हम लोग पहले सुनते थे हेरोइन, मारिजुआना, अफीम, कोकीन जैसे ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के लिए तस्कर पाकिस्तान या बांग्लादेश की सीमा का इस्तेमाल करते थे. आम तौर पर लोग तस्करी को नशीले पदार्थ और अवैध हथियारों की सप्लाई से जोड़ते थे. लेकिन हाल के वर्षों में तस्करों ने इस सूची में कई अजीबोगरीब चीजें जोड़ ली है. इनमें इंसानी बाल, सांप और उनका जहर तो शामिल है ही, तस्कर पूर्वी सीमा से जुड़े इलाकों के जरिए बड़े पैमाने पर फेंसिडिल जैसे कफ सिरप की तस्करी कर रहे हैं.
तमाम चौकसी के बावजूद भारी संख्या में तस्कर पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ भारत से लगी सीमाओं पर सक्रिय हैं. सुरक्षा बलों के लिए ज्यादा सिरदर्द इसलिए भी हो गया है कि ये तस्कर अब नए-नए सामानों की तस्करी अब नए-नए तरीकों के जरिए कर रहे हैं. जानवर, आभूषण और मारिजुआना जैसे सामानों की तस्करी तो पहले से ही आम बात रही है. लेकिन अब तस्कर सुरक्षा बलों को चकमा देने के लिए न सिर्फ़ नए तरीकों और नए रूटों का इस्तेमाल कर रहे हैं, बल्कि तस्करी के परंपरागत सामानों के बदले नए-नए सामान को अपनी सूची में जोड़ते जा रहे हैं.
पिछले दो साल में भारत के पूर्वी सीमा पर इंसानी बाल, सांप के जहर और फेंसिडिल कफ सिरप की तस्करी के मामले तेजी से बढ़े हैं. इसी साल 6 जनवरी को मेघालय में काकरगोरा चौकी पर सीमा सुरक्षा बल (BSF)ने बांग्लादेश को भेजे जाने वाले 300 किलोग्राम इंसानी बाल जब्त किए थे. अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक जनवरी और फरवरी के महीने में 14 सौ से ज्यादा तस्करों को सुरक्षा बलों ने पकड़ा था.
नए तरीकों की बात करें तो तस्कर पंजाब सीमा पर तस्करी के लिए ड्रोन की मदद ले रहे हैं. वे ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से हेरोइन और अवैध हथियारों को सीमा के भीतर ड्राप करते हैं. दिसंबर में फाजिल्का की पुलिस टीम ने पाकिस्तान से करीब तीन किलो हेरोइन और हथियार लाने वाले 4 लोगों को गिरफ्तार किया था.
पंजाब सीमा पर तस्करी के लिए वाट्सऐप कालिंग का इस्तेमाल किया जाता है. भारत में बैठे तस्कर वाट्सऐप कालिंग कर पाकिस्तानी तस्करों के संपर्क साधते हैं. बाद में सीमा पार से हेरोइन, हथियार, जैसे सामान ड्रोन के जरिए भारत की सीमा में डंप कर दिया जाता है. तस्करों को पहले से पता होता है कि ड्रोन के जरिए तस्करी का सामान कहां गिरने वाला है और वहां से उन सामानों को कलेक्ट कर फिर रेलवे लाइन और पुल के पास इंतजार कर रहे लोगों के जरिए आगे बढ़ा दिया जाता है. ड्रोन के जरिए पंजाब सीमा पर इस तरह की तस्करी का पहला मामला 2019 में सामने आया था. 2021-22 में इस तरह की घटनाओं में तेजी से इजाफा देखा गया.
अगर बात करें पूर्वी सीमा की, तो उधर इंसानी बाल, सांप के जहर और कफ सिरप की तस्करी के मामले बढ़े हैं. इस तरह के गैर-कानूनी कारोबार को चीन से भी अंजाम दिया जाता है. फरवरी 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने एक मामले का खुलासा किया था, जिसमें कहा गया था कि अवैध जमीनी रास्तों से इंसानी बालों की तस्करी कर करोड़ों रुपयों की कमाई की जा रही थी. हवाला रैकेट के भी तार इससे जुड़े हुए थे. भारत से हजारों करोड़ रुपये के इंसानी बालों को अवैध तरीके से चीन भेजा जा रहा था और प्रर्वतन निदेशालय यानी ED ने तस्करी के इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया था.
भारत-बांग्लादेश सीमा पर इंसानी बालों की तस्करी बीएसएफ के लिए चुनौती बनते जा रही है. 2021 में सुरक्षा बलों ने बांग्लादेश सीमा पर 400 किलो से ज्यादा का इंसानी बाल जब्त किए थे. तस्कर इंसानी बालों को जमा करने में कचरा बीनने वालों का भी इस्तेमाल करते हैं. देशभर में कचरा बीनने वालों से इंसानी बाल जमा करवाया जाता है और फिर एंजेटों और बिचौलियों के जरिए पूर्वी सीमा से लगे इलाकों खासकर पश्चिम बंगाल में पहुंचाए जाते हैं. चीन में नकली बाल या विग की बहुंत मांग है और पूर्वी सीमा से तस्करी कर बड़े पैमाने पर इंसानी बाल पहले बांग्लादेश पहुंचाए जाते हैं और वहां से ये बाल चीन भेजे जाते हैं.
दरअसल इंसानी बालों की मांग विग इंडस्ट्री (hair wigs) में काफी है. वैश्विक स्तर पर 2021 में नकली बाल या विग का बाजार 6 अरब डॉलर से ज्यादा का था और अमेरिका के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें हर बाजार में हर साल 8 फीसदी की दर से वृद्धि होने का अनुमान है. लंबे बालो का इस्तेमाल महिलाओं के लिए विग और बाल एक्सटेंशन बनाने के लिए किया जाता है. वहीं छोटे बालों का इस्तेमाल पुरुषों के लिए विग बनाने और खिलौनों में नकली बाल बनाने के लिए किया जाता है.
भारत की बांग्लादेश के साथ 4096.7 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा है. पहले तस्कर इन इलाकों का इस्तेमाल पशुओं की तस्करी के लिए ज्यादा करते थे. 2018 से 2022 के बीच सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही बीएसएफ ने तस्करों से एक लाख से ज्यादा पशुओं को जब्त किया था. लेकिन हाल फिलहाल में इन इलाकों से इंसानी बालों की तस्करी काफी बढ़ गई है. तस्कर 2021 से बांग्लादेश को इसानी बालों की तस्करी के लिए ट्रांजिट प्वांइट की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं. वहां से इन इंसानी बालों को चीन और ताइवान भेज दिया जाता है.
उसी तरह से भारत से बड़े पैमाने पर बांग्लादेश से लगी सीमाओं के जरिए खांसी की दवा यानी कफ सिरप की तस्करी के मामले भी बढ़े हैं. इनकी मांग बांग्लादेश में काफी है. जो लोग शराब नहीं पीते हैं, वे कफ सिरप को नशा के लिए इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि बांग्लादेश में इन कफ सिरप की तस्करी भारत से हो रही है.
अगर बात करें सांपों और उसके जहर की, तो इसका एंटी वेनम दवा बनाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. कीमती सांपों और उनके जहर की तस्करी का एक पूरा अंतरराष्ट्रीय रैकेट है. चीन, नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत में सांपों और उनके जहर की तस्करी की जाती है. तस्करी के लिए ऐसे रास्तों का इस्तेमाल किया जाता है जिनके बारे में पहले से सुरक्षा बलों को ज्यादा अंदाजा नहीं होता है. नगालैंड, अरुणालच प्रदेश और पश्चिम बंगाल से होते हुए ये सामान भारत के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाया जाता है.
सांपों और उनके जहर की तस्करी में उन लोगों को शामिल किया जाता है, जो एक-दूसरे से बिल्कुल अंजान होते हैं. फोन के जरिए वे आपस में एक-दूसरे से संपर्क साधते हैं और सामान को एक-स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाते रहते हैं. इस काम के बड़े पैमाने पर महिलाओं को भी लालच देकर इस्तेमाल किया जाता है. तस्करी के लिए नए-नए परिवहन के साधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, बानगी के तौर पर ट्रेन. सांपों के साथ-साथ मकड़ी और छिपकली की भी तस्करी की जा रही है.
ऐसे पश्चिमी और पूर्वी दोनों फ्रंट पर भारतीय सुरक्षा बल लगातार इन तस्करी को रोकने के लिए पेट्रोलिंग जैसी तमाम गतिविधियां अपनाते रहते हैं. सीमावर्ती इलाकों में चौकसी भी बढ़ा दी गई है. लेकिन तस्करों ने जिस तरह से नए-नए तरीके और रूट के साथ ही तस्करी की सूची में नए-नए सामानों को जोड़ लिया है, उससे सुरक्षा बलों का सिरदर्द बढ़ गया है.
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