सुबह सवेरे मस्जिदों के लाउडस्पीकर से अज़ान की आवाज़ का विरोध करने वाली हरियाणा की बीजेपी सरकार ने एक नया फ़रमान जारी किया है. अगले दो-ढाई महीने तक वहां के मंदिरों-मस्जिदों-गुरुद्वारों और गिरजाघरों के लाउडस्पीकर से सुबह साढ़े चार बजे मास अलार्म बजाया जाएगा. इसका मकसद उन बच्चों को पढ़ाई के लिए जगाना है, जो अगले साल 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने वाले हैं.
हरियाणा के शिक्षा विभाग के इस फ़रमान को बेतुका बताते हुए इसकी तीखी आलोचना हो रही है. इसलिये कि मास अलार्म सिर्फ बच्चों को नहीं बल्कि सबको सुनाई देगा, लिहाजा बाकी लोगों की नींद में खलल डालने और उन्हें जबरदस्ती जागने पर मजबूर करने का किसी भी सरकार को कोई अधिकार नहीं है. ये नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लघंन है.
शिक्षा विभाग ने निर्देश में क्या कहा?
दरअसल, बीती 22 दिसंबर को प्रधानाचार्यों को जारी निर्देश में शिक्षा विभाग ने कहा है, 'पंचायतों के नवनिर्वाचित सदस्यों से आग्रह किया जाए कि वे इस तरह के प्रयास करें कि गांवों में सुबह के समय पढ़ाई का माहौल बने. मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से सुबह की घोषणाओं (लाउडस्पीकर के माध्यम से) के लिए संपर्क किया जाना चाहिए, ताकि छात्र जागकर पढ़ाई शुरू कर सकें. इस पहल से छात्रों को पढ़ाई के लिए 2-3 घंटे अतिरिक्त मिलने की उम्मीद है.' निर्देश जारी करने वाले माध्यमिक शिक्षा निदेशक अंशज सिंह ने इस फैसले को लागू करने के लिए बड़ी अजीबोगरीब दलील दी है.
माध्यमिक शिक्षा निदेश की अजीबोगरीब दलील
उनके मुताबिक बोर्ड परीक्षाओं के लिए सिर्फ 70 दिन बचे रह गए हैं. चूंकि इस साल स्कूलों में वर्कशॉप, ट्रेनिंग और स्पेशल इंवेट हो रहे थे. हमने स्कूल रेशनलाइजेशन और सामान्य ट्रांसफर के माध्यम से सरकारी स्कूलों में संसाधनों के उपयोग में कमी को दूर करने की कोशिश की, जिससे पढ़ाने के घंटे लगभग 6 हफ्ते कम हो गए. इसे कवर करने की जरूरत है इसलिए हमने इन उपायों की सिफारिश की है, ताकि छात्र परीक्षा के लिए अच्छी तरह से तैयार हो सकें.
माता-पिता को भी बच्चों को उठाने के लिए कहा गया
राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल को भेजे गये इस पत्र के अनुसार, 'इसके लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है, जब मन तरोताजा होता है, वातावरण शांत होता है और वाहनों का शोर भी नहीं होता है और इसके लिए शिक्षकों को माता-पिता से अपने बच्चों को सुबह 4:30 बजे जगाने के लिए कहना चाहिए. माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे सुबह 5:15 बजे तक पढ़ने के लिए बैठ जाएं. वॉट्सऐप के जरिये शिक्षक पूछताछ करें कि छात्र जाग गए हैं और पढ़ाई कर रहे हैं या नहीं. अगर अभिभावक सहयोग नहीं कर रहे हैं तो इसे विद्यालय प्रबंधन समिति के संज्ञान में लाया जाए.'
SC की गाइडलाइन्स का उल्लंगन है ये फैसला!
हरियाणा सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स का भी उल्लंघन माना जा रहा है, जिसमें रात 10 बजे से सुबह 7 बजे तक लाउड स्पीकर के इस्तेमाल की मनाही है. धार्मिक स्थलों में सुबह-सवेरे के भजन-कीर्तन के लिए अगर इसका इस्तेमाल होता भी है तो उसके लिए भी नियम है कि उसकी आवाज कितने डेसिबल से अधिक नहीं होगी. लेकिन हरियाणा सरकार के इस फैसले से साफ है कि बच्चों को जगाने के लिए तेज आवाज में ही मास अलार्म बजाया जाएगा, जो कि शीर्ष अदालत की अवमानना होगी.
हालांकि सरकार के इस बेतुके फ़रमान के खिलाफ फिलहाल किसी ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है लेकिन ऐसा होने पर खट्टर सरकार की फजीहत होना तय है और उसे ये फैसला वापस लेने पर मजबूर होना पड़ेगा.
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