(जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर देश एक बहस छिड़ी ही हुई है. इसे लेकर कई राजनेता और धर्मगुरुओं की तरफ से भी इसके पक्ष और विपक्ष में बयान आते रहे हैं. इसी कड़ी में ताजा बयान आया है कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर की तरफ से. उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून, लव जेहाद से लेकर रामचतिमानस विवाद पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)


एक बात ये स्पष्ट समझ लीजिए कि ये मुझे भी मालूम है कि इस समय जनसंख्या बहुत बढ़ रही है और यह एक परमाणु बम से भी बहुत बड़ा विस्फोट है. हमारे संसाधन कम हैं और उनका शोषण करने वाले ज्यादा हैं. यह जानने के बावजूद अगर मैं कुछ कह रहा हूं तो वो सिर्फ बैलेंस बनाने के लिए क्योंकि आज ये सेक्यूलर देश है. किसी को चार शादी करने के लिए छूट दे दी, एक व्यक्ति को 40 बच्चे पैदा करने के लिए छूट दे दी और सनातनियों को कह दिया गया कि तुम दो बच्चे करो, दो ही बच्चे अच्छे...तो अगर सनातनी दो ही बच्चों पर अटका रहा तो भारत का बैलेंस बिगड़ जाएगा. ऐसे में जो आज बहुसंख्यक हैं इनको अल्पसंख्यक होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.  और जिस दिन सनातनी अल्पसंख्यक हो गया तो विश्वास के साथ दूसरे देश के जो माहौल है उसे देखकर ये कह सकता हूं कि आने वाले 20-25 साल बाद ये सेक्यूलर देश ही नहीं रह जाएगा. 


ये देश तभी तक सुरक्षित है जब तक सनातनी बहुसंख्यक हैं. इसलिए देश को बचाए रखने के लिए, देश की प्रगति के लिए, इस देश की सभ्यता को बनाए रखने के लिए ये बात कह रहा हूं. मैंने तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दे रखी है जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए, लेकिन उस पर अगर सुनवाई ही नहीं हो रही है. अगर बात नहीं होगी तो सनातनी एक तरह से अल्पसंख्यक हो जाएंगे. कई प्रदेशों में हम लोग अल्पसंख्यक हो चुके हैं और हमें अल्पसंख्यक का दर्जा भी नहीं दिया जाता है. इस तरीके से सनातनियों का शोषण हो रहा है.  इसलिए मैं कह रहा हूं कि जब तक जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून नहीं आए हर सनातनी को पांच से छह बच्चे पैदा करना चाहिए.


चार और चालीस का अंतर तो नहीं चलेगा


फर्टिलिटी रेट मुसलमानों में कम होने की बात भले ही ओवैसी जैसे कुछ नेता कह रहे हैं, वो तो और भी बहुत कुछ कहते हैं. उनके कहने से क्या देश बदल जाएगा? वो देश के संविधान थोड़ी हैं. वो इस देश के एक क्षेत्र के सांसद हैं. मैं इस देश का नागरिक हूं और उस नाते मुझे आने वाली समस्या दिख रही है. अगर मुझे जो समस्या दिख रही है तो मैं बोल रहा हूं. ओवैसी के पास जो स्टेज है वो उसका प्रयोग कर रहे हैं. 


मेरा जो मंच है मैं उसका प्रयोग कर रहा हूं. मैं किसी को भड़काने के लिए तो कह नहीं रहा मैं तो सनातनियों से निवेदन कर रहा हूं कि जब तक जनसंख्या वृद्धि पर कानून न आ जाए तब तक 5-6 बच्चे करो. और जब जनसंख्या नियंत्रण कानून को सरकार लेकर आ जाए तो उस कानून का पालन करो, इसमें क्या बुराई है. चार और चालीस तो नहीं चलेगा न, या तो चार और चालीस सबके हों या फिर हम दो हमारे दो सबके हों.  मै तो ये चाहता हूं कि बैलेंस बना रहे. 
जहां तक असम में हेमंत बिस्व सरमा सरकार की तरफ से बाल विवाह कानून के तहत एक्शन लेने की बात है तो इसमें मैं सिर्फ यही कहूंगा कि सरकार ने शादी की जो उम्र तय की है उसका सभी लोग पालन करें. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का ध्यान सब रखें. बेटियां पढ़ेंगी तो देश आगे बढ़ेगा. मैं सरकार के इस नियम का पालन करता हूं कि सरकार ने विवाह के लिए जो आयु निर्धारित की है, वो माना जाना चाहिए.


वक्फ की तरह हो सनातनी बोर्ड की हो स्थापना


समान नागरिक संहिता पर आखिरकार मुसलमान पक्ष की तरफ से क्यों सवाल खड़े किए जा रहे हैं?  अगर उनका ये कहना है कि अलग धर्म है तो क्या अलग देश में रहते हैं क्या. जब नहीं रहते तो हम जिस देश में रहते हैं तो हमें वहां के कानून का पालन करना पड़ेगा. अगर हम अमेरिका और इंग्लैंड में चले जाएं तो हम वहां कुछ अलग कर लेंगे क्या. 


इसलिए मैं कह रहा हूं कि जैसे वक्फ बोर्ड की स्थापना हुई है, वैसे ही सनातनी बोर्ड की स्थापना होनी चाहिए. जैसे वक्फ बोर्ड का ही वकील, वक्फ बोर्ड का ही निर्णय, उसका ही अतिक्रमण हो रहा है, हम चाहते हैं कि सनातन बोर्ड का भी निर्माण हो और उस बोर्ड में सारे धर्माचार्य ही वहां पर पदाधिकारी हों. मुझे ये बताइए की सरकार ने आजादी के बाद कोई मस्जिद अपने कब्जे में क्यों नहीं लिया, किसी चर्च को क्यों नहीं लिया? 


हिंदुओं का पैसा हिंदुओं के बच्चों के भविष्य निर्माण में होना चाहिए


आजादी के बाद सिर्फ सनातनी मिले थे क्या, उन्हीं के मंदिर हथिया लिये गये, उन्हीं का पैसा ले लिया गया और उस पैसे का हो क्या रहा है ये कोई नहीं जानता. इसलिए सनातन बोर्ड का निर्माण होना चाहिए और जितने भी मंदिर हैं वो सनातन बोर्ड के अंदर होना चाहिए. उन पैसों से देश के सभी जिलों में गुरुकूलम् की स्थापना होनी चाहिए. गुरुकुलम से सनातन पद्धति आगे बढ़ेगी और वहां पढ़ने वालों बच्चों को संसकृत, हिंदी और इंग्लिश में ग्रेजुएट बनाए जाएं और जब वे वहां से निकलें तो वो पूरे विश्व के पथ-प्रदर्शक हों और दुनिया को एक नया रास्ता दिखाएं. 


उन पैसे से ऐसे गुरुकूलम् का निर्माण होना चाहिए जो आज वे उस फोकट के पैसों का इस्तेमाल किसी को हज कराने में और किसी को न जाने क्या-क्या कराने में सरकार उसका उपयोग कर रही है. हिंदुओं का पैसा हिंदुओं के बच्चों के भविष्य निर्माण में होना चाहिए.


ईश-निंदा और अंतर-धर्म विवाह पर रोक लगाने के लिए कानून बने


लव जेहाद सुनियोजित तरीके से देश के अंदर चल रहा है. आप मुझे एक बात बताइए कि ये हो रहा है कि नहीं. श्रद्धा के 35 टुकड़े हुए की नहीं? और इस घटना के बाद बाकी लड़कियों से संपर्क साधा गया कि नहीं. लाश रखी गई फ्रीज में और उसके बाद भी लड़की भुलाई गई कि नहीं. आप क्या कह रहे हो ये लव है, इसे आप लव कहेंगे क्या? ये तो सोची समझी रणनीति है और मैं तो सरकार से एक निवेदन करना चाहूंगा कि इस देश में रामायण जलाई जा रही है, कोई राम के ऊपर संदेह कर रहा है तो मैं दो चीजें कहना चाहूंगा कि ईशनिंदा पर कानून होना चाहिए जिसमें कोई भी व्यक्ति हमारे धर्म पर, हमारे देवी-देवताओं पर, हमारे धार्मिक ग्रंथों पर कोई उंगली नहीं उठा सके. दूसरा अंतर-धर्म विवाह यानी कि सनातनी बच्चियों की शादी दूसरे किसी दूसरे किसी धर्म में नहीं होगा, इस पर एक कानून बनाना चाहिए. हमारी बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए.


रामचरितमानस से नहीं किसी का अपमान


जहां तक रामचरितमानस पर विवाद की बात है तो ये सिर्फ वोट बैंक के लिए राजनीति है. मैं लखनऊ में था और आपको पता है कि जिन लोगों ने इस पर प्रश्न उठाये हैं वे वहीं रहते हैं. मैं वहां सात दिन था और पहले दिन जब एयरपोर्ट पर उतरा तभी से कह रहा था मुझसे मिलो. मुझे मिलने का टाइम दो या फिर मैं आ जाऊंगा आपके पास लेकिन उन लोगों ने मुझे समय नहीं दिया. इसका मतलब जानते हैं क्या है? वो ये कि वो मिलकर उस समस्या का समाधान नहीं चाहते हैं. वो ये चाहते हैं कि इसको आगे बढ़ाया जाए. हिंदुओं को जातियों में बांटा जाए और वे ये करके अपनी कुर्सी पर बैठे रहें.


मैं उससे पूछना चाहता हूं कि किसी की बेटी सांसद है वो खुद एमएलसी हैं, खुद किसी न किसी कुर्सी पर बैठे हुए हैं और अगर जाति की इतनी परवाह है तो और जातियों के लोगों को क्यों नहीं सांसद बनाया? अपनी बेटी को क्यों बनाते हैं. जाति का प्रयोग कुर्सी के लिए हो रहा है. तो ये सब साजिश जो लोग सनातनियों को बांटने का कर रहे हैं.  परसों मैंने छिंदवाड़ा में कम से कम 70 हजार लोगों के साथ सनातन यात्रा में पांच किलोमीटर पैदल चला है. इसमें हर जाति के लोग थे और सबसे ज्यादा महिलाएं शामिल थीं. 


जिन महिलाओं कि वे अपमान करने की बात कर रहे हैं न वो 97 प्रतिशत की बात कर रहे हैं, मैं उनको चैलेंज करता हूं कि उनके साथ सात प्रतिशत भी महिलाएं आ जाएं तो. मैं जिस शहर में कथा कर रहा था वहां कि लगभग 60-70 प्रतिशत महिलाएं साथ चलीं हैं. ये किस लिए क्योंकि सनातन यात्रा जोड़ने की यात्रा है. वे तोड़ेंगे, वे बांटेंगे, हम जोड़ेंगे, हम जोड़ने का काम करेंगे. हम सनातनियों को बंटने नहीं देंगे. इन लोगों की चाल को सफल नहीं होने देंगे. और जब कुछ दिन बाद ये भी चल बसेंगे, हम भी चल बसेंगे लेकिन आने वाली पीढ़ी में जो ये जाति कि जहर खोल रहे हैं ये निश्चित अपने देश को बांटने और कमजोर करने का काम कर रहे हैं. हम उसे होने नहीं देंगे. हम उसे होने नहीं देंगे, हम जोड़ने का काम करेंगे. इसमें कोई संशय नहीं है. 


ये बात एक धर्मगुरु कह रहा है आपसे और इसके लिए चाहे मुझे कोई भी समस्या का सामना क्यों नहीं करना पड़े और आज मैं ये बात आपके माध्यम से लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं.