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90 साल बाद दोहराया इतिहास, दोबारा टाटा का हो गया 'महाराजा'

पुरानी कहावत है कि इतिहास खुद को दोहराता है और इसी कहावत को तकरीबन 90 साल बाद टाटा ग्रुप ने हक़ीक़त में बदलकर ये साबित कर दिखाया कि अगर इरादे नेक हों, तो हर सपना साकार होता है. महज़ दो जहाज़ से मुंबई के जुहू के पास एक मिट्टी के मकान से 1932 में जहाँगीर रतनजी टाटा (जेआरडी) ने टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की थी. लेकिन साल 1953 में सरकार ने इसका पूरी तरह से अधिग्रहण कर लिया और तब इसका नाम रखा गया-एयर इंडिया लिमिटेड कंपनी.

जेआरडी टाटा ने वर्ष 1919 में ही पहली बार हवाई जहाज़ तब शौकिया तौर पर उड़ाया था जब वो सिर्फ 15 साल के थे.फिर उन्होंने अपना पायलट का लाइसेंस लिया.उनके इसी शौक ने आजादी से 15 साल पहले ही देश को एक एयर लाइन्स दे डाली. मगर पहली व्यावसायिक उड़ान उन्होंने 15 अक्टूबर को भरी जब वो सिंगल इंजन वाले 'हैवीलैंड पस मोथ' हवाई जहाज़ को कराची से अहमदाबाद होते हुए मुंबई लाये थे.

लेकिन लगातार घाटे में चल रही और बेतहाशा कर्ज़ में डूबी एयर इंडिया की मिल्कियत फिर से हासिल करने का सपना रतन टाटा पिछले कई साल से देख रहे थे.क्योंकि इस एयरलाइन्स से उनका भावनात्मक रिश्ता खत्म नहीं हुआ था, लिहाज़ा उस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने 18 हज़ार करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाकर ऐविएशन सेक्टर के 'महाराजा' को फिर से  हासिल कर दिखाया. इसे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के उड्डयन क्षेत्र की एक अनूठी व ऐतिहासिक घटना माना जा रहा है.

इस उपलब्धि को हासिल करने के मौके पर रतन टाटा भला जेआरडी को कैसे भूल जाते. एयर इंडिया की 'घर वापसी' का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, "टाटा समूह का एयर इंडिया की बोली जीतना एक बड़ी ख़बर है. एयर इंडिया को फिर से खड़ा करने के लिए हमें काफी कोशिश करनी होगी. भावनात्मक रूप से कहें तो जेआरडी टाटा के नेतृत्व में एयर इंडिया ने एक समय में दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइंस में से एक का रुतबा हासिल किया था. शुरुआती सालों में एयर इंडिया का जो साख और सम्मान था, टाटा समूह को उसे फिर से हासिल करने का एक मौका मिला है. जेआरडी टाटा अगर हमारे बीच होते तो उन्हें बेहद खुशी होती." इस संदेश के साथ ही रतन टाटा ने एक तस्वीर भी शेयर की है जिसमें जेआरडी टाटा एयर इंडिया के विमान के साथ से उतरते हुए दिख रहे हैं और उनके पीछे फ़्लाइट का क्रू है.

साल 2022 की पहली सुबह के साथ ही आसमान के 'महाराजा' की कमान टाटा के हाथों में होगी क्योंकि  विनिवेश की प्रक्रिया अगले दिसंबर तक पूरी हो जाएगी. ग़ौरतलब है कि एयर इंडिया को खरीदने के लिए सात कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी.एयर इंडिया को खरीदने की दौड़ में टाटा सन्स ने स्पाइस जेट के प्रमोटर को मात दी. क़ीमत के तौर पर टाटा सन्स एयर इंडिया के 15,300 करोड़ रुपये के कर्ज का ज़िम्मा लेगा, बाक़ी रकम का वो नकद में भुगतान करेगा. फिलहाल टाटा समूह की विमानन क्षेत्र की कंपनी विस्तारा में 51 फ़ीसदी (सिंगापुर एयरलाइंस की इसमें 49 फ़ीसदी हिस्सेदारी है) और एयर एशिया लिमिटेड में 84 फ़ीसदी हिस्सेदारी है.

हालांकि लोगों के मन में एक आशंका अभी भी है कि क्या टाटा,एयर इंडिया को सड़क से उठाकर दोबारा आसमान का चमकता सितारा बना पायेगा? इसके जवाब में उड्डयन क्षेत्र के विशेषज्ञ हर्षवर्धन कहते हैं, "टाटा को ये पता है कि इसे फिर से पटरी पर लाने के लिए उसे पांच से सात साल का वक्त लगेगा और उसके पास इतनी क्षमता भी है. मुझे लगता है कि सरकार के पास इसे टाटा को देना ही सबसे बेतहर विकल्प था क्योंकि सरकार की ये मजबूरी बन गई थी. वैसे भी अगर उसे कंपनी को बेचना हुआ तो वो कभी भी ऐसा कर सकती है."

एक सवाल ये भी है कि हजारों करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी एयर इंडिया में आज भी ऐसी क्या खासियत है कि इसे हर कोई खरीदना चाहता था.तो इसका जवाब इस पुराणों कहावत से मिलता है कि मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है. हालांकि, एयर इंडिया की हालत वैसी मरने वाली तो आज भी नहीं है. घाटे में चलने के बावजूद एयर इंडिया के पास हजारों करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां है. लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर उसका अपना स्लॉट है. करीब 140 विमानों का बेड़ा है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक व सुविधाओं से लैस जहाज़ होने के साथ हज़ारों ट्रेंड पायलट और क्रू का अनुभवी स्टाफ भी है.टाटा समूह को इस सौदे के साथ ही देश के हवाई अड्डों पर 4400 घरेलू और 1800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट्स और विदेशों में 900 स्लॉट्स मिलेंगे. इसके अलावा एयर इंडिया के पास करोड़ों डॉलर का रियल इस्टेट है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल मार्च के महीने में इसका मूल्यांकन 6 अरब डॉलर का किया गया था.

एक और दिलचस्प तथ्य ये भी है कि एयर इंडिया के पास कारण 40,000 कलाकृतियों का कलेक्शन है जिसमें स्पैनिश कलाकार सल्वाडोर डाली का गिफ़्ट किया हुआ एशट्रे भी शामिल है. अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में अगर इनकी कीमत का अनुमान लगाया जाए,तो वे कई करोड़ डॉलर में होगी. वैसे भी भारत का विमानन क्षेत्र 20 फ़ीसदी की सालाना दर से बढ़ रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय बाज़ार की पूरी क्षमता का दोहन अभी तक नहीं हो पाया है.लिहाज़ा एयर इंडिया में टाटा समूह के लिए अनगिनत संभावनाएं हैं.

कहा जाता है कि टाटा सरनेम गुजराती शब्द 'टमटा' या 'तीखा' से आया है, जिसका अर्थ होता है मसालेदार या बहुत गुस्से वाला. बताते हैं कि वास्तव में टाटा घराने के सर्वोच्च पदों पर बैठने वाले ज़्यादातर लोग अपने गुस्से के लिए मशहूर रहे हैं. लेकिन ये भी सच है कि उस गुस्से के पीछे किसी सपने को पूरा करने का जज़्बा रहता है. इसका दूसरा पहलू ये भी है कि समृद्धि के शिखर को छूने के बावजूद टाटा अपनी शराफत व सादगी के लिए पहचाने जाते हैं.

दरअसल,इसका भी एक रोचक किस्सा है. जेआरडी टाटा को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न और फ़्रांस के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'लीजन ऑफ़ ऑनर' से सम्मानित किया गया था. जब रतन टाटा ने उन्हें खबर दी कि उन्हें भारत रत्न के लिए चुना गया है तो जेआरडी की त्वरित टिप्पणी थी, ''ओह माई गॉड! मुझे ही क्यों? क्या हम इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकते? ये सही है कि मैंने कुछ अच्छे काम किए हैं. देश को नागरिक उड्डयन दिया है. उसका औद्योगिक उत्पादन बढ़ाया है. बट सो वॉट? ये तो कोई भी अपने देश के लिए करता.''

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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