2019 लोकसभा चुनावों के पांच महीनों बाद देश के दो राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं। 23 मई 2019 के बाद ये देश में हुए पहले बड़े चुनाव थे, जिसके नतीजे वैसे नहीं हैं जिसकी संभावना जताई जा रही थी। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने 5 साल बाद सत्ता में दोबारा वापसी कर ली है। हालांकि महाराष्ट्र में दो तिहाई बहुमत हासिल करने का दावा करने वाला भाजपा-शिवसेना गठबंधन पहले के मुकाबले कम सीटें ही हासिल कर पाया है लेकिन हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में दोबारा वापसी की आस लगाए बैठी भाजपा को बड़ा झटका लगा है। यहां सबसे बड़ी पार्टी के तौर उभरने के बाद भी विधानसभा में बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई।
वहीं, उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे भी सामने आ गए हैं, जिसमें भाजपा और सहयोगी अपना दल के खाते में 8 सीटें जबकि सपा को 3 सीटों पर जीत मिली है। उपचुनाव में बसपा और कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका। अगर उपचुनाव के नतीजों को ही सरकार के कामकाज का पैमाना माना जाये तो 11 में से 8 सीटें जीतने वाली भाजपा इस परीक्षा में अव्वल आई है। भाजपा को उपचुनाव के नतीजों से वैसे तो कोई फर्क नहीं पड़ना था फिर भी पार्टी हर सीट पर मजबूती से लड़ी लेकिन जिस विपक्ष को इन नतीजों से फर्क पड़ना था, उसने उपचुनाव को सिर्फ रवायत ही माना और अब नतीजे सपा बसपा और कांग्रेस के सामने हैं।
उपचुनाव के नतीजों के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा रायबरेली में थीं। प्रियंका वाड्रा ने गंगोह सीट पर मतगणना के दौरान गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की।
चुनाव नतीजों में भाजपा को बड़ा झटका हरियाणा में लगा है जहां पहली बार मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में 5 साल पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने के बाद दोबारा मैदान में उतरी भाजपा सिर्फ 40 सीटें ही हासिल कर पाई। हरियाणा में जो कांग्रेस पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हारकर हाशिये पर जा पहुंची थी उसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ना सिर्फ जिंदा कर दिया बल्कि सरकार बनाने की दौड़ में भी शामिल करा दिया है। कांग्रेस ने हरियाणा में 31 सीटें हासिल की हैं, जबकि चौटाला परिवार का नया चेहरा दुष्यंत चौटाला 10 सीटें जीतने में कामयाब हो गए हैं। हरियाणा में निर्दलियों और अन्य ने 9 सीटें हासिल की हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा ने नारा दिया था। 'अबकी बार 75 पार' लेकिन जब नतीजे आए तो पार्टी सिर्फ 40 सीटें जीतकर बहुमत से दूर खड़ी है। भाजपा के दिग्गज नेता और अखाड़े के वो बड़े-बड़े पहलवान जिनपर भाजपा ने इस चुनाव में दांव लगाया वो सब चारो खाने चित हो गए। दरअसल, भाजपा ने चुनाव मैदान में तो जमीनी नेताओं पर सितारों को तरजीह दी ही, प्रचार के दौरान भी कार्यकर्ताओं की बजाय सिर्फ सेलेब्रिटिज के ही भरोसे रही जिसका नतीजा ये हुआ कि खट्टर सरकार के कई मंत्रियों के अलावा नामी चेहरे भी हार गए।
हरियाणा में जिस तरह के नतीजे सामने आए हैं उससे बहुमत का पेच फंसता दिख रहा है। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है, लेकिन हरियाणा विधानसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। भाजपा को 40 सीटें हासिल करके भी बहुमत से दूर है जबकि भूपेंद्र हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस ने 31 सीटें और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के खाते में 10 सीटें आई हैं। जबकि 9 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है ऐसे में हरियाणा में दुष्यंत चौटाला किंग मेकर बनकर उभरे हैं। जिसके बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों दुष्यंत के संपर्क में हैं लेकिन दुष्यंत चौटाला खुद मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी पेश करते दिख रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस की असरदार वापसी करवाने वाले कांग्रेस नेता भूपेंदर सिंह हुड्डा ने नतीजों को खट्टर सरकार के खिलाफ जनादेश बताया है और भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए सभी दलों से एक साथ आने की अपील कर रहे हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजों में विधानसभा की तस्वीर अब साफ हो चुकी है। भाजपा शिवसेना गठबंधन को अबतक 160 सीटें मिली हैं जिनमें से भाजपा के खाते में 103 जबकि शिवसेना के खाते में 57 सीटें आई हैं। कांग्रेस एनसीपी गठबंधन को 99 सीटें हासिल हुई हैं जिनमें से कांग्रेस 46 और शरद पवार की एनसीपी ने 53 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि अन्य के खाते में 29 सीटें गई हैं।
लेकिन, महाराष्ट्र विधानसभा नतीजों के बाद भाजपा की सहयोगी शिवसेना के तेवर सीटें कम होने के बाद भी बढ़ गए हैं। शिवसेना ने चुनाव से पहले ही उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी और परिणामों के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ने भाजपा को उसका फॉर्मूला याद दिला दिया। शिवसेना के इस तेवर ये साफ है कि कम सीटें आने के बाद भी उद्धव ठाकरे अब भाजपा पर अपना दबाव बढ़ाने वाले हैं। हालांकि, जीत के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जैसी प्रतिक्रिया दी है उससे साफ हो गया है कि भाजपा किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री पद को लेकर समझौते नहीं करने वाली है।
तो इन नतीजों के बाद अब कुछ बड़े सवाल उठ रहे हैं कि क्या..
-भारतीय जनता पार्टी जमीनी हकीकत नहीं भांप पाई
-अगर मायावती ने हरियाणा में JJP को किंगमेकर बनाया तो यूपी में विपक्ष क्यों बिखर गया
-सोनिया गांधी की अगुवाई में क्या कांग्रेस फिर से वापसी कर रही है