सनातन धर्म और उत्तरप्रदेश सरकार को बदनाम करने के लिए हुई हाथरस जैसी साजिश

हाल में ही देश के उत्तर प्रदेश के हाथरस में दुर्घटना हुई जिसमें 121 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि घायलों का अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है. हाथरस की घटना के बाद बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा अभी तक सामने नहीं आए हैं. क्यों नहीं आए बाबा सामने, कैसे हो गई इतनी बड़ी घटना, क्या थी साजिश की आशंका, इन सभी बिंदुओं पर बाबा के वकील ए.पी. सिंह से राजेश कुमार की लंबी बातचीत हुई. पेश हैं उसके कुछ महत्वपूर्ण अंश
1. बाबा के भक्तों ने कहा कि चरणों की धूल से सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं, लेकिन आज बाबा के भक्त काफी दुखी हैं. आप इसको कैसे देखते है ?
उत्तर - हाथरस की घटना में अब तक करीब 123 लोगों की मौत हो गई है, कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं. आयोजक मंडल और मंडल के लोग आज जेल में हैं. चरणों की धूल को लेकर कोई बात ही नहीं हैं. चरण छूने और चरण का रज यानी की धूल लेने की कोई भी बात सामने नहीं आई हैं. वो मंच पर पीछे से आते हैं. उसके बाद उद्बोधन करते हैं, उसके बाद आरती होती है. आरती के बाद वो निकल जाते हैं. नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने कभी भी चरण धूल की बात नहीं कही हैं.
2. आज भक्त मीडिया के सामने आकर रो रहे हैं. बाबा सामने आकर भक्तों से अब क्यों नहीं मिल रहे हैं?
उत्तर - उन्होंने जो मैसेज दिया वो मीडिया को बताया गया, देश की न्यूज एजेंसी एएनआई पर उन्होंने वार्ता कर के जानकारी दी. जो उनको बताना था, वो उनको बता चुके हैं. सिकंदराराऊ के अलावा प्रदेश भर की कमेटियों से मृतक के परिवारों की मदद करने के लिए अपील की गयी है. अगर घटना हो गई है तो किसी भी परिवार में बेटा पढ़ाई और बेटी शादी विवाह आदि से वंचित ना रह जाए इसके लिए कमेटियों को प्राथमिक रूप से काम करने के लिए कहा गया है. देश ने भी तक इतनी बड़ी घटना नहीं देखी, वाकई वह बड़ी ही वीभत्स घटना थी. सन 1965 में कुंभ के समय में करीब 800 से अधिक लोगों की मौत का मामला सामने आया है. मक्का मदीना में भी हज यात्रियों की काफी संख्या में मौत हो गई थी.
सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का प्रति-उत्तर देते समय पीएम ने अपनी कार्यवाही रोक कर हाथरस की घटना पर अपना शोक संदेश दिया और अधिकारियों को तत्काल वहां पर रवाना होने के लिए कहा. अगले ही दिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ वहां पहुंचे और मामले की जानकारी ली और उन्होंने अपने बयान में भी कहा कि इसको साजिश के एंगल से भी जांच की जाएगी. साजिश यूपी को बदनाम करने, योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने आदि के कई कारण हो सकते हैं. रक्षामंत्री ने एनडीआरएफ को भी घटना स्थल पर भेजा. सभी लोगों ने उस घटना को लेकर मदद की. सत्संग के लिए परमीशन ली गयी थी. काफी संख्या में लोग आ गए. इसके कारण ऐसी घटना हुई. आदर्श आचार संहिता के कारण कोई सत्संग नहीं हुआ.
3. भगदड़ की घटना को लेकर साजिश का अरोप लगाना क्या बाबा को बचाने की एक कोशिश है ?
उत्तर - साजिश का आरोप इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि सत्संग का कार्यक्रम समाप्त हो चुका था. बाबा वहां से जा चुके थे. अचानक से कुछ युवक स्प्रे लेके आये और सड़क के रास्ते छिड़कते हुए भाग गए. उसके बाद लोग गिरते गए और दम घुटते गया. ऐसे में कुछ लोगों की मौत दम घुटने से हो गई. ऐसा आयोजन ये कोई पहली बार नहीं हुआ था बल्कि हर महीने के मंगलवार को ऐसा सत्संग होते आया है. ये सत्संग काफी बड़ा था, उस कारण परमीशन भी लिया गया. यह सरकार को गिराने की एक साजिश थी.
पिछली बार यूपी के चुनाव के समय भी हाथरस रेप की घटना को सामने किया गया, उसको जातिगत रंग दिया गया. उसमें चार आरोपी को अलीगढ़ कोर्ट ने बरी भी कर दिया. उस समय मेरे पर भी सवाल उठा था कि रेप के आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. उस समय भी सरकार को अस्थिर करने की लिए घटना थी और ये घटना भी सरकार को अस्थिर करने के लिए ही किया गया. एसआईटी सहित अन्य जांच किया जा रहा है, जो सच होगा वो सामने आ ही जाएगा.
4. किस आधार पर ये कहा जा रहा है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए ये घटना हुई ?
उत्तर - इतनी बड़ी घटना होने के बाद सरकार का इस्तीफा मांगने का ये मतलब है कि कोई साजिश है. अगर वहां पर सत्संग के बाद स्प्रे नहीं किया गया होता को इतनी बड़ी घटना कभी नहीं होती. पटना में भी हादसा हुआ लेकिन वहां क्या सीएम और अन्य किसी को आरोपी बनाया गया? सनातन एक सॉफ्ट कार्नर है इसके कारण ये मामले को सामने लाकर रखा गया है, और सवाल उठाया जा रहा है.
5. घटना की जांच में एसआईटी की रिपोर्ट आई उसके बाद अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया हैं लेकिन बाबा का कोई जिक्र नहीं है.
उत्तर - आमतौर पर बाबा का इसमें कोई भी रोल नहीं हैं. कथा के समापन के बाद बाबा वहां से जा चुके थे. अगर बाबा के जाने के बाद कोई घटना होती है तो उसके लिए वो कतई जिम्मेदार नहीं माने जा सकते हैं. कई जगहों पर ये सुनने को मिला कि लोग मर रहे थे उसी समय बाबा का काफिला वहां से गुजर रहा था, जो कि बिल्कुल ही गलत है. बाबा वहां से करीब आधा घंटा पहले ही जा चुके थे. बाबा परमात्मा की आरती कराते हैं वो कभी भी अपनी आरती और पूजा नहीं कराते हैं.
6. इतनी बड़ी घटना होने के बाद बाबा सामने क्यों नहीं आ रहे हैं?
उत्तर - बाबा के बिना बुलाए जाने पर उतनी भीड़ आ जाती है ऐसे में अगर बाबा सामने आते हैं तो और अधिक संख्या में फॉलोअर के आने की आशंका है. ऐसे में बाबा इसी को ध्यान में रखकर सामने नहीं आ रहे हैं. बाबा कहीं भी भागे नहीं बल्कि भारत में हैं. वो अपने आश्रम में ही है. वो कथा और प्रवचन के लिए आते जाते रहते हैं. इसलिए ये कंफर्म कोई नहीं बता सकता कि वो किस जगह पर है. कोई ये नहीं चाहता कि ऑफिसर पर गाज गिरे, बल्कि जो दोषी है उस पर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए. नारायण साकार हरि, लोकल प्रशासन तथा सनातन को लेकर एक गहरी साजिश है. इसको अच्छे ढंग से समझने की जरूरत है.
7. मायावती का कहना है कि इसमें बाबा को बचाने की साजिश रची जा रही है.
उत्तर - मायावती यूपी की दो बार की सीएम रह चुकी हैं. उनकी राजनीति हाशिये पर चली गई है. आय से अधिक संपत्ति के मामले में कई नेताओं पर जांच चल रहे हैं. ईडी और सीबीआई कई नेताओं के बैंक एकांउट को खंगाल रही हैं. बहन मायावती नहीं चाहतीं कि उनके अलावा कोई और दलित, शोषित समाज का इंसान मंच पर बैठे. वो नहीं चाहती कि कोई भी दलित आगे आए.
नारायण सकार हरि दलित समाज से आते हैं इसलिए उनको मंच पर बैठता वो नहीं देख सकती. अधिकारियों से जूता साफ कराने का वीडियो देखा जा चुका है कि उन्होंने क्या किया है. दलित शोषित का हक मायावती ने मारा है, ये जनता को भी पता है. पीड़ितों को सरकार और अन्य स्तर से मदद की जा रही है. देश के बंटवारे के समय काफी लोगों ने जान दिया है. देश में आजादी के बाद पाकिस्तान में मस्जिदों की संख्या में बढ़ी, भारत में मस्जिदों की संख्या बढ़ी लेकिन पाकिस्तान में मंदिरों की संख्या ना के बराबर रह गई.
8. जब भी किसी पर संगीन आरोप लगता है तो उसकी वकालत आप करते हैं, इसको कैसे देखा जाए ?
उत्तर - मनीष कश्यप पर राज्यद्रोह का कानून बेवजह का लगा था, उसको हटवाना क्या जुर्म है? कुलभूषण सिंह पर पॉक्सो लगाया था जब केस लड़ा तो हटाया गया. अगर किसी को इंसाफ की दरकार है और वो सामने आता है तो उसके लिए खड़ा होना, उसके न्याय के लिए लड़ना कहीं से दिक्कत नहीं हो सकता है. महिलाओं के द्वारा झूठा आरोप भी लगा दिया जाए तो उसके लिए कई प्रावधान है लेकिन आज तक पुरुषों के साथ खड़ा होने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. जब देश में समानता है तो फिर बेवजह का आरोप क्यों और कैसे लगाया जाता है?
जो जंतर मंतर पर कुलभूषण सिंह के आरोप पर नाच रहे थे वो आज तिहाड़ जेल के अंदर हैं और कोर्ट से जमानत तक नहीं मिल पा रही है. हिसार में 950 लोगों पर देशद्रोह का केस लगाया गया. जेल से सुनवाई हुई, उसके बाद सबको बरी कराया गया. हनीप्रीत के मामले में देश की मीडिया ने क्या कुछ नहीं दिखाया बाद में उनको भी क्लीन चीट मिली. जाति-धर्म देखकर कभी वकालत नहीं की बल्कि इंसानियत को ध्यान में रखकर वकालत की है. सनातन धर्म को आगे बढ़ाने वाले आज आशाराम को जेल से जमानत नहीं मिल पा रही है. अधिकारियों को मानवता के लिए काम करना चाहिए.
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