ये बात 2011 विश्व कप के फाइनल की है. भारत ने 28 साल बाद विश्व कप का खिताब जीता था. श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच में टीम इंडिया को जीत के लिए 275 रन बनाने थे. मैच के पहले ही ओवर में वीरेंद्र सहवाग आउट हो गए. सातवें ओवर में सचिन तेंडुलकर भी आउट हो गए थे. स्कोरबोर्ड पर रन थे सिर्फ 31. ऐसी मुश्किल परिस्थिति से टीम को निकालकर गंभीर उस दरवाजे तक ले गए जहां से जीत दिखने लगी.


41.2 ओवर में गंभीर 97 रन बनाकर आउट हुए. यानी तब जीत के लिए करीब 50 रन बनाने रह गए थे. गौतम गंभीर को थिसारा परेरा ने आउट किया था. गंभीर जब पवेलियन लौट रहे थे तो उनके चेहरे पर झुंझलाहट थी. वो जानते थे कि वो कितना बड़ा शतक चूके हैं. वो तीन रन उन्हें भारतीय क्रिकेट के इतिहास में बहुत बड़ी जगह दिला सकते थे. बाद में उनके अधूरे काम को कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने पूरा किया. उन्होंने 91 रन बनाए. जीत के बाद उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया.

कुछ महीने बाद ही लोग भूल गए कि फाइनल में गौतम गंभीर की पारी में कितना संघर्ष था. उन्होंने किस मुश्किल परिस्थिति में रन बनाए थे. भारतीय क्रिकेट फैंस के मानस में अगर कोई दृश्य ताजा रहा तो धोनी का छक्का और रवि शास्त्री की कॉमेंट्री.

बड़े मौके पर बड़ा प्रदर्शन करके भी नहीं बढ़ा रूतबा
ऐसे ही 2007 में जब टीम इंडिया टी-20 चैंपियन बनी थी तब भी गौतम गंभीर के योगदान को नजरअंदाज किया गया था. पाकिस्तान के खिलाफ उस मैच में गौतम गंभीर ने 54 गेंद पर 75 रनों की शानदार पारी खेली थी. टीम के कुल स्कोर 157 रनों में करीब आधे रन उन्हीं के थे. बावजूद इसके मैन ऑफ द मैच का खिताब इरफान पठान को मिला था. जिन्होंने उस मैच में 4 ओवर में 16 रन देकर 3 विकेट लिए थे. निश्चित तौर पर उनका योगदान भी बड़ा था लेकिन गंभीर के 75 रन शायद कुछ ज्यादा कीमती थे.

अगर मैच में ‘इम्पैक्ट’ डालने के लिहाज से देखा जाए तो गौतम गंभीर का योगदान किसी कोने से कम नहीं था. भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को उनके रिकॉर्ड्स बताते हैं. गौतम गंभीर ने 58 टेस्ट मैच में 4154 रन बनाए. इसमें 9 शतक और 22 अर्धशतक शामिल हैं. गंभीर और सहवाग की सलामी जोड़ी ने वो समय भी देखा जब उन्हें बड़े बड़े दिग्गज क्रिकेटर्स ने सर्वश्रेष्ठ सलामी जोड़ी का तमगा दिया. 147 वनडे मैचों में 5238 रन भी गौतम गंभीर की झोली में हैं. वनडे में उन्होंने 11 शतक और 34 अर्धशतक बनाए. 37 टी-20 मैचों में भी उनके नाम करीब हजार रन हैं. इन बेहतरीन रिकॉर्ड्स के बाद भी कई बार ऐसा लगता है कि भारतीय क्रिकेट में गौतम गंभीर के साथ न्याय नहीं हुआ.

आईपीएल में भी कोलकाता को बनाया चैंपियन
आईपीएल में जो टीमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं उसमें से कोलकाता नाइट राइडर्स एक है. अव्वल तो कोलकाता के मालिको में किंग शाहरूख खान भी थे. लिहाजा टीम पर सभी की नजरें रहती थीं. दूसरे शुरूआती सालों में सौरव गांगुली की कप्तानी को लेकर भी बड़े दिलचस्प वाकए हुए. एक ही टीम में कई कप्तान भी बने. बावजूद इसके कोलकाता की टीम को शुरूआती सीजन में मायूसी ही हाथ लग रही थी. ऐसे में 2012 में जब पहली बार कोलकाता की टीम चैंपियन बनी तो उसके कप्तान गौतम गंभीर थे. तमाम बड़े नामी खिलाड़ियों के दावे को नजरअंदाज कर गौतम को कप्तानी सौंपने की रणनीति काम कर गई थी.

उस सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में गौतम गंभीर दूसरे पायदान पर थे. उन्होंने 17 मैचों में 590 रन बनाए थे. इसके बाद 2014 में भी गौतम की कप्तानी में कोलकाता ने खिताब जीता. इस बार उन्होंने फाइनल में किंग्स इलेवन पंजाब को हराया. गंभीर ने इस सीजन में करीब साढ़े तीन सौ रन बनाए थे. आज गंभीर के संन्यास के ऐलान के बाद जीत की वो तमाम तस्वीरें ताजा हो रही हैं जिनके बैकग्राउंड में वो थे. अफसोस, घरेलू दिल्ली की आईपीएल टीम से लेकर टीम इंडिया तक कभी उनकी उपयोगिता का पूरा आंकलन नहीं हुआ.