा है. अगर कोई वाहन मालिक 90 दिन के भीतर चालान की रकम का भुगतान नहीं करता है तो वह चालान खुद ब खुद virtual court  में ट्रांसफर हो जायेगा और उसके मुताबिक आगे की कार्यवाही होगी. दोषी वाहन मालिक के मोबाइल पर सम्मन भेजा जायेगा. इसके बाद अगर फिर भी उसने जुर्माने की रकम अदा नहीं की,तो कोर्ट उसके खिलाफ कानूनी प्रावधानों के मुताबिक कार्यवाही करेगी.

दरअसल, Virtual courts बनाने का मकसद ये है कि अदालतों  में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन से जुड़े मामलों की भीड़भाड़ कम हो. ऐसे मामलों का दोषी व्यक्ति अपने केस की जानकारी virtual courts की website पर जाकर देख सकता है. अगर उसने चालान के अनुसार जुर्माने की रकम अदा कर दी है तो वहां पता लग जाएगा कि उसका केस खत्म हो गया है. फिलहाल अहमदाबाद में ऐसी एक virtual court बनाई गई है, लेकिन धीरे-धीरे राज्य के हर बड़े शहर में ऐसी कोर्ट देखने को मिलेंगी. हाइकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि अकेले सूरत शहर में ही अप्रैल 2013 से लेकर अगस्त 2020 तक 49 लाख ई चालान हुए हैं.इनके जुर्माने की रकम करीब 136 करोड़ रुपये है, जबकि अब तक महज 14 करोड़ रुपये ही वसूले जा सके हैं.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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