चुनाव से पहले आतंकी याकूब मेमन का जिन्न कब्र से बाहर कैसे निकल आया?
देश के मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने एक बार लिखा था- "जब भी हमारे भारत में धर्म या मज़हब के नाम पर झगड़े या फ़साद बढ़ने लगें तो एक नज़र अपने घर में टंगे कैलेंडर पर जरूर डालियेगा ताकि आपको पता लग जाये कि अगला चुनाव कब होना है." बेशक मुंबई, महाराष्ट्र की राजधानी है लेकिन वह देश की आर्थिक राजधानी भी है. वहां की नगरपालिका देश के किसी भी शहर की नगरपालिका से बहुत ज्यादा ताकतवर है और इसीलिये उसका बजट भी हजारों करोड़ रुपये में है. मुंबई बृहन नगरपालिका यानी BMC के अगले दो-तीन महीने में चुनाव होने हैं. लेकिन उससे पहले ही एक आतंकवादी की कब्र से ऐसा जिन्न बाहर निकल आया है जिस पर जमकर सियासत भी हो रही है.
लेकिन देश के लोकतंत्र में ऐसा शायद पहली बार ही देखने को मिल रहा है कि फांसी की सजा पाकर कब्र में अपना मुकाम हासिल कर चुके एक शव को लेकर वोटों का ध्रुवीकरण करने की इतनी व्यापक कोशिश हो रही है. जबकि सब इस हकीकत को जानते हैं कि किसी भी आतंकी का न कोई धर्म होता है और न ही मज़हब. बीएमसी के चुनावों से ऐन पहले एक ऐसा विवाद खड़ा कर दिया गया है जिसकी हक़ीक़त फिलहाल तो कोई भी नहीं जानता कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और किसके इशारे पर हुआ. लेकिन अब ये ऐसा सियासी बवाल बन चुका है जिसे बीएमसी चुनाव होने तक हर हालत में जिंदा रखा जाएगा. आपको याद होगा कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराये जाने के बाद मार्च 1993 में मुंबई में सीरियल बम धमाके हुए थे. उनमें एक बड़ा आरोपी था- याकूब मेमन, जिसे फांसी की सजा सुनाई गई थी.
उस सजा के ख़िलाफ़ सिविल सोसाइटी और मानवाधिकार संगठनों से जुड़े लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे आधी रात को खुलवा दिए थे. देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था और तकरीबन चार घंटे तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने याकूब मेमन की सजा को बरकरार रखा था और 30 जुलाई 2015 को उसे नागपुर की जेल में फांसी दे दी गई थी. लेकिन सात साल बाद मेमन का जिन्न कब्र से बाहर इसलिये निकल आया है क्योंकि बीजेपी ने दावा किया है कि उसकी (मेमन की) कब्र का ‘‘सौंदर्यीकरण’’ किया गया है और उसे एक इबादत गाह में बदलने की कोशिश की जा रही है. यानी एक आतंकवादी को "पीर बाबा" बनाने और उसकी कब्र को मज़ार में बदलने की कोशिश की जा रही है.
यही वजह थी कि बीजेपी नेताओं के आरोपों के तुरंत बाद मुंबई पुलिस ने गुरुवार को आतंकवादी याकूब मेमन की कब्र के चारों ओर लगाई गई ‘एलईडी लाइट’ को हटा दिया. बता दें कि मेमन को फांसी भले ही नागपुर जेल में दी गई थी लेकिन उसका शव परिजनों को सौंपने के बाद उसे दक्षिण मुंबई मरीन्स लाइन स्टेशन के नजदीक स्थित बड़ा कब्रिस्तान में दफनाया गया था. अब पुलिस उपायुक्त (DCP) स्तर का एक पुलिस अधिकारी ये जांच करेगा कि कैसे एक आतंकवादी की कब्र पर ‘एलईडी लाइट’ लगा दी गई और संगमरमर की ‘टाइलें’ लगाकर उसे संवारा गया.
हालांकि मुंबई पुलिस के ही एक अधिकारी ने दावा किया कि शब-ए-बारात के मौके पर बड़ा कब्रिस्तान में ‘हलोजन लाइट’ लगाई गई थीं और कब्रिस्तान के न्यासियों ने उसे हटा दिया है. दावा ये भी किया गया कि मेमन की कब्र के आसपास संगमरमर की ‘टाइल’ करीब तीन साल पहले लगाई गई थीं. गौरतलब है कि शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के लिए एक प्रमुख उत्सव है जिसे भाग्य और क्षमा की रात के रूप में भी जाना जाता है. पुलिस के मुताबिक उस जगह पर 13 अन्य कब्रें भी हैं लेकिन लाइट सिर्फ मेमन की कब्र पर ही लगी हुई थी.
हालांकि महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं ने दावा किया है कि जब उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री थे तब इस कब्र को मकबरे में तब्दील कर दिया गया था. महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक राम कदम ने महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA) पर हमला करते हुए कहा कि पाकिस्तान के इशारे पर 1993 के बॉम्बे बम धमाकों को अंजाम देने वाले आतंकवादी याकूब मेमन की कब्र उद्धव ठाकरे के CM होने के बाद मजार में बदल गई. क्या यही है मुंबई के लिए उनका प्यार, देशभक्ति? इसके अलावा उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के नेता और वायनाड के सांसद राहुल गांधी को भी मुंबई की जनता से माफी मांगने के लिये कहा है.
लेकिन शिवसेना ने सफाई दी है कि पिछली उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार का मेमन की कब्र के सौंदर्यीकरण से कोई लेना-देना नहीं था. मुंबई दक्षिण लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने रिपोर्टरों से कहा कि बड़ा कब्रिस्तान जहां मेमन की कब्र है, वह एक निजी संपत्ति है और राज्य सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘शिवसेना को इस मुद्दे में क्यों घसीटा जा रहा है? यह कुछ और नहीं, बल्कि देश के समक्ष गंभीर मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश है. यह समाज में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की भी कोशिश है.’’
सावंत ने सवाल किया कि मेमन को फांसी दिए जाने के बाद केंद्र और राज्य की तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा उसका शव परिजनों को आखिर क्यों सौंपा गया. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को समुद्र में दफना दिया, जबकि 26/11 के आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब का शव भी उसके परिजनों को नहीं सौंपा गया.’ पूर्व मंत्री व शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह मेमन की कब्र पर विवाद पैदा कर मुंबई में निकाय चुनाव से पहले शांति भंग करने की कोशिश कर रही है. ठाकरे ने कहा कि बीजेपी को पहले ये जवाब देना चाहिए कि 2015 में फांसी के बाद मेमन के शव को दफनाने की अनुमति आखिर क्यों दी गई. उनके मुताबिक ये पूरा मुद्दा बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश है. अब सवाल ये है कि एक आतंकवादी की कब्र से निकला ये जिन्न बरसों से बीएमसी की सत्त्ता पर काबिज रही शिव सेना को उखाड़कर क्या बीजेपी की मुराद पूरी कर देगा?
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