अमेरिकी हथियार कैसे बन गए भारत-पाकिस्तान के लिए इतना बड़ा खतरा ?
हमारे देश में लोग ये जानकर हैरान हो रहे होंगे कि जिस आतंकवाद की फसल को बोने वाला और फिर आतंकियों को पालने-पोसने वाला वही पाकिस्तान अब आतंकियों के निशाने पर अचानक कैसे आ गया? खास बात ये है कि आतंकी अपने हर हमले के जरिए आम लोगों को नहीं बल्कि वहां की पुलिस और सुरक्षा बलों को ही अपना निशाना बना रहे हैं. शुक्रवार (17 फरवरी) को आतंकवादियों ने कराची के पुलिस मुख्यालय में धावा बोलकर वहां के हुक्मरानों को अपनी ताकत का अहसास कराया है. लेकिन हमें भी इस खुशफहमी का भ्रम पालने से थोड़ा इसलिए बचना होगा कि जो अत्याधुनिक हथियार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP को मिल चुके हैं उसका एक हिस्सा कश्मीर में आतंक फैलाने वाली ताकतों के पास भी पहुंच चुका है.
लोग शायद भूल गए होंगे लेकिन हकीकत ये है कि अमेरिका के हथियार ही अब पाकिस्तान के साथ ही भारत के लिए भी बर्बादी की बड़ी वजह बनते दिख रहे हैं. अफगानिस्तान में 16 साल तक अमेरिकी सेना रही थी लेकिन अगस्त 2021 में जब उसने देश वापसी की,तब वह तकरीबन 7 बिलियन डॉलर की कीमत के हथियार और सेना से जुड़ा अन्य सारा साजो-सामान वहीं छोड़ गई थी.वही हथियार अब अफगानी तालिबान के साथ ही TTP के हाथ लग चुके हैं,जिसके बल पर उन्होंने पाकिस्तान में आतंक का मंजर दिखाना शुरु कर दिया है.
पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार हामिद मीर ने कुछ रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए एक अंग्रेजी पत्रिका में जो आर्टिकल लिखा है, उसे भारत को एक चेतावनी भरे अलार्म के रुप में न सिर्फ मानना चाहिए बल्कि उसके हिसाब से ही अपनी सुरक्षा रणनीति को पुख्ता करने के वास्ते बदलाव भी करना होंगे. उनके मुताबिक अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी सेना के ये अत्याधुनिक हथियार अब उन कश्मीरी आतंकियों के हाथ भी लग चुके हैं, जो भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ रहे हैं. हालांकि वे एक अजीबोगरीब दावा ये भी करते हैं कि बीते कुछ दिनों में भारतीय सेना ने कश्मीरी आतंकियों के कब्जे से जितने भी अमेरिकी हथियार बरामद किए हैं उसका ठीकरा पाकिस्तान के सिर पर नहीं फोड़ा है. इसी तरह से हाल ही में पेशावर में हुए विस्फ़ोट के लिए भी पाकिस्तानी सेना ने भारत पर कोई इल्जाम नहीं मड़ा है. यानी दोनों मुल्क अघोषित रुप से ये मान रहे हैं कि ऐसी वारदातों के पीछे TTP के आतंकियों का ही हाथ है, जो अमेरिकी हथियारों का बेख़ौफ होकर इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्या है तालिबान की नीयत?
हालांकि इस तथ्य से भी इनकार नहीं कर सकते कि अफगानिस्तान में अब्दुल गनी की सरकार रहते हुए पाकिस्तान हमेशा भारत पर ये आरोप लगाता रहा है कि वह TTP को बढ़ावा दे रहा है ताकि पाक को अस्थिर किया जाए लेकिन पिछले डेढ़ साल से तो अफगान की हुकूमत पर तालिबान का कब्जा है. लिहाजा पाकिस्तान को भी अब ये अहसास होने लगा है कि उसके यहां होने वाली हर आतंकी वारदात के लिए भारत को दोषी ठहराना जायज नहीं है क्योंकि उसका असली दुश्मन तो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ही है. इसका सबसे बड़ा सबूत ये है कि गनी सरकार के दौरान इस संगठन के जितने आतंकी जेलों में कैद थे, उनमें से ज्यादातर को अफगान तालिबान सरकार ने आजाद कर दिया है. जाहिर है कि तालिबान की नीयत दोनों पड़ोसी मुल्कों में अफरा-तफरी मचाने की ही है.
चीन के प्लान का एक हिस्सा
हालांकि फिलहाल ऐसी कोई रिपोर्ट तो सामने नहीं आई है लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि ये चीन के प्लान का ही एक हिस्सा है. चीन ने अफगानिस्तान में निवेश करके उसे भरपूर आर्थिक मदद दे रखी है. दरअसल, वह पाकिस्तान और भारत को आतंकवाद के जाल में उलझाकर रणनीतिक लिहाज से अपने बेहद अहम मकसद को पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है. शायद इसीलिए अब वह इस फिराक में है कि अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान के नेशनल हाईवे को चमकाकर उसकी पूरी बागडोर अपने हाथ में ले ले. इसके जरिए वह भारत को बेहद करीब से सीधे अपने टारगेट पर रख सकता है. जाहिर है कि दो मुल्कों को जोड़ने वाला समूचा हाई वे जब उसके कब्जे में होगा,तो हर तरह के सैन्य साजो-सामान को भारत की सीमा के बिल्कुल नजदीक लाकर तैनात करने में उसे जरा भी दिक्कत नहीं होगी.
लगातार बढ़ रहे TTP के आतंकी हमले
वैसे चीन अपने इस प्रस्ताव को दो-तीन बार दोहरा चुका है लेकिन फिलहाल तालिबानी सरकार ने इसे हरी झंडी नहीं दी है लेकिन जानकार कहते हैं कि तालिबानी सरकार को इस वक़्त पैसों की आग है. लिहाजा चीन देर-सवेर उसकी इस आग को पूरा करके अपने मकसद में कामयाब हो जाएदा तो हैरानी नहीं होनी चाहिये. हालांकि साल 2015 में पाकिस्तानी सेना ने सीना चौड़ा कर ये ऐलान किया था कि उसने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फतह पा ली है लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसो दूर है महज आठ साल के अंदर ही पाक सेना को दिन में तारे दिखने शुरु ही गए हैं. ये जानकर हैरत होगी कि पिछले साल भर में ही पाक सेना और पुलिस पर टीटीपी ने 150 से भी ज्यादा हमले किए हैं. इस साल के शुरुआती जनवरी महीने में ही TTP ने 44 आतंकी हमले किए हैं. इनमें तकरीबन 150 लोग मारे गए लेकिन इन आतंकियों के हौंसले का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पेशावर के पुलिस कंपाउंड में स्थित सबसे सुरक्षित माने जानी वाली मस्जिद में 30 जनवरी को आत्मघाती विस्फ़ोट करके सौ पुलिस कर्मियों को मार डाला और दो सौ से ज्यादा को गंभीर रुप से जख्मी कर दिया.
एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहा पाकिस्तान
मस्जिद में हुए हमले के दौरान सभी लोग मस्जिद में दोपहर की नमाज अदा कर रहे थे. इससे पहले भी इस आतंकी समूह ने एक स्कूल पर आतंकी हमला किया था, जिसमें 138 बच्चे मारे गए थे.हालांकि पेशावर के खतरनाक विस्फोट के बाद पाकिस्तान में एक-दूसरे को दोषी ठहराने की सियासत हो रही है. पीएम शहबाज़ शरीफ़ इस आतंकी समूह को बढ़ावा देने के लिए पूर्ववर्ती इमरान खान सरकार को कसूरवार ठहरा रहे हैं तो इमरान इस सरकार की कमजोर रणनीति और आतंकियों के आगे घुटने टेकने को बड़ी वजह बता रहे हैं. इन सबके बीच जरूरी ये है कि पिछले कई सालों से आतंकवाद की फसल बोने वाला पाकिस्तान अब उसी फसल को काट रहा है. सवाल ये है कि इसका तीखाऔर कड़वा स्वाद चखने के बाद भी क्या वो सुधर जायेगा?
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)