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एचएमपीवी वायरस से चीन में यूं ही नहीं फैली दहशत, पड़ोसी देश के हालात से सीख ले भारत

ह्यूमेन मेटान्यूमो वायरस जिसे हम HMPV वायरस के नाम से भी जानते है. ये वायरस नया नहीं बल्कि कॉमन राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस है. कोरोना वायरस भी RNA वायरस है. इसके अलावा, इनफ़्लुएंज़ा जिसको कॉमन कोल्ड बोलते है, वो भी RNA वायरस होता है. ये एक न्यूक्लिक एसिड टाइप होता है. यह मूल रूप से सर्दी का मौसम हो या फिर गर्मी का,  पिछले करीब 10 वर्षों से मौजूद है. इसमें जो लक्षण आते हैं, या मरीज को जो दिक्कतें होती हैं वो कॉमन कोल्ड जैसी होती है, जैसे- सर्दी, खांसी, बुखार आना, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ. 

इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा जो 5 साल से कम उम्र वाले बच्चे होते हैं या फिर 65 वर्ष और अधिक उम्र के वृद्ध व्यक्ति या फिर HIV (एचआइवी), कैंसर, और किडनी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए ये वायरस जानलेवा साबित हो सकता है. कोरोना वायरस की तरह एचएमपीवी वायरस के फैलने की संभावना काफी कम है क्योंकि इसकी संक्रामकता उस तरह की नहीं है. ये फैलता तो ड्रॉपलेट के माध्यम से है लेकिन जब कोरोना की बात करें तो उसका फैलाव हर तरह से होता था. 

इसकी मुख्य संक्रमिकता ड्रॉपलेट (छींक, खासी की बूंद) के माध्यम से होता है. मतलब कोई ड्रॉपलेट गिरा तो छींक और खांसी से फैलता है. लेकिन इसका विलय कोरोना वायरस जैसा नहीं है. इसीलिए हम सोचते हैं कि ये कोरोना वायरस जैसे नहीं फैलेगा. कोरोना वायरस में क्षमता थी कि वो बहुत जल्दी खुद को म्यूटेट कर लेता था.

कोरोना जैसा नहीं खतरनाक एचएमपीवी

एचएमपीवी वायरस पिछले 10-12 वर्षों में बहुत ज्यादा खुद को म्यूटेशन नहीं किए हैं. वायरस में एक म्यूटेशंस कैपिसिटी होती है, जिसमें वह अपने आपको पूरी तरह से बदल लेता है. इसकी वजह से दवाइयां बहुत ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पाती है. लेकिन, एचएमपीवी वायरस में ये चीजें नहीं देखी जा रही है और इसके खिलाफ वैक्सीन इसलिए भी इजाद नहीं हुआ क्योंकि इससे अब तक कोई बहुत ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं हुई है.

ऐसे में अगर ये वायरस चीन में गंभीर रुप लिया है तो भी वो महामारी की तरह नहीं फैलेगा. चीन में अगर ये वायरस तेजी से फैल रहा है तो उसकी अपनी एक खास वजह है, क्योंकि जिस तरह का वहां का तापमान है, वो भारत की तुलना में काफी कम है. इसलिए ये वायरस बच्चों में ही खासकर देखा गया है. वयस्क या फिर बुजुर्गों में चीन में ऐसे गंभीर मामले एचएमपीवी वायरस को लेकर अब तक नहीं देखे गए हैं.  


एचएमपीवी वायरस से चीन में यूं ही नहीं फैली दहशत, पड़ोसी देश के हालात से सीख ले भारत

दूसरा एक बड़ा फैक्टर ये है कि एचएमपीवी वायरस को लेकर हमें टेस्टिंग बढ़ाने की आवश्यकता है. क्योंकि अगर ये वायरस हमारे पड़ोसी देश चीन में फैला है तो हमें किसी भी चीज को हल्के में नहीं लेना है, लेकिन उससे बहुत ज्यादा डरना भी नहीं है. कोरोना के वक्त हम काफी डर गए थे और मास्क से लेकर पीपीई किट तक की पूरी तैयारी हमने कर ली. लेकिन बाद में पता चला कि हमें मास्क और उचित व्यवहार की आवश्यता थी.

डरने की नहीं जरूरत

यानी, कोरोना के वक्त जितना हम डरे हो लेकिन अब हम संभल गए हैं. एचएमपीवी वायरस अब तक केवल बच्चों तक ही सीमित है क्योंकि पांच साल तक उनकी इम्युनिटी पूरी तरह से डेवलप नहीं हुई होती है. थाइमस ग्लैंड और टॉन्सिल्स इम्यूनिटी प्रोवाइड करते हैं और और यह अच्छे से डेवलप नहीं होते. क्योंकि बच्चों में 5 साल के बाद ही डेवलप होते हैं.  इसीलिए लोगों को डरने की बहुत ज्यादा की जरूरत नहीं है. 

ऐसे करें बचाव  
-मास्क
-साबुन से हाथ धोए 
-सैनिटाइजर (अल्कोहल वाला)
- जगह-जगह हाथ ना लगाए. 

एचएमपीवी वायरस से बचाव के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) यानी केवल मास्क पहनने से बच सकते है.  आप ऐसी जगह पर हैं जहां पर बहुत ज्यादा लोग की भीड़ हैं तो उस भीड़ में कोई सर्दी, खांसी, छींक वाला कोई व्यक्ति आपके सामने आ जाए तो अपना मास्क पहनिए.

डॉक्टर ऐसे वायरल इंफेक्शन के लिए वही हिदायत देगा कि हैंड हाइजीन बनाए रखे. साबुन और पानी से  हाथ धोते रहे. कभी भी ऐसी जगह पर जा रहे और ऐसी सतह को टच कर रहे हैं तो हैंड सैनिटाइज कर सकते है, एल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते है. यही हमारे बचाव के लिए शुरुआती उपाय हैं और हम अगर उपचार से अच्छा बचाव यानी 'प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर' के प्रिंसिपल पर काम करेंगे तो कहीं इससे हमें इसे फैलने से रोकने में मदद मिलेगी.

HMPV वायरस के संकेत 

दरअसल, जहां तक बात एमएमपीवी वायरस को रोकने की है तो इसलिए लिए डॉक्टरों को इसकी टेस्टिंग बढ़ानी पड़ेगी. घर में कोई ऐसा बच्चा या बुजुर्ग है जिसको फीवर के साथ सर्दी, खांसी, जुकाम हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह जरूरी है.

प्रैक्टिसेज और उन डॉक्टर को टेस्ट एडवाइस करने की जरूरत है. जैसे RTPCR कोरोना में होता है वैसे ही इसकी एक अलग कीट आती है. और रिवर्स ट्रांसक्रिप्ट टेस्ट पीसीआर पॉलीमर चैन रिएक्शन जो हमने जल और थ्रोथ एफबी से करते हैं, उसे टेस्ट के माध्यम से पता चलेगा कि ये वाला वायरस है. तो आप टेस्ट में अगर कर लेते हैं तो आपको सिंप्टोमेटिक ही कर लेना होता है जिसमें कि हमको हाइड्रेशन अच्छा रखना है.

मतलब पानी खूब पिएं. 
शरीर डिहाइड्रेट नहीं हो,
शरीर को आराम दें...

हर वायरस के लिए बोला जाता है कि तीन से पांच छह दिन का रेस्ट लेना होता है. बुखार होने पर पैरासिटामोल जैसी दवाइयां ले सकते हैं. अगर अस्थमा जैसे लक्षण किसी को दिखते हैं तो इसके लिए आपको रेस्पिरेटरी डिजिट स्पेशलिस्ट के पास जाना पड़ेगा, पलमोनोलॉजिस्ट के पास जाना होगा. तभी वे इसकी पहचान कर पाएंगे कि वो कौन सा वायरस है, लेकिन ये सबकुछ जांच से ही संभव हो पाएगा.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

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