बुलडोज़र एक्शन, UCC के बीच हल्द्वानी में भड़का ग़ुस्सा, क्या कर रहा इशारा
उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर के हालात ठीक नहीं हैं। यहां मदरसे पर बुलडोजर एक्शन को लेकर भड़की हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. गुरुवार यानी 8 फरवरी को जब पुलिस-प्रशासन की टीम कार्रवाई के लिए बनभूलपुरा क्षेत्र में बने मदरसे और मस्जिद को हटाने के लिए पहुंची तो स्थानीय लोगों ने विरोध जताया और पथराव शुरू कर दिया. भीड़ ने मकानों-दुकानों में तोड़फोड़, आगजनी और गोलीबारी की घटनाओं को अंजाम दिया. बढ़ते उत्पात को देखते हुए दंगाइयों को देखते ही गोली मारने यानी 'शूट एट साइट' का आदेश जारी कर दिया गया. इस घटना के बाद से शहर में माहौल तनाव का है. वहां स्कूल को भी बंद कर दिया गया है और वहां की जिलाधिकारी ने अपने बयान में कहा है कि भीड़ ने राज्य की मशीनरी को चुनौती दी और यह पूर्व-नियोजित हमला था.
मुसलमान लें कुछ सीख
हलद्वानी में हुई यह घटना निश्चित तौर पर मुसलमानों का गुस्सा है और इसके पीछे मुस्लिमों के मौलाना-मौलवी हैं. जो कट्टरपंथ का प्रभाव इन दिनों मुसलमानों पर पड़ा है, यह घटना उसी का नतीजा है. देश में विकास के लिए जितने भी काम किए जा रहे है और अवैध ढंग से बनाए गए मदरसे या मजार या ऐसी चीजों को हटाने का प्रयास किया होता है तो इस तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिलती है. इसके पीछे मुसलमानों की मदरसा संस्कृति, मदरसा शिक्षा संस्कृति है, जिसके नाम पर कट्टरपंथी विचार बच्चों में प्रचारित किया जा रहा है. आम मुसलमान आधुनिक शिक्षा, आधुनिक समाज व्यवस्था, आधुनिक कानून व्यवस्था और लोकतंत्र के तकाजों को समझने में परेशानी महसूस करता है.
कुरान के प्रति मुसलमानों का समर्पण जायज है लेकिन यदि किसी से पूछा जाए तो वो संवैधानिक कानून के बजाय इस्लामिक कानून को ज्यादा पसंद करते है. कोई खुल कर इसपर बात नहीं करता लेकिन मुस्लिम समाज में इस तरह की भावना देखी जाती है. जब पाकिस्तान में तीन तालाक कानून की व्यवस्था नहीं है, तो भारत में इसे लेकर समर्थन भाव क्यों देखने को मिल रहा था.
मदरसों को लेकर रहें सावधान
देश भर में जितने भी रजिस्टर्ड मदरसा चल रहे हैं, उतनी ही संख्या में गैरकानूनी मदरसे भी चल रहे हैं, जिसमें सीधे-सीधे अवैध रूप से पैसे का प्रवाह किया जाता है. वहां कैसी शिक्षा व्यवस्था है इससे सरकार विल्कुल अछूती रही है, सरकार को कुछ पता ही नहीं है कि वहां किस चीज की शिक्षा दी जा रही है, तो इन सारी चीजों को व्यवस्थित करना बेहद जरूरी है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में भी ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले. बिहार में भी ऐसा देखने को मिला. वहां मौजूद सम्राट अशोक का शिलालेख और उनके स्मारक को मजार में बदल कर पैसे की वसूली की जा रही थी. ये समस्या के जड़ में है.
पहले अचानक से किसी इमारत को मजार घोषित किया जाता है और अपने धार्मिक आगोश में जमीन को, संपत्ति को नये कंस्ट्रक्शन को खड़ा कर धार्मिक जामा पहनाते हैं और वो संपत्ति बाद में वक्फ की हो जाती है. इस्लाम के नाम पर पूरा घेटो सिस्टम तैयार किया जाता है, ये दुखद है. भारत में अभी तक जितनी भी सरकारें रहीं है वो धार्मिक तुष्टीकरण की राजनीति करती रही है. इसकी आड़ में समाजिक न्याय की धार को कुंद करने का काम किया गया है. देश में सामाजिक न्याय के प्रचार-प्रसार और सामाजिक न्याय पर आधारित भागीदारी की व्यवस्था लागू करने में तुष्टीकरण की राजनीति बाधक रही है.
मुसलमानों को किया गुमराह
विपक्षी पार्टियां और कुछ खास दल इस समुदाय यानी मुसलमानों का राजनीति के टूल के प्रकार में प्रयोग करते है. वे कई बार यूपी के बुलडोजर का उदाहरण देते हैं. वे नहीं बताते कि उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कानून व्यवस्था का प्रतीक है, बुलडोजर सारी जगहों पर नहीं बल्कि अवैध जगहों पर चलाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर हुआ, लेकिन सिर्फ मुसलमानों का एनकाउंटर नहीं किया गया, उसमें हिंदू अपराधी भी शामिल थे. जिनको यह लगता है कि सिर्फ मुस्लिमों द्वारा बनायी गयी अवैध संपत्ति को ध्वस्त किया जा रहा है तो ऐसा नहीं है, उत्तर प्रदेश में निर्माण के दौरान हिंदू और दूसरे धर्म के लोगों द्वारा किए गए अवैध कंस्ट्रक्शन को भी या तो तोड़ा गया या फिर दूसरी जगह ले जाया गया है.
भारत की पक्ष-विपक्ष की राजनीति, कांग्रेस एक गिरोह की तरह संचालित करने की कोशिश करती रही है. हाल के दिनों में राहुल गांधी ने जिस तरह से जाति को लेकर कहा तकि जाति जनगणना कराएंगे, वो ये कह रहे है कि 50 प्रतिशत का कैप हटाएंगे. आजादी के बाद से सोशल जस्टिस के इस पूरे कोर्स में कांग्रेस हमेशा से ही कठघरे में रही है. आज कांगेस चाहती है कि वो अपने वोट बैंक जो कि उनके हाथ से फिसलती जा रही है, सामाजिक न्याय की चाशनी में जाति को पेश कर राहुल गांधी खुद का बचाव कर रहे है.
टूट गया है धर्मनिरपेक्षता का छद्मजाल
इस तरह धर्मनिरपेक्षता का तानाबाना, राजनीतिक मायाजाल भी ध्वस्त होता हुआ नजर आ रहा है. राहुल गांधी मुसलमानों के घेटो में घुसते जा रहे है और ये देश के खिलाफ साजिश है, लोकतंत्र के साथ साजिश है, जिसे निश्चित तौर पर ध्वस्त करना होगा. जहां तक उत्तर प्रदेश में या उत्तराखंड या कहीं भी जो कुछ भी हो रहा है, यदि वो गैरकानूनी है तो कोर्ट में जाने के लिए सभी स्वतंत्र है. इस देश में जितने भी अवैध निर्माण हैं, उनको या तो ध्वस्त होना चाहिए या फिर रिलोकेट होना चाहिए. मुसलमानों द्वारा, इस्लाम के नाम पर इस तरह के मजार और मदरसे अवैध ढंग से देश भर में निर्मित किए गए है, बाद में वो उसे वक्फ की संपत्ति घोषित कर देते है. इस देश में जितने भी अवैध निर्माण है, उनको या तो ध्वस्त होना चाहिए या फिर रिलोकेट होना चाहिए.
आने वाले समय में ये एक प्रकार की चुनौती है, इस देश की सरकार को आने वाले समय में निश्चित तौर पर पूरे वक्फ बोर्ड को, जो अपने आप में एक स्कैंडल है, जमीन और संपत्ति को कब्जाने की साजिश है, इस पर भी गंभीरता से जांच होनी चाहिए और इसका खुलासा होना चाहिए. अब से इस तरह के धार्मिक कंस्ट्रक्शन जो होते हैं, उनको जिला प्रशासन से या निबंधन का कोई भी तरीका तो लेना ही चाहिए. उनकी अनुमति कहीं से मिले और उस जमीन को सरकार चुने कि वह धार्मिक निर्माण के लिए उपयुक्त है कि नहीं. ये ध्वस्त हो रहे हैं, ये तो अच्छी बात है, लेकिन जो हजारों-लाखों निर्माण हैं, उस पर भी सरकार को सोचना चाहिए.
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