Harbhajan Singh Join Congress: हमारे देश की राजनीति (Politics) अक्सर फिल्मी (Film) व क्रिकेट (Cricket) सितारों के ग्लैमर से जगमगाती रही है. पहले भी कुछ हस्तियों ने अपना पेशा छोड़कर सियासत में किस्मत आजमाई है जिनमें कुछ कामयाबी के शिखर तक पहुंचे, तो कुछ नाकामयाब होकर हाशिये पर चले गए. अपने जमाने में मशहूर क्रिकेटर रहे चेतन चौहान (Chetan Chauhan) और कीर्ति आजाद (Kirti Azad) लोकसभा के चुनावी-मैदान में कूदकर बीजेपी (BJP) को जीत दिला चुके हैं, तो मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) यूपीए सरकार में नामित सदस्य के रुप में राज्यसभा की शोभा बढ़ा चुके हैं.


लेकिन अब पंजाब चुनाव में कांग्रेस ने मशहूर स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) को मैदान में उतारने की रणनीति के तहत विरोधियों पर गुगली फेंकने की सोच रखी है. हालांकि, फिलहाल कांग्रेस (Congress) या हरभजन सिंह ने इसका औपचारिक एलान नहीं किया है लेकिन चुनाव से ऐन पहले उनके क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा से साफ है कि सब कुछ तय हो चुका है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि मौजूदा सियासी माहौल में पंजाब की जनता उन्हें किस हद तक सर आंखों पर बैठाती है? कांग्रेस के सियासी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी उन्हें जालंधर से चुनाव लड़ाने की तैयारी में है और हो सकता है कि अपनी शख्सियत के दम पर वे जीत भी जायें लेकिन पूरे पंजाब में कांग्रेस को इसका कितना सियासी फायदा होगा, इसका अनुमान लगाना फिलहाल मुश्किल है.


लेकिन, पुराने क्रिकेटर रहे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को दाद इसलिये दी जानी चाहिए कि आखिरकार उन्होंने भज्जी को कांग्रेस का हाथ थामने के लिए मना ही लिया. वह इसलिये कि इससे पहले बीजेपी और अकाली दल भी उन्हें पार्टी में शामिल होने का न्योता दे चुके थे लेकिन तब हरभजन ने उसे ठुकरा दिया था. बीती 15 दिसंबर को सिद्धू और हरभजन की लंबी मुलाकात हुई थी जिसमें उन्होंने भज्जी को कांग्रेस में शामिल होने के फायदे गिनाते हुए अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने के वास्ते राजी कर लिया . उस मुलाकात के बाद उन्होंने हरभजन के साथ एक फोटो ट्वीट की थी. सिद्धू ने लिखा था, ''संभावनाओं से भरी हुई तस्वीर. भज्जी, चमकते सितारे के साथ.''


बाद में मीडिया ने जब उस तस्वीर के बारे में सवाल किया, तब सिद्धू ने कहा था कि "मेरी बात सुनिए, यह तस्वीर सब कुछ बयां करती है. मैंने कहा, संभावनाओं से भरा, उसकी कई संभावनाएं हैं और वे संभव हैं." जाहिर है कि भज्जी की 'हां' कहने के बाद ही सिद्धू ने वह तस्वीर ट्वीट करके उनके कांग्रेस में शामिल होने के कयासों को बल दिया था. लेकिन तब इन कयासों पर हरभजन सिंह ने कहा था कि "राजनीति में आने जैसा कुछ नहीं है. हम एक ही शहर में थे इसलिए मैंने शिष्टाचार के नाते मुलाकात करने का फैसला किया. शेरी पा (नवजोत सिंह सिद्धू) दूसरों के लिए राजनेता हो सकते हैं, लेकिन मेरे लिए वह एक सम्मानित और वरिष्ठ क्रिकेटर हैं."


वैसे बताते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने हरभजन सिंह को अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से उतारने की कोशिश की थी. उस समय पार्टी के एक बड़े नेता ने उनसे बातचीत की थी जिसे भज्जी ने स्वीकार किया था लेकिन साथ ही ये भी साफ कर दिया था, "वह इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं है कि यह उनके राजनीति में आने का सही समय है या नहीं." लिहाज़ा, बीजेपी से उनकी बात नहीं बनी और तब मौजूदा केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पार्टी ने अमृतसर से अपना उम्मीदवार बनाया था. विदेश-सेवा से राजनीति में कूदे हरदीप पुरी को तब अमृतसर की जनता ने 99 हजार से भी ज्यादा वोटों से हरा दिया था.


वैसे सच तो ये है कि काफी दिनों से आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस के लिए इस बार पंजाब में चुनौती काफी बड़ी है. एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक पार्टी-बीजेपी का गठबंधन है तो दूसरी तरफ  तीसरी ताकत बनकर उभरी आम आदमी पार्टी (आप) भी कांग्रेस से सत्ता छीनने के लिए पूरे दमखम से मैदान में हैं. इसके अलावा अकाली दल-बीएसपी का गठबंध भी चुनावी अखाड़े में हैं. ऐसे में, देखना ये है कि भज्जी का ग्लैमर कांग्रेस का किला बचाने में किस हद तक कामयाब हो पायेगा?


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